वन नेशन-वन इलेक्शन पर माया ने तोड़ी चुप्पी : कैबिनेट के फैसले को बताया सकारात्मक, लेकिन रखी अहम शर्त

UPT | बसपा सुप्रीमो मायावती

Sep 18, 2024 18:11

वन नेशन-वन इलेक्शन के प्रस्ताव को नरेंद्र मोदी कैबिनेट ने बुधवार को मंजूरी दे दी है। सरकार अगले सत्र में इसके लिए बिल लेकर आएगी। इसको लेकर लंबे वक्त से केंद्र सरकार कवायद कर रही थी...

Lucknow News : वन नेशन-वन इलेक्शन के प्रस्ताव को नरेंद्र मोदी कैबिनेट ने बुधवार को मंजूरी दे दी है। सरकार अगले सत्र में इसके लिए बिल लेकर आएगी। इसको लेकर लंबे वक्त से केंद्र सरकार कवायद कर रही थी। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी समिति ने रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी थी। वहीं वन नेशन-वन इलेक्शन के प्रस्ताव पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी सहमति जताई।

'एक देश, एक चुनाव' पर बसपा का समर्थन
मायावती ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर पोस्ट कर कहा कि ’एक देश, एक चुनाव’ की व्यवस्था के तहत देश में लोकसभा, विधानसभा व स्थानीय निकाय का चुनाव एक साथ कराने वाले प्रस्ताव को केन्द्रीय कैबिनेट द्वारा आज दी गयी मंजूरी पर हमारी पार्टी का स्टैण्ड सकारात्मक है, लेकिन इसका उद्देश्य देश व जनहित में होना ज़रूरी।
  पूर्व राष्ट्रपति की अगुवाई में बनी थी कमेटी
बता दें कि अभी एक दिन पहले गृह मंत्री अमित शाह ने मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर कहा था कि सरकार इसी कार्यकाल में ही वन नेशन-वन इलेक्शन को लागू करेगी। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई वाली समिति ने वन नेशन वन इलेक्शन के लिए अपनी रिपोर्ट मार्च में प्रस्तुत की थी। समिति ने सिफारिश की थी कि पहले चरण में लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाने चाहिए। इसके बाद, इन चुनावों के 100 दिन के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव भी आयोजित किए जाने चाहिए। इस पहल का उद्देश्य देश भर में एक निश्चित समयावधि में सभी स्तर के चुनाव संपन्न करना है।


पीएम मोदी रहे हैं पक्षधर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुरुआत से ही एक देश-एक चुनाव के पक्षधर रहे हैं। उनका मानना है कि चुनावों की प्रक्रिया को सीमित किया जाना चाहिए ताकि पूरे पांच साल राजनीति का माहौल न बने। उन्होंने इसे आर्थिक दृष्टि से भी फायदेमंद बताया, जिससे चुनावों के प्रबंधन में खर्च में कमी आएगी। कोविंद समिति ने 62 राजनीतिक दलों से संपर्क किया, जिनमें से 32 ने वन नेशन वन इलेक्शन का समर्थन किया था। जेडीयू और एलजेपी (आर) जैसे दलों ने इसे समय और पैसे की बचत का जरिया बताया। वहीं, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, और आम आदमी पार्टी समेत 15 दलों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया था।

इतना भी आसान नहीं है सफर
वन नेशन-वन इलेक्शन के प्रस्ताव को भले ही कैबिनेट की मंजूरी मिल गई हो, लेकिन ये सफर इतना भी आसान नहीं है, जैसा लग रहा है। पहले केंद्र सरकार इसे शीतकालीन सत्र में संसद में लेकर आएगी। ये संविधान संशोधन वाला बिल होगा, इसलिए इसमें राज्यों की सहमति भी जरूरी होगी। सरकार की कोशिश है कि 2029 में इसे पूरी तरह से लागू कर दिया जाए।

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