फलों के राजा को मिलेगा नया जीवन : 21 सितंबर को सीआईएसएच करेगा राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन, देश-विदेश के विशेषज्ञ करेंगे चर्चा

UPT | आम

Sep 19, 2024 16:49

आम जिसे फलों का राजा कहा जाता है, केवल एक स्वादिष्ट फल नहीं, बल्कि भारतीय कृषि और अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। इसे खास बनाने के लिए 21 सितंबर को राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गाया है।

Lucknow News : आम जिसे फलों का राजा कहा जाता है, केवल एक स्वादिष्ट फल नहीं, बल्कि भारतीय कृषि और अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। यह न केवल हमारे देश के किसानों के लिए आजीविका का स्रोत है, बल्कि इसके अंतरराष्ट्रीय व्यापार से भारत को हर साल भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा भी प्राप्त होती है। उत्तर प्रदेश में आम उत्पादन में लगातार वृद्धि हो रही है, और इसी के चलते इस फल को और अधिक खास बनाने के लिए 21 सितंबर को केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (सीआईएसएच), रहमानखेड़ा में एक राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की जाएगी। इस संगोष्ठी का उद्देश्य आम की उपज और गुणवत्ता में सुधार के लिए नई रणनीतियों और शोध प्राथमिकताओं पर चर्चा करना है। इसमें देश और विदेश के प्रमुख वैज्ञानिक हिस्सा लेंगे और आम की खेती में आ रही चुनौतियों और संभावनाओं पर गहन विचार-विमर्श करेंगे।

भारत आम उत्पादन का प्रमुख केंद्र
केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के निदेशक टी. दामोदरन के अनुसार, आम दुनिया के उष्ण और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों और विशेष रूप से एशिया के प्रमुख फलों में से एक है। भारत इस फल का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। वैश्विक स्तर पर कुल 58.3 मिलियन मीट्रिक टन आम उत्पादन में से 24.7 मिलियन मीट्रिक टन उत्पादन अकेले भारत में होता है। यही नहीं, भारत ताजे आमों के सबसे बड़े निर्यातकों में से भी एक है। वर्ष 2022-23 के दौरान भारत ने 48.53 मिलियन डॉलर मूल्य के 22,963.76 मीट्रिक टन ताजे आमों का निर्यात किया था।

आम के निर्यात में उत्तर प्रदेश की भूमिका
उत्तर प्रदेश आम उत्पादन में पूरे देश में आगे चलने वाला राज्य है। यह राज्य देश के कुल आम उत्पादन का लगभग 23.6% योगदान देता है। इसके बाद आंध्र प्रदेश का स्थान आता है, जो लगभग 22.99% आम का उत्पादन करता है। राज्य की विभिन्न प्रजातियों के आम अपनी उच्च गुणवत्ता और स्वाद के लिए पूरे देश में मशहूर हैं। इस साल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों के चलते उत्तर प्रदेश से पहली बार आम का निर्यात अमेरिका को किया गया। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा हर साल आम महोत्सव का भी आयोजन किया जाता है, जिससे राज्य के आम को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में पहचान दिलाई जा सके। इसके अलावा, योगी सरकार ने आम के नए बाग लगाने और पुराने बागों के जीर्णोद्धार के लिए प्रति हेक्टेयर अनुदान की भी व्यवस्था की है। जीर्णोद्धार (कैनोपी प्रबंधन) में आने वाली कठिनाइयों को दूर करने के लिए सरकार ने कुछ महीने पहले शासनादेश भी जारी किया था।

