पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन ने इस मॉडल को सपा सरकार के असफल प्रयोग के रूप में वर्णित किया। उन्होंने याद दिलाया कि 2013 में भी इस मॉडल को लागू करने की कोशिश हुई थी। लेकिन, भारी विरोध के कारण इसे वापस लेना पड़ा। संगठन ने चेताया कि वर्तमान में इस मॉडल को फिर से लागू करने की कोशिश करना प्रदेश के बिजली ढांचे के लिए घातक साबित हो सकता है।