हरदोई के किसान परेशान : अपनी फसल बचाने के लिए चंदा इकट्ठा कर आवारा पशुओं को गौशाला भेज रहे

UPT | हरे भरे खेतों को चर रहे आवारा पशु

Dec 27, 2024 10:42

हरदोई जिले में किसानों के लिए एक बड़ी समस्या बन चुके आवारा पशु अब उनके लिए सिरदर्द बन गए हैं। किसानों की मेहनत से उगाई गई फसलें, जैसे गेहूं, रात के समय इन आवारा पशुओं द्वारा चर ली जाती हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। इस समस्या से जूझते हुए किसान अब खुद ही समाधान की तलाश में जुटे हैं और इसके लिए चंदा इकट्ठा कर इन पशुओं को गौशालाओं में भेजने का काम कर रहे हैं।

Short Highlights
  • फसलें जैसे गेहूं, रात के समय आवारा पशुओं द्वारा चर ली जाती हैं।
  • किसान चंदा इकट्ठा करके इन पशुओं को गौशालाओं में भेजने का प्रयास कर रहे हैं।
  • प्रशासन से मदद न मिलने के कारण किसान खुद समाधान खोजने में जुटे हैं।
Hardoi News : हरदोई जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में किसान इन दिनों आवारा पशुओं से परेशान हैं। इन पशुओं की वजह से न केवल किसानों को अपनी फसलें बचाने में कठिनाई हो रही है, बल्कि दुर्घटनाएं भी बढ़ गई हैं। किसानों की मेहनत से उगाई गई फसलें, जैसे गेहूं, रात के समय इन आवारा पशुओं द्वारा चर ली जाती हैं। यह समस्या लंबे समय से बनी हुई है और किसानों ने प्रशासन से कई बार मदद की गुहार भी लगाई, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं निकल सका। अब, इस समस्या से निपटने के लिए किसान खुद ही चंदा जमा कर इन आवारा पशुओं को पकड़े हुए गौशालाओं में भेजने का काम कर रहे हैं। 

चंदा जुटाकर गौशालाओं में भेज रहे पशु
हरदोई जिले के कई गांवों में किसान मिलकर चंदा इकट्ठा कर आवारा पशुओं को पकड़ने और उन्हें गौशाला में भेजने का काम कर रहे हैं। इस प्रक्रिया में उनका उद्देश्य उन पशुओं को पकडक़र सुरक्षित स्थानों पर भेजना है, ताकि ये फसलें न चर सकें। हालांकि, किसान यह भी कहते हैं कि गौशालाओं में भेजने के बाद भी कई बार इन पशुओं को रात के समय फिर से खुले में छोड़ दिया जाता है, जिससे उनकी समस्या का समाधान नहीं हो पाता है। 

इन गांवों में अधिक समस्याएं
हरदोई जिले के विभिन्न गांवों जैसे तपनोर, मानीमऊ, जहदीपुर, धूरा, महोनी, करौदी, आदि में आवारा पशुओं की समस्या चरम पर है। यहां के किसान रात को अपने खेतों में मचान बनाकर सोने को मजबूर हैं, ताकि ये जानवर उनकी फसल को न चरा सकें। गांवों में आवारा पशुओं के कारण किसानों की नींद पूरी नहीं हो पाती और उनका स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रहा है। 

कपिल दीक्षित, जो बहलोली गांव के निवासी हैं, बताते हैं कि उनके क्षेत्र में यह समस्या कई सालों से है। वह खुद भी कई सालों से रात को अपने घर में नहीं सो पाए हैं क्योंकि उनकी फसलें रात भर इन आवारा पशुओं के द्वारा बर्बाद कर दी जाती हैं। यही कारण है कि उन्होंने अपने खेत में मचान बना लिया है, जहां वह रात में सोते हैं। 

स्वास्थ्य पर असर
किसानों का कहना है कि दिन में खेतों में मेहनत करने के बाद रात में इन्हीं आवारा पशुओं से अपनी फसल बचाने के लिए खेतों में सोना पड़ता है। इससे उनकी शारीरिक स्थिति पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। कई किसानों का कहना है कि सर्दी के मौसम में यह समस्या और बढ़ जाती है, और रात भर खेतों में मचान पर सोने के कारण उनकी सेहत बिगड़ने लगी है। 

प्रशासन से निराश किसान
हालांकि किसान कई बार इस समस्या को लेकर प्रशासन से मदद की गुहार लगा चुके हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। किसानों की शिकायत है कि जब तक प्रशासन के स्तर से इस समस्या का समाधान नहीं होगा, तब तक वे खुद ही अपने स्तर पर कुछ कदम उठाने के लिए मजबूर हैं। इसलिए अब वे एकजुट होकर चंदा जमा कर इन आवारा पशुओं को गौशालाओं में भेजने की व्यवस्था कर रहे हैं।

आवारा पशुओं की समस्या का हल जरूरी
किसानों का कहना है कि यह समस्या दिन-ब-दिन गंभीर होती जा रही है और अगर इस पर जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो किसानों की स्थिति और भी खराब हो सकती है। उनके लिए यह आवारा पशुओं के साथ जंग जैसी स्थिति बन गई है। वे चाहते हैं कि प्रशासन इस समस्या पर शीघ्र ध्यान दे और किसानों को राहत दिलाने के लिए ठोस कदम उठाए। 

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