Lok Sabha Election 2024 : कैसे होती है वोटों की गिनती, EVM से वीवीपैट पर्चियों का मिलान, कल होने वाली काउंटिंग का पूरा प्रोसेस समझ‍िए

UPT | Election Counting

Jun 03, 2024 15:32

चुनाव आयोग ने मतगणना में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए मतगणना एजेंटों के सामने काउंटिंग की व्यवस्था करते हैं। ईवीएम के पास मतगणना एजेंट नहीं आ सकते इसके लिए बैरिकेडिंग की व्यवस्था की जाती है...

New Delhi : 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए 16 मार्च से शुरू हुआ चुनाव प्रचार 30 मई तक चला। 19 अप्रैल से 1 जून तक सात चरणों में मतदान हुआ। वोटिंग प्रोसेस कुल 43 दिन तक चली। अब कल यानी 4 जून को पिछले 80 दिनों का इंतजार खत्म होने जा रहा है। मतगणना के साथ ही चुनावी मैदान में उतरे प्रत्याशियों के जीत-हार के नतीजे भी घोषित हो जाएंगे। लेकिन क्या आप जानते है कि वोटों की गणना कैसे होता है और कैसे EVM से वीवीपैट पर्चियों का मिलान होता है। आइए, हम मतगणना से जुड़ी कुछ अनछुए पहलुओं के बारे में जानते हैं।

सुबह 8 बजे से शुरू होती है मतगणना
बता दें कि सुबह 8 बजे स्ट्रांग रूम से ईवीएम डीएम की निगरानी में काउंटिंग हॉल तक पहुंचाई जाती है। इस दौरान वहां कड़ी सुरक्षा रहती है। चुनाव आयोग पूरे प्रोसेस में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए ईवीएम मशीनों को स्ट्रांग रूम से काउंटिंग हॉल तक लाने के लिए पार्टियों के पोलिंग एजेंटों को भी शामिल करता है। यह पूरी प्रोसेस सुरक्षित ढंग से की जाती है। 

वोटों की गितनी कैसे होती है?
वोटों की गिनती काउंटिंग हॉल में होती है। दरअसल, लोकसभा चुनाव में मतगणना के लिए एक काउंटिंग हॉल में 14 टेबल लगाई जाती हैं।वहीं, विधानसभा चुनाव के लिए काउंटिंग हॉल में सात टेबलों को लगाया जाता है। वोटों की गितनी की निगरानी रिटर्निंग ऑफिसर करता है जोकि निर्वाचन आयोग सरकार की सलाह से नियुक्त करता है। निर्वाचन आयोग की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, मतगणना के दौरान सबसे पहले पोस्टल बैलेट की गिनती की जाती है। इसकी प्रक्रिया पूरी होने के आधे घंटे बाद ईवीएम से मतों की गिनती की जाती है। पोस्टल बैलेट की होने वाली वोटों की गिनती राउंड कहलाती है।

एक राउंड में कितनी ईवीएम खुलती हैं
निर्वाचन आयोग की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, प्रत्येक राउंड की गिनती के लिए एक साथ 14 ईवीएम खोला जाती हैं। जिसके बाद ईवीएम मशीनों में डाले गए वोटों की गिनती की जाती है। एक राउंड में जब वोटों की गिनती पूरी हो जाती है, तो फिर काउंटिंग हॉल में सजाई गईं 14 टेबलों पर अगले राउंड की गिनती के लिए 14 ईवीएम मशीनों को लाया जाता है। यह जो 14 ईवीएम मशीनों का सेट तैयार किया जाता है, यह एक राउंड की गिनती कहलाता है। मतदाताओं और पोलिंग बूथ की संख्या के आधार पर ईवीएम मशीनों की संख्या घट-बढ़ सकती है। किसी निर्वाचन क्षेत्र में आठ से 10 राउंड की गिनती पूरा होने के बाद जीत-हार के नतीजे घोषित कर दिए जाते हैं, तो कहीं पर 100 से अधिक राउंड तक गिनती चलती है। बताया जा रहा है कि इस बार की मतगणना में आंध्र प्रदेश में 140 राउंड तक मतों की गिनती की जा सकती है।

मतगणना एजेंटों के सामने खोली जाती ईवीएम
चुनाव आयोग ने मतगणना में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए मतगणना एजेंटों के सामने काउंटिंग की व्यवस्था करते हैं। ईवीएम के पास मतगणना एजेंट नहीं आ सकते इसके लिए बैरिकेडिंग की व्यवस्था की जाती है ताकि निश्चित दूरी पर वह काउंटिंग की पूरी प्रक्रिया को देख सकें और उन्हें नोट कर सके। हर राउंड की गिनती पूरी होते ही उनके नतीजे इन एजेंटों को भी बता दिए जाते हैं। इस तरह हर वोट की जानकारी इन एजेंटों के पास रहती है। सभी राउंड पूरे हो जाने के बाद जीत हार का कुल आंकड़ा जारी कर दिया जाता है। कोई आपत्ति होने पर रिटर्निंग ऑफीसर या फिर निर्वाचन अधिकारी से शिकायत भी कर सकते हैं।

वीवीपैट पर्चियों का मिलान कैसे होता है?
निर्वाचन आयोग के मुताबिक ईवीएम मशीनों से जब वोटों की गिनती का प्रोसेस पूरा हो जाता है तब वीवीपैट के मिलान की प्रक्रिया शुरू की जाती है। जिससे वीवीपैट को वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल्स भी कहा जाता है। वीवीपैट पार्टी का नाम, नंबर और चुनाव चिह्न दर्ज करता है, जो मतदान के समय मतदाता को लगभग सात सेकंड तक दिखाई देता है। इसे बाद में मशीन में कलेक्ट कर दिया जाता है और इसका इस्तेमाल ईवीएम के नतीजों की पुष्टि के लिए किया जा सकता है। वीवीपैट का सत्यापन मतगणना हॉल के भीतर स्थित एक सुरक्षित वीवीपैट काउंटिंग बूथ के अंदर किया जाता है।

चुनाव परिणाम जारी होने के बाद मिलता प्रमाणपत्र
बता दें कि वोटों की गिनती पूरी होने का बाद चुनाव आयोग की ओर से जीते हुए प्रत्याशी को प्रमाण पत्र दिया जाता है। यह प्रमाण पत्र जिला निर्वाचन अधिकारी यानी डीएम की ओर से जारी किया जाता है। यहीं प्रमाणपत्र प्रत्याशी की जीत का सबूत होता है। 

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