वोटिंग से जुड़े फॉर्म 17C पर मचा संग्राम : सुप्रीम कोर्ट में बोला चुनाव आयोग- 'इलेक्शन प्रक्रिया से उठ जाएगा भरोसा'

UPT | वोटिंग से जुड़े फॉर्म 17C पर मचा संग्राम

May 23, 2024 21:37

राजनीतिक पार्टियां लगातार वोटिंग के आंकड़ों में गड़बड़ी के आरोप लगा रही हैं। दावा किया जा रहा है कि मतदान के दिन वोटिंग प्रतिशत कुछ और होता है और एक हफ्ते बाद जब आयोग अंतिम आंकड़े जारी करता है, तब आंकड़ों में 5 फीसदी तक का अंतर हो जाता है।

Short Highlights
  • वोटिंग से जुड़े फॉर्म 17C पर मचा संग्राम
  • सार्वजनिक करने की मांग का EC ने किया विरोध
  • एडीआर ने डाली है याचिका
New Delhi : लोकसभा चुनाव के पांच चरणों का मतदान संपन्न हो चुका है। जबकि छठवें चरण के लिए 25 मई और 1 जून को सातवें चरण के लिए वोट डाले जाएंगे। लेकिन इस बीच राजनीतिक पार्टियां लगातार वोटिंग के आंकड़ों में गड़बड़ी के आरोप लगा रही हैं। दावा किया जा रहा है कि मतदान के दिन वोटिंग प्रतिशत कुछ और होता है और एक हफ्ते बाद जब आयोग अंतिम आंकड़े जारी करता है, तब आंकड़ों में 5 फीसदी तक का अंतर हो जाता है।

एडीआर ने डाली है याचिका
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दायर कर वोटिंग प्रतिशत के आंकड़ों में हेराफेरी का आरोप लगाया। याचिका में कहा गया कि आयोग ने वोटिंग प्रतिशत का डाटा कई दिनों के बाद जारी किया। शुरुआती डेटा और अंतिम डेटा में 5 फीसदी तक का अंतर है। इस आधार पर मांग की गई कि वोटिंग खत्म होने के 48 घंटे के अंदर चुनाव आयोग की वेबसाइट पर फॉर्म 17C की स्कैन्ड कॉपी अपलोड की जाए।

चुनाव आयोग ने जताया विरोध
चुनाव आयोग ने इस मांग का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में 225 पन्नों का हलफनामा दाखिल किया है। आयोग ने कहा कि फॉर्म 17C के डाटा को अगर अपलोड किया जाए, तो इससे चुनावी मशीनरी में अफरा-तफरी पैदा हो सकती है। आयोग ने कहा कि कानूनी तौर पर इसकी कॉपी पोलिंग एजेंट को दी जा सकती है, लेकिन इसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है। वहीं वोटिंग प्रतिशत के आंकड़ों में गड़बड़ी के आरोपों को भी सिरे से खारिज करते हुए चुनाव आयोग ने कहा कि ये आरोप भ्रामक और झूठा है और  वेबसाइट पर कॉपी अपलोड होने के बाद इसकी तस्वीरों से छेड़छाड़ की जा सकती है, जिससे आम जनता का चुनावी प्रक्रिया से भरोसा उठ सकता है।

क्या होता है फॉर्म 17C?
दरअसल चुनावी प्रक्रिया के सही क्रियान्वयन के लिए 1961 में कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स लाया गया था। इसके मुताबिक वोटरों के डाटा से जुड़े दो फॉर्म होते हैं- एक फॉर्म 17A और दूसरा फॉर्म 17C। फॉर्म 17A वो होता है, जिसमें पोलिंग अधिकारी वोट डालने वाले हर एक वोटर की जानकारी दर्ज करता है। वहीं दूसरा फॉर्म 17C, जिसमें एक बूथ पर कुल रजिस्टर्ड वोटर्स और वोट जेने वाले वोटर्स का डाटा होता है। इससे मालूम चलता है कि बूथ पर कितने प्रतिशत वोटिंग हुई है। फॉर्म 17C को वोटिंग खत्म होने के बाद भरा जाता है और इसकी कॉपी पोलिंग एजेंट को भी दी जाती है। इस मामले की सुनवाई अब 24 मई को होगी।

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