जैविक खेती आज की जरूरत : सोनभद्र के दो युवा किसान का कमाल ताइवानी पपीते की खेती से कमा रहे है लाखों का मुनाफ़ा

Tricity Today | पपीते की खेती

Dec 24, 2023 15:53

सोनभद्र जिले के पसही कला गांव में दो युवा किसानों ने करीब 4 बीघा में ताइवानी पपीते की खेती कर एक रिकॉर्ड बनाया है। युवा किसानों का कहना है कि पपीता की खेती...

Sonbhadra (ज्ञान प्रकाश चतुर्वेदी) : सोनभद्र जिले के पसही कला गांव में दो युवा किसानों ने करीब 4 बीघा में ताइवानी पपीते की खेती कर एक रिकॉर्ड बनाया है। युवा किसानों का कहना है कि पपीता की खेती धान,गेंहू,सब्जी या किसी अन्य फसलो से ज्यादा मुनाफा देती है। युवा किसानों को पपीता की खेती के लिए सोनभद्र जिला उद्यान विभाग की ओर से मदद मिल रहा है। सरकार की तरफ से सब्सिडी का लाभ उठाकर दोनो युवा किसान पपीते की खेती से लाखों कमा रहे है।

पपीते की खेती में मुनाफा 
जिला मुख्यालय से सटे वाराणसी शक्तिनगर मार्ग के पसही कला गांव में दो युवा किसान करीब 4 बीघा में ऑर्गेनिक तरीके से ताइवानी पपीते की खेती कर रहे है। युवा किसानों का कहना है कि पपीते की खेती का गर्मियों में तेजी से विकास होता है। अभी ठंड ज्यादा है,लेकिन जब तापमान थोड़ा बढ़ेगा तो पपीते की खेतीहोगी। जिसके बाद अगले 5 से 8 महीनों में 4 बीघे पपीते की खेती से 2 से 3 लाख रुपये की कमाई होने की उम्मीद है। ताइवानी पपीते की खेती कम लागत में अधिक फायदा देने वाली खेती है। किसान अंकित पाठक का कहना है कि पिछली बार 7 कुंतल के ऊपर ताइवानी पपीते को स्थानीय बाज़ारो में बेचा था और चार-पांच महीने बाद 500 कुंतल से ज्यादा फसल निकलने की संभावना है। किसान ने बताया कि एक पेड़ से 20 से 25 पपीता निकले, तो 40 से 50 किलो फल मिलेगा। बाजार में पपीता 30 से 40 रुपये किलो के दर से बिकता है। अगर किसान थोक में 25-30 रुपये भी बेचे तो एक पौधे से औसतन करीब 1000 से 1500 हजार रुपये की कमाई होगी। अगर पपीते का वजन एक किलो भी होता है तो एक पेड़ से 40 से 50 किलो पपीते का फल आसानी से लिया जा सकता है।

जैविक खेती और सही प्लानिंग अन्य किसानों के लिए प्रेरणा
किसान अभिषेक द्विवेदी ने बताया कि ताइवानी पपीता की खेती एक अच्छा व्यवसाय है। हमने बिना रासायनिक खाद के पूरी तरह से पारंपरिक और जैविक खेती से अपनाकर पौधे लगाया गया, जिससे पपीते के पौधें में फसल भी ठीक आयी। जिसके बाद अब जैविक खेती और सही प्लानिंग गांव के अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बन गई है। पपीता की खेती में नुकसान की बात करें त वायरस जनित रोग का खतरा बना रहता है। लेकिन इससे बचा लेने पर पपीते की खेती अच्छी होती है।

पपीता पेप्सिन नामक पाचक तत्व का प्राकृतिक स्रोत
आयुष चिकित्सालय लोढ़ी के नोडल अधिकारी डॉ शिव प्रकाश तिवारी का कहना है कि पपीता न सिर्फ़ एक फल है, बल्कि औषधिय गुणों का खजाना है। इस पपीते की फल में प्रोटीन, बीटा, केरोटीन, थायमिन, रीबोफ्लेविन और कई विटामिन्स पाए जाते है। प्रचुर मात्रा में विटामिन ए,बी और सी के साथ ही कुछ मात्रा में विटामिन-डी भी मिलता है। पपीता पेप्सिन नामक पाचक तत्व का एकमात्र प्राकृतिक स्रोत है। इसमें कैल्शियम और कैरोटीन भी अच्छी मात्रा में मिलता है। इसके अलावा फॉस्फोरस, पोटेशियम, आयरन, एंटीऑक्सीडेंट्स, कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन भी होता है। पपीता सालभर बाजार में उपलब्ध होता है।

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