यूपी के किसानों को लहसुन की खेती के लिए 12 हजार का अनुदान : बागवानी विकास मिशन के तहत 45 जनपदों में योजना लागू

UPT | यूपी के किसानों को लहसुन की खेती के लिए 12 हजार अनुदान

Nov 11, 2024 01:27

योजना का लाभ ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के आधार पर दिया जाएगा। इच्छुक किसान अपने जिले के जिला उद्यान अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं या विभाग की वेबसाइट http://dbt.uphorticulture.in पर जाकर ऑनलाइन पंजीकरण कर सकते हैं।

Lucknow News : राज्य में लहसुन की खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार ने एकीकृत बागवानी विकास मिशन के तहत विशेष योजना लागू की है। यह मिशन भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित है और इसे प्रदेश के 45 जिलों में लागू किया गया है। इनमें सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बुलंदशहर, गाजियाबाद, बरेली, मुरादाबाद, आगरा, मथुरा, मैनपुरी, हाथरस, कानपुर, इटावा, कन्नौज, लखनऊ, उन्नाव, सीतापुर, रायबरेली, बाराबंकी, सुल्तानपुर, प्रयागराज, कौशांबी, प्रतापगढ़, वाराणसी, जौनपुर, गाजीपुर, बस्ती, संतकबीरनगर, सिद्धार्थनगर, बलिया, कुशीनगर, महराजगंज, बांदा, हमीरपुर, जालौन, चित्रकूट, महोबा, ललितपुर, मिर्जापुर, सोनभद्र, भदोही, गोरखपुर, झांसी, अयोध्या और फर्रुखाबाद शामिल हैं।

12 हजार रुपये मिलेगा अनुदान
योजना के अंतर्गत केंद्र से 60 प्रतिशत और राज्य से 40 प्रतिशत का अनुदान निर्धारित किया गया है। उद्यान विभाग द्वारा प्रति हेक्टेयर 30 हजार रुपये की अनुमन्य इकाई लागत तय की गई है, जिसमें किसानों को प्रति हेक्टेयर 40 प्रतिशत यानी अधिकतम 12 हजार रुपये का अनुदान मिलेगा। यह अनुदान न्यूनतम 0.2 हेक्टेयर से लेकर अधिकतम 4.0 हेक्टेयर तक की भूमि पर मिलेगा। लहसुन के बीज की कीमत 370 से 390 रुपये प्रति किलोग्राम रखी गई है, जो किसानों को राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान, नई दिल्ली द्वारा उपलब्ध कराए जाएंगे।



10 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में खेती का लक्ष्य 
योजना का लाभ ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के आधार पर दिया जाएगा। इच्छुक किसान अपने जिले के जिला उद्यान अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं या विभाग की वेबसाइट http://dbt.uphorticulture.in पर जाकर ऑनलाइन पंजीकरण कर सकते हैं। लहसुन की बढ़ती मांग और उसकी गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए सरकार ने मसाला क्षेत्र विस्तार कार्यक्रम के तहत 10 हजार हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र में लहसुन की खेती का लक्ष्य रखा है। वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए इस योजना के प्रस्ताव को कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, उद्यान
अनुभाग, भारत सरकार को भेजा था, जिस पर केंद्र सरकार ने अनुमति प्रदान की है।

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