Hardoi News :  अधिवक्ताओं ने किया लोक अदालत का बहिष्कार, जानिए क्या है कारण

UPT | लोक अदालत का बहिष्कार करते अधिवक्ता

Jul 13, 2024 21:36

उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत का अधिवक्ताओं ने बहिष्कार कर दिया हैं। जिसके कारण हजारों मुकदमें की पैरवी नहीं हो सकी...

Hardoi News : उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत का अधिवक्ताओं ने बहिष्कार कर दिया हैं। जिसके कारण हजारों मुकदमें की पैरवी नही हो सकी, उम्मीद से आए पीड़ितों को वापस बैरंग ही वापस लौटना पड़ा। इस बीच कोर्ट ने जबरदस्ती दाखिल होने की कोशिश करने पर कई मुवक्किल और पुलिस के बीच तीखी झड़प भी हुई है। राष्ट्रीय लोक अदालत में परिवारिक मामले, वैवाहिक मामले, मिडिएशन संबंधित मामले, मोटर व्हीकल एक्ट संबंधित वाद सहित तमाम ऐसे मुकदमे जिनमे सुलह समझौता या सामान्य तौर पर जुर्माने के बाद वाद खत्म करने का प्रावधान हो निपटाए जाते है। प्रत्येक लोक अदालत में लाखों की संख्या में विवादों का निस्तारण होता है।

ग्राम न्यायालय बनने से नाराज अधिवक्ताओं ने किया बहिष्कार 
हरदोई में तहसील स्तर पर ग्राम न्यायालय की शुरुआत की जा रही है। संडीला और बिलग्राम में पहले से ही न्यायालय संचालित है। अब सवायजपुर और शाहबाद में भी न्यायालय संचालित होना है। जिसको लेकर हाईकोर्ट से पहले ही हरी झंडी मिल चुकी है और जिला न्यायालय प्रशासन ने भी इस पर मुहर लगाकर इसकी शुरुआत कर दी है। जब ये न्यायालय शुरू होंगे तो तमाम वाद इन इलाकों के इन ग्राम न्यायालयों मे जायेंगे, जिससे जिला न्यायालय में भीड़ कम होगी और मुवक्किल की संख्या भी। इसी को लेकर अधिवक्ता विरोध कर रहे हैं।

अधिवक्ताओं ने की हड़ताल 
हरदोई बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कृष्ण दत्त शुक्ला की अगुआई में शुक्रवार को हड़ताल और शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत का बहिष्कार किया गया। उन्होंने कहा कि सवायजपुर में न्यायालय चलाने की व्यवस्था दुरुस्त नहीं है। मुख्य मार्ग पर न्यायालय बना दिया गया, बिल्डिंग में पानी टपकता है, पीठासीन अधिकारी के रुकने के लिए आवास की भी व्यवस्था नहीं है। इसके अलावा हाईकोर्ट के स्पष्ट निर्देश थे कि बार सहित सभी से बात करने के बाद ही ग्राम न्यायालय की शुरुवात हो, लेकिन जनपद न्यायाधीश ने कोई भी बात करना मुनासिब नहीं समझा।

अध्यक्ष ने दी मामले पर जानकारी 
अध्यक्ष ने बताया कि एक भी मामले की पैरवी अधिवक्ता ने नही की है। अधिकारी पहले से ही जुर्माने सहित तमाम मामले लोक अदालत के लिए रखते है। जिसमे किसी की पैरवी की आवश्यकता नही होती। वही डाटा भेजेंगे, जो कि फर्जी है, इस तरह की लोक अदालत का कोई औचित्य नहीं है।

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