लखनऊ में बाघ की दहशत बरकरार : अब दुधवा से बुलाए हाथी से तेज होगी तलाश, पीलीभीत टाइगर रिजर्व से पहुंची टीम

UPT | लखनऊ में बाघ की दहशत बरकरार

Dec 27, 2024 10:31

वन विभाग की कुल 35 सदस्यीय टीम बाघ को पकड़ने के लिए दिन-रात प्रयासरत है। इसमें पांच टीमें अवध वन प्रभाग की, दो टीमें हरदोई और सीतापुर वन प्रभाग की और वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया की विशेषज्ञ टीम भी शामिल है।

Lucknow News : शहर में रहमानखेड़ा स्थित केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के जंगल में बीते 24 दिनों से बाघ की मौजूदगी ने इलाके में दहशत फैला रखी है। तमाम कोशिशों और ट्रैप कैमरों से निगरानी के बावजूद बाघ को अब तक पकड़ा नहीं जा सका है। वन विभाग अब दुधवा नेशनल पार्क से हाथी बुलाने जा रहा है। अधिकारियों के अनुसार इससे बाघ की तलाश में मदद मिलेगी। हाथी के प्रशिक्षित होने की वजह से बाघ को तेजी से तलाशा जा सकेगा। प्रभागीय निदेशक शितांशु पांडेय ने बताया कि पीलीभीत टाइगर रिजर्व से डॉक्टर दक्ष के नेतृत्व में विशेषज्ञों की टीम पहले ही पहुंच चुकी है।

रेलवे लाइन के पास तलाश में भी टीम रही खाली हाथ
संस्थान के जंगल और आसपास के गांवों में बाघ लगातार शिकार कर रहा है। चौथे ब्लॉक में लगाए गए पिंजरे के पास बांधे गए पड़वे का शिकार करने के बाद बाघ ने उसे जंगल में खींच लिया था। वहीं सहिलामऊ गांव के पास बाघ ने पड़वे के अवशेष भी खा लिए हैं। वन विभाग की टीमें बाघ की गतिविधियों का क्षेत्र तय करने में अब तक नाकाम रही हैं। ताजा जानकारी मिलने पर संस्थान के जंगल के पास मीठे नगर गांव की ओर जाने वाले मार्ग और रेलवे लाइन के पास बाघ की तलाश की गई। हालांकि, जब टीम वहां पहुंची, तो बाघ को पकड़ना नहीं जा सका। प्रभागीय निदेशक के अनुसार, बाघ के मूवमेंट की सूचना मिली। लेकिन, बाघ को पकड़ने में सफलता नहीं मिली।



35 लोगों की टीमें कर रही हैं बाघ को पकड़ने का प्रयास
वन विभाग की कुल 35 सदस्यीय टीम बाघ को पकड़ने के लिए दिन-रात प्रयासरत है। इसमें पांच टीमें अवध वन प्रभाग की, दो टीमें हरदोई और सीतापुर वन प्रभाग की और वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया की विशेषज्ञ टीम भी शामिल है। विगत 21 दिसंबर से ट्रैंकुलाइज करने के लिए लखनऊ और कानपुर चिड़ियाघर के वन्यजीव चिकित्सक भी इस अभियान में लगे हैं।

रात में ज्यादा सक्रिय है बाघ, मूवमेंट ट्रेस करने में मुश्किल
वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि बाघ की ज्यादातर गतिविधियां रात में होती हैं। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की एसओपी के तहत रात में बाघ को ट्रैंकुलाइज करना संभव नहीं है, जिससे उसे पकड़ने में बड़ी कठिनाई हो रही है। रहमानखेड़ा का घना जंगल इस काम को और जटिल बना देता है।

पगमार्क और शिकार से लगातार हो रही मूवमेंट की पुष्टि
पगमार्क और बाघ द्वारा किए गए शिकार से उसकी मौजूदगी की पुष्टि होती है। लेकिन, रात में दिखने के कारण उसे पकड़ना चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। इंसानी बस्तियों में आने वाले बाघों पर कॉलर आईडी लगाने की मांग काफी समय की जा रही है, ताकि उन्हें जंगल में छोड़ने के बाद उनकी गतिविधियों पर नजर रखी जा सके। हालांकि, इस पर अभी निर्णय नहीं किया जा सका है।

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