आम उत्पादन में चुनौतियां और समाधान
भारत आम उत्पादन में विश्व में सबसे आगे है, लेकिन यहां की औसत राष्ट्रीय उत्पादकता अब भी वैश्विक औसत से कम है। इसका प्रमुख कारण विभिन्न रोगों और मौसम की अनियमितताओं का आम की फसल पर पड़ने वाला प्रभाव है। आम की फसल पर झुलसा रोग, एन्थ्रेक्नोज, फल मक्खी, थ्रिप्स, हॉपर जैसी बीमारियों का प्रकोप होता है। इसके अलावा, अत्यधिक तापमान, अनियमित वर्षा, पाला, लवणीय और क्षारीय मिट्टी जैसी समस्याएं भी आम की पैदावार और गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं। अनियमित मौसमी घटनाओं का भी आम के विकास, फूल और फल लगने की प्रक्रिया, फलों की वृद्धि और उनकी गुणवत्ता पर असर पड़ता है। इसके अलावा, उच्च गुणवत्ता वाली रोपण सामग्री की कमी, बाग प्रबंधन की कमियां, प्रशिक्षण की अनुपलब्धता, और उच्च घनत्व वाले बागों की कमी जैसी समस्याएं आम की उत्पादकता को और भी कठिन बना देती हैं।

आम पर शोध में हो रहे नए प्रयास
भारत में आम की 70 से अधिक उन्नत प्रजातियां और संकर किस्में विकसित की जा चुकी हैं। इनमें से कुछ प्रमुख किस्में केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान द्वारा विकसित की गई हैं, जिनमें सीआईएसएच-अंबिका, सीआईएसएच-अरुणिका, अवध समृद्धि और अवध मधुरिमा शामिल हैं। इसके अलावा, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा), नई दिल्ली ने भी कई उन्नत किस्में जैसे पूसा अरुणिमा, पूसा सूर्या, पूसा प्रतिभा, पूसा श्रेष्ठ विकसित की हैं। इनके अलावा, आईसीएआर-भारतीय बागवानी शोध संस्थान, बेंगलुरु ने भी अर्का सुप्रभात, अर्का अनमोल, अर्का उदय जैसी प्रजातियां विकसित की हैं। भौगोलिक आवश्यकताओं के कारण इनमें से कुछ ही प्रजातियां पूरे देश में व्यावसायिक रूप से उगाई जाती हैं।

संगोष्ठी में हिस्सा लेने वाले वैज्ञानिक
इस राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन आईसीएआर, नई दिल्ली के उप महानिदेशक (बागवानी) डॉ. संजय कुमार सिंह के नेतृत्व में किया जाएगा। इस आयोजन के मुख्य अतिथि चंद्रशेखर आजाद कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (कानपुर) के कुलपति डॉ. ए.के. सिंह होंगे। इनके अलावा कई प्रमुख वैज्ञानिक और शोधकर्ता भी इस आयोजन का हिस्सा होंगे। विदेश से भी इस कार्यक्रम में आम पर काम करने वाले विशेषज्ञ शामिल होंगे। इनमें क्वींसलैंड, ऑस्ट्रेलिया के डॉ. नटाली डिलन और डॉ. इयान एस.ई. बल्ली, वोल्केनी इंस्टीट्यूट, इज़राइल के डॉ. युवल कोहेन और अन्य विशेषज्ञ अपनी प्रस्तुतियां देंगे।

गोष्ठी में इन विषयों पर होगी चर्चा
  • नियमित फलत, उच्च पैदावार, आकर्षक फल रंग, लंबी शैल्फ-लाइफ, व्यापक अनुकूलनशीलता और जलवायु लचीलापन के लिए आम की किस्मों का प्रजनन।
  • लवणता सहिष्णुता और बौनेपन के लिए मूलवृंत प्रजनन।
  • जीनोमिक चयन और तेज प्रजनन दृष्टिकोण का उपयोग करके सटीक प्रजनन।
  • उन्नत आम की किस्मों/संकर किस्मों का क्लोनल और हाफ-सिब चयन।
  • मैंगीफेरा की संबंधित प्रजातियों से प्राकृतिक जीनों का दोहन।
  • विरासत, किसानों, पारंपरिक और जीआई किस्मों का खेत पर संरक्षण आदि।

Also Read