UPPCL ने की हाईकोर्ट की अनदेखी : DVVNL-PuVVNL के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का फैसला असंवैधानिक, CBI जांच की मांग

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Dec 08, 2024 18:30

उपभोक्ता परिषद में बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि अब पावर कारपोरेशन इतनी जल्दबाजी में है कि वह रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) या अन्य मसौदे को बिना विद्युत नियामक आयोग में ले जाए कैबिनेट में ले जाकर मंजूर कराना चाहता है। इसकी भी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।

Lucknow News :  प्रदेश में दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम (DVVNL) और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम (PuVVNL) को पीपीपी मॉडल के तहत निजी क्षेत्र में दिए जाने के मामले पर विधिक पेंच फसता नजर आ रहा है। इस बीच उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद की याचिका में अपने को फंसता देख उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने दक्षिणांचल व पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स से अपने को अधिकृत कराया गया है कि वह कोई भी निर्णय कर सकता है। इस पर संगठन ने सवाल खड़े किए हैं।

दक्षिणांचल व पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम को नियामक आयोग से मिला है लाइसेंस
उपभोक्ता परिषद ने इसे यूपीपीसीएल की गलतफहमी करार दिया है। संगठन ने रविवार को अपने बयान में कहा कि शायद यूपीपीसीएल प्रबंधन को नहीं पता है कि दक्षिणांचल व पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम विद्युत नियामक आयोग से लाइसेंस प्राप्त हैं। ऐसे में कोई एक लाइसेंस प्राप्त कंपनी बिना लाइसेंस प्राप्त कंपनी को कैसे अपने संबंध में निर्णय करने के लिए अधिकृत कर सकती है। इस पर भी उपभोक्ता परिषद ने पहले ही विद्युत नियामक आयोग (UPERC) में यह प्रस्ताव दाखिल किया है कि दोनों कंपनियां पावर कारपोरेशन के दबाव में कोई भी निर्णय कर सकती हैं इसलिए दोनों कंपनियों के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को बर्खास्त किया जाए। साथ ही इसके बाद प्रशासक की नियुक्ति की जाए। उपभोक्ता परिषद ने कहा कि उसकी बात सच साबित हुई कि असंवैधानिक प्रक्रिया करके जो एलान पावर कारपोरेशन ने किया था, अब उसकी पूरी कलई खुल गई।


     
गुपचुप तरीके से फैसले के बाद कैबिनेट में प्रस्ताव भेजने की क्या जल्दी
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा और व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य ने कहा जितने भी शॉर्ट टर्म पावर परचेज एग्रीमेंट (पीपीए) और लॉन्ग टर्म परचेज एग्रीमेंट पूर्वांचल व दक्षिणांचल ने किए हैं। साथ ही पूर्वांचल व दक्षिणांचल ने अनेक अपील अपीलेट ट्रिब्यूनल फॉर इलेक्ट्रिसिटी (अपटेल) में दाखिल की है, उन सब की वैधानिकता क्या होगी, इस पर विचार किए बिना पूरे मामले को गुपचुप क्यों रखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि इन अहम बिंदुओं को नजरअंदाज करते हुए कैबिनेट में ले जाने की जल्दबाजी क्यों की जा रही है।

उच्चस्तरीय जांच की मांग
उपभोक्ता परिषद में बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि अब पावर कारपोरेशन इतनी जल्दबाजी में है कि वह रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) या अन्य मसौदे को बिना विद्युत नियामक आयोग में ले जाए कैबिनेट में ले जाकर मंजूर कराना चाहता है। इसकी भी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। संगठन ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से जल्दबाजी में इस प्रस्ताव को पास नहीं करने की मांग की। उपभोक्ता उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि जिस प्रकार से माहौल बनाकर जल्दबाजी में निर्णय कराया जा रहा है, उसे ऐसा प्रतीत होता है कि सब कुछ फिक्स है। यह पीपीपी मॉडल फिक्स मॉडल नजर आ रहा है, जिसकी सीबीआई जांच होना जरूरी है।

हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन
अवधेश वर्मा ने कहा कि उच्च न्यायालय इलाहाबाद अपने निर्णय में पूर्व में आदेश पारित कर चुका है कि पावर कारपोरेशन स्वतंत्र रूप से कार्य करने वाली बिजली कंपनियों को कोई भी निर्देश जारी नहीं कर सकता। यहां तो इससे भी आगे बढ़कर दोनों बिजली कंपनियों को निजी क्षेत्र में देने के लिए पावर कारपोरेशन ने अपने को अधिकृत कर लिया। इससे जाहिर होता है कि यूपीपीसीएल प्रबंधन जल्दबाजी में निजी क्षेत्र में देने के लिए उतावला हो रहा है, जो अपने आप में उच्च स्तरीय जांच का मामला है।

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