दृष्टिहीन ने रचा इतिहास : राष्ट्रीय पैरा तैराकी प्रतियोगिता में दिखाई अपनी प्रतिभा, फ्री स्टाइल स्पर्धाओं में जीते कांस्य पदक

UPT | मुन्ना शाह

Nov 03, 2024 13:42

दृष्टिहीन तैराक मुन्ना शाह ने हाल ही में गोवा में हुई राष्ट्रीय पैरा तैराकी प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन करते हुए तीन पदक अपने नाम किए हैं। मुन्ना ने मोमबत्ती बनाने समेत कई अन्य काम भी सीखे।

Noida News : बिहार के छपरा से आए दृष्टिहीन तैराक मुन्ना शाह ने हाल ही में गोवा में हुई राष्ट्रीय पैरा तैराकी प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन करते हुए तीन पदक अपने नाम किए हैं। बीते 22 अक्तूबर को हुई इस प्रतियोगिता में मुन्ना ने 50 मीटर बैक स्ट्रोक, 100 मीटर फ्री स्टाइल और 50 मीटर फ्री स्टाइल स्पर्धाओं में कांस्य पदक जीते। इससे पहले भी उन्होंने स्वर्ण और अन्य पदकों का सिलसिला जारी रखा है। 



बैंक ऑफ इंडिया में कार्यरत हैं मुन्ना शाह
बरौला निवासी मुन्ना शाह वर्तमान में बैंक ऑफ इंडिया में कार्यरत हैं और उन्होंने चैंपियनशिप में दिल्ली का प्रतिनिधित्व किया। मुन्ना ने कहा कि उनकी तैराकी में सफलता का श्रेय उनके बचपन में गांव के तालाब में तैरने को जाता है। उन्होंने बताया, "जब मेरी आंखों की रोशनी थी, तब मैं तालाब में तैराकी किया करता था। दृष्टिबाधित होने के बाद वही अनुभव मेरे काम आया और दिल्ली में तैराकी के लिए अवसर मिला।"

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परिवार से कहासुनी के बाद दिल्ली आया
वर्ष 2014 में परिवार के साथ कहासुनी के बाद मुन्ना ने छपरा से भागकर दिल्ली का रुख किया, जहां उनकी मदद उनके भतीजे ने की। मुन्ना ने बताया कि उनकी आंखों की बीमारी के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं थी और धीरे-धीरे उनकी रोशनी पूरी तरह चली गई।

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मोमबत्ती बनाने का काम सीखा
मुन्ना ने मोमबत्ती बनाने समेत कई अन्य काम भी सीखे। दिल्ली में एक मित्र ने उन्हें तैराकी के बारे में बताया और ट्रायल देने के लिए प्रेरित किया, जिसमें वह सफल रहे। प्रतियोगिता के दौरान उनकी तबीयत खराब होने के बावजूद मुन्ना ने सभी तीन स्पर्धाओं में भाग लिया और सफल होने का जज्बा दिखाया। पिछले वर्ष उन्होंने राष्ट्रीय पैरा तैराकी प्रतियोगिता में दो स्वर्ण और एक रजत पदक जीते थे। 

पत्नी ने दिया हर कदम पर साथ
हफ्ते में दो दिन तालकटोरा स्टेडियम में अभ्यास करने वाले 33 वर्षीय मुन्ना शाह को उनकी पत्नी हर संभव मदद करती हैं। मुन्ना ने कहा, "बिना मदद के मैं ज्यादा दूर नहीं जा सकता। सामान्य दिनों में मैं सप्ताह में दो बार अभ्यास करता हूं, लेकिन प्रतियोगिता के करीब दो महीने तक लगातार तैयारी करता हूं।"

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