जयराम रमेश को चुनाव आयोग से झटका : अमित शाह मामले में आज शाम 7 बजे तक देना होगा जवाब

UPT | जयराम रमेश

Jun 03, 2024 18:07

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने आरोप लगाया था कि लोकसभा चुनाव के लिए मतदान समाप्त होने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देशभर के 150 जिलाधिकारियों को फोन किया था। इसके बाद चुनाव आयोग ने जयराम रमेश को भेजे पत्र में उनसे अपने दावों के सुबूत साझा करने को कहा था।

New Delhi : चुनाव आयोग ने मतगणना से पहले 150 जिलाधिकारियों को प्रभावित करने संबंधी कांग्रेस नेता जयराम रमेश के दावे को एक सप्ताह का समय मांगने के अनुरोध को खारिज कर दिया है। ईसीआई ने उन्हें आज शाम 7 बजे तक जवाब देने को कहा।

मुख्य चुनाव आयुक्त ने मांगा सुबूत
बता दें कि सोमवार को इलेक्शन कमीशन की दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई। इसमें मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) राजीव कुमार ने कांग्रेस नेता जयराम रमेश के इस आरोप पर कि केंद्रीय गृह मंत्री ने डीएम/आरओ (रिटर्निंग ऑफिसर) को फोन किया था। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने विपक्ष को चुनौती दी कि वे उन आरोपों के सुबूत साझा करें जिनमें कहा गया है कि निर्वाचन अधिकारियों और जिलाधिकारियों को चुनाव प्रक्रिया को दूषित करने के लिए प्रभावित किया गया था, ताकि आयोग उनके खिलाफ कार्रवाई कर सके।

आयोग की ओर से पत्र में क्या लिखा गया
वरिष्ठ प्रधान सचिव नरेंद्र एन बुटोलिया ने इस संबंध में आयोग की ओर से जयराम रमेश को पत्र लिखा। इसमें लिखा- प्रिय महोदय, मुझे आयोग के दिनांक 02.06.2024 के समसंख्यक पत्र के जवाब में आपके दिनांक 03.06.2024 के पत्र का संदर्भ देने का निर्देश दिया गया है, जिसके द्वारा आपने विस्तृत उत्तर दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का विस्तार मांगा है। आपका आरोप है कि लगभग 150 संसदीय क्षेत्रों के जिला मजिस्ट्रेटों, जो आरओएस/डीईओ भी हैं, को प्रभावित करने का प्रयास किया गया है, जिसका कल (मंगलवार) होने वाली मतगणना प्रक्रिया की पवित्रता पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। 
   
पत्र में आगे लिखा कि जैसा कि आयोग के दिनांक 2 जून के पत्र में उल्लेख किया गया है, किसी भी डीएम ने आपके द्वारा आरोपित किसी भी अनुचित प्रभाव की सूचना नहीं दी है। इसलिए, आयोग समय विस्तार के आपके अनुरोध को सिरे से खारिज करता है और आपको आज यानी 3 जून सोमवार को 19.00 बजे (शाम 7 बजे) तक अपने आरोप के तथ्यात्मक मैट्रिक्स/आधार के साथ अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश देता है, ऐसा न करने पर यह माना जाएगा कि आपके पास इस मामले में कहने के लिए कुछ भी ठोस नहीं है और आयोग उचित कार्रवाई करने के लिए आगे बढ़ेगा।

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