राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम : 30 फीसदी मरीजों पर दवा का कोई असर नहीं, KGMU के प्रशिक्षण कार्यक्रम में एक्सपर्ट्स के चौंकाने वाले खुलासे

UPT | केजीएमयू में राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम।

Feb 14, 2024 17:09

लखनऊ के केजीएमयू में प्रदेश भर से डॉक्टर्स टीबी मरीजों का इलाज करने का प्रशिक्षण लेने पहुंचे। यहां प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें कई चौंकाने वाले खुलासे भी सामने आए हैं। 

Short Highlights
  • एक्सपर्ट्स ने बताया कि 86% सही हो रहे मरीजों में 66% लोग ड्रग रेसिस्टेंट हो गए हैं
  • सही समय पर इलाज करने और पूरा इलाज करने पर बीमारी जड़ से खत्म हो सकती है

 

Lucknow News : राजधानी लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) में बुधवार को राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत चल रहे राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें कई चौंकाने वाले खुलासे भी सामने आए हैं। एक्सपर्ट्स की अगर मानें तो 30% ट्यूबरक्लोसिस के मरीजों पर बॉडी रेजिस्टेंस होने के कारण दवा का कोई असर नहीं हो रहा है। बताते चलें ट्यूबरक्लोसिस की बीमारी बैक्टीरियल इन्फेक्शन की वजह से लोगों में होती है वहीं उनके संपर्क में आने वाले 10% लोग बीमारी की चपेट में भी आए हैं।

क्या है ट्यूबरक्लोसिस
जिस तरह से हम अपनी आंखों से संसार को देखते हैं इस तरह से एक छिपा हुआ संसार भी है, जो सूक्ष्मजीवों का है। इन जीवों को हम अपनी आंखों से सीधे तौर पर नहीं देख सकते हैं। इन्हें देखने के लिए हमें माइक्रोस्कोप का सहारा लेना पड़ता है। ट्यूबरक्लोसिस बीमारी क्रॉनिक संक्रामक संक्रमण है, जो एयरबोर्न बैक्टीरिया माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस के कारण होता है। इस बीमारी के चलते आमतौर पर फेफड़ों में संक्रामक रोग की अधिकता बढ़ जाती है। बहरहाल इस बीमारी की वजह से शरीर का कोई भी अंग प्रभावित हो सकता है।

एक्सपर्ट्स ने मरीजों के इलाज के लिए सलाह दी
बुधवार को राजधानी लखनऊ के केजीएमयू के रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग में प्रदेश भर से डॉक्टर्स टीबी मरीजों का इलाज करने का प्रशिक्षण लेने पहुंचे। जहां एक्सपर्ट्स ने मरीजों के इलाज के लिए सलाह दी और आने वाले समय में नए आ रहे मरीजों का इलाज कैसे किया जाए इस पर भी एक्सपर्ट्स ने अपनी राय रखी।

ला इलाज नहीं है यह बीमारी
एक्सपर्ट्स ने बताया कि टीबी के मरीज बेहद संक्रामक है। जिस तरह से उनकी बॉडी में रजिस्टेंस का गुण डेवलप हो रहा है ऐसे में उनके संपर्क में आने वाले लोग भी संक्रमित हो रहे हैं। एक्सपर्ट्स ने जानकारी देते हुए बताया कि 86% सही हो रहे मरीजों में 66% लोग ड्रग रेसिस्टेंट हो गए हैं। वहीं एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह बीमारी ला इलाज नहीं है। बहरहाल पहले के समय में इंजेक्शन के जरिए बीमारी का इलाज किया जाता था लेकिन आज के दौर में टैबलेट देकर मरीजों का इलाज किया जा रहा है। सही समय पर इलाज करने और पूरा इलाज करने पर बीमारी जड़ से खत्म हो सकती है।

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