माता रानी की महिमा अपरंपार : नवरात्रों में मां काली की पूजा से खुलते हैं तरक्की और सुख-समृद्धि के रास्ते

UPT | मां काली की महिमा अद्भूत है।

Apr 09, 2024 23:51

ऐसा मानना है कि मां काली भक्तों को गंभीर बीमारियों, शत्रुओं से विजय और रिद्धि-सिद्धि का आशीर्वाद भी देती हैं। नवरात्रि में महाकाली कई स्वरूप में विद्यमान है, जिनकी अलग-अलग पूजा-अर्चना से अलग-अलग सिद्धियों की प्राप्ति होती है।

Short Highlights
  • हरदोई में है मां काली का रहस्यमयी अद्भुत चमत्कारिक मंदिर
  • नवरात्रि में लगती है भक्तों की भारी भीड़, मां की महिमा से जुड़ा विशेष आध्यात्मिक वर्णन 
Hardoi News : हरदोई जिले में विश्व विख्यात काली मंदिर में मां काली की विकराल प्रतिमा विराजमान है। जिन्हें ज्यादातर लोग श्मशान काली के नाम से जानते हैं। इस चमत्कारी पौराणिक मंदिर में अक्सर चमत्कारों का सिलसिला जारी रहता है। मंदिर में नंगे पैर सुबह से लेकर देर रात तक भक्तों का तांता लगा रहता है। तिलिस्मी चमत्कारिक तांत्रिक साधना करने वाले संत महात्मा श्मशान काली की उपासना में तल्लीन रहते हैं। हालांकि यह आम लोगों के सामने देखने को कम ही मिलते हैं, लेकिन देर रात श्मशान में इनकी आवाज और हलचल बढ़ जाती है।

ऐसा मानना है कि मां काली भक्तों को गंभीर बीमारियों, शत्रुओं से विजय और रिद्धि-सिद्धि का आशीर्वाद भी देती हैं। नवरात्रि में महाकाली कई स्वरूप में विद्यमान है, जिनकी अलग-अलग पूजा-अर्चना से अलग-अलग सिद्धियों की प्राप्ति होती है। ऐसी ही कुछ अनोखी चमत्कारी पूजा-अर्चना से हम आपको रूबरू कराने जा रहे हैं

ऐसे खुलते हैं तरक्की के रास्ते
जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी यतीद्रानंद गिरि जी महाराज बताते हैं कि हर तरीके की बाधा से मुक्ति के लिए मां काली के विशेष स्वरूपों की पूजा-अर्चना करने से भक्तों को विशेष कष्टों से मुक्ति मिलती है। मंगलवार के दिन काली को प्रसन्न करने के लिए तीन माला बीज मंत्र जाप करने से बाधाओं से मुक्ति मिलती है। काली माता के चरणों में स्वेत अबीर अर्पित करने से गंभीर बीमारियों से मुक्ति मिलती है। सूर्योदय के बाद काले धागे में 21 नींबू की माला बनाकर मां काली को चढ़ाने से शत्रुओं से मुक्ति मिलती है। शत्रुओं का विनाश होता है। वही मां काली के चरणों में लाल गुलाब चढ़ाने से प्रगति, धन और विद्या के क्षेत्र में तरक्की के रास्ते खुल जाते हैं। देवी भागवत पुराण के मुताबिक काली माता को अत्यंत प्रिय है गुड का प्रसाद। इसे गरीबों में वितरित करने से मां काली प्रसन्न होती है और धन संबंधित सभी परेशानियों को दूर कर देती हैं। माता को दो मुंह वाला दीपक जलाने से शत्रु भी मित्र बनने लगते हैं। मां काली के अनेक स्वरूपों की पूजा-अर्चना करने से मनुष्य को पांचों भौतिक सुखों से मां काली परिपूर्ण कर देती है।

श्मशान काली की साधना में तांत्रिक साधना का विशेष महत्व
ज्योतिषाचार्य लालता प्रसाद त्रिपाठी बताते हैं कि शुक्रवार के दिन श्मशान काली की तांत्रिक साधना का विशेष महत्व है। माता के पूजन में गुलाबी या हल्के लाल वस्त्रों का विशेष महत्व है। प्रचंड काली की प्रतिमा के समक्ष बैठकर गूग्गल की धूप जलाकर गुलाब के लाल पुष्पों को अर्पित कर माता रानी की पूजा-अर्चना शुरू की जाती है। ओम क्रीं कालिकाएं नमः की 13 मालाओं का जाप करने के बाद में प्रसाद में पेड़े और लौंग को अर्पित किया जाता है। वही मंत्र जाप करने के 10 मिनट तक जल का स्पर्श वर्जित है। रात में श्मशान काली की विशेष पूजा-अर्चना की बाद में मनवांछित फलों की प्राप्ति होने लगती है।

श्मशान में की गई तंत्र साधना के दौरान किसी भी आहत के समय पीछे देखना पूरी तरीके से वर्जित है। पूजा-अर्चना जैसे-जैसे आगे बढ़ती रहती है, आपको कई तरीके के भान होने लगते हैं माता को लाल कुमकुम, लाल फूल, अक्षत, पेड़े और हलवा अत्यंत प्रिय है, इस सामग्री का पूजा में अत्यंत महत्व है। ओम क्रीं नमः का 108 बार लाल आसन पर बैठकर जाप करने से सिद्धियां संपूर्ण होती जाती हैं। तंत्र सिद्धि संपूर्ण होने के बाद में छोटी कन्याओं को फूल, चुनरी, नारियल और प्रसाद वितरण करने के बाद में माता से क्षमा याचना कर अपने रोजमर्रा के कार्य निपटाए जा सकते हैं। वैदिक रूप से मां काली महाकाली भद्रकाली की तिलस्मी पूजा-अर्चना करने के बाद में मानव जीवन में विशेष बदलाव आता है। सभी सुखों की प्राप्ति होती है। मनवांछित फल स्वत जीवन में मिलने लगते हैं।

श्मशान काली की अनसुनी कहानी
साधक बच्चा बाबा बताते हैं कि माता की औघड़ अघोरी के द्वारा की जाने वाली पूजा-अर्चना बिल्कुल अलग और अनदेखी है। यह लोग श्मशान में मुर्दे के ऊपर बैठकर तंत्र साधना करते हैं। इसे देखना भी खतरनाक है। जलते हुए मुर्दे के साथ में या फिर उस पर बैठकर की जाने वाली पूजा अर्चना आम आदमी के द्वारा नहीं देखी जा सकती है। यह मध्य रात्रि को होने वाली अनोखी और डरावनी पूजा-अर्चना है। काली के प्रभावशाली मंत्रों के द्वारा तेज आवाज में एकांत में होने वाले इस अनुष्ठान का अपना एक अलग महत्व है। इसमें 22 अक्षरी श्री दक्षिण काली मंत्र, एकाक्षरी काली मंत्र, तीन अक्षरी काली मंत्र, पांच अक्षरी काली मंत्र, षडाक्षरी काली मंत्र आदि से यह पूजा-अर्चना की जाती है। कई बार तो इस पूजा-अर्चना के दौरान सड़क को पीछे से और दाएं और बाएं से महाकाली के अनेकों रूपों का भान होने लगता है, महाकाली श्मशान की महारानी देवी है इनकी भी अनेकों सेविकाएं या स्वरूप है, जिनका जितना भी बखान किया जाए कम ही है वेदों में इनकी पूजा-अर्चना के अनेकों तरीके बताए गए हैं।
 

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