Loksabha Elections Result : यूपी में इन सीटों पर हिन्दुत्व की राजनीति पर भारी पड़े मुस्लिम उम्मीदवार, पांच संसद तक पहुंचने में कामयाब

UPT | हिन्दुत्व की राजनीति पर भारी पड़े मुस्लिम उम्मीदवार

Jun 06, 2024 17:05

लोकसभा चुनाव 2024 का परिणाम घोषित होते ही सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो गई है। सभी चुनाव के बारे में बात करते नजर आ रहे हैं। चुनाव को लेकर सभी पार्टियों बैठकों में जुटी हैं। वहीं आम जनता के बीच भी राजनितिक चर्चा जारी है...

UP Politics : लोकसभा चुनाव 2024 का परिणाम घोषित होते ही सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो गई है। सभी चुनाव के बारे में बात करते नजर आ रहे हैं। चुनाव को लेकर सभी पार्टियों बैठकों में जुटी हैं। वहीं आम जनता के बीच भी राजनितिक चर्चा जारी है। चाय की टपरी, दुकानों, चौराहों पर कहीं न कहीं आपको उत्तर प्रदेश में चुनाव को लेकर चर्चा करता जरूर मिलेगा। ऐसे में हम चर्चा करेंगे यूपी की उन सीटों की जिन पर हिंदू समाज का दबदबा होने के बावजूद मुस्लिम उम्मीदवार ने जीत हासिल की है। वहां की जनता ने मुस्लिम उम्मीदवार पर भरोसा दिखाकर संसद तक पहुंचाया है।

इकरा हसन
सबसे पहले बात करते हैं इकरा हसन की जिन्होंने  लोकसभा सीट से ऐतिहासिक जीत हासिल की है। 18 साल बाद यह सीट सपा के खाते में आई है। साल 1996 में सपा के टिकट पर उनके पिता मुन्नावर हसन ने जीत हासिल की थी। इसके बाद इस सीट पर उनकी बेटी ने सपा का परचम लहराया है। इकरा हसन मात्र 27 साल की हैं जो सासंद बनने जा रही हैं। इकरा हसन ने भाजपा प्रत्याशी प्रदीप कुमार को कड़ी टक्कर दी और जीत हासिल की है। पिछले चुनाव में इस सीट पर भाजपा का कब्जा रहा। लेकिन अबकी बार इकरा हसन ने 69116 वोटों से भाजपा प्रत्याशी प्रदीप कुमार को मात दे दी। इकरा को 2024 के चुनाव में 528013 वोट मिले, जबकि प्रदीप कुमार को 458897 मत हासिल हुए।

कैराना मुस्लिम और जाट बाहुल्य क्षेत्र है। कैराना संसदीय सीट के तहत 5 विधानसभा सीटें आती हैं, जिसमें 2 सीटें तो सहारनपुर जिले में पड़ती हैं तो 3 सीटें शामली जिले के तहत आती हैं। 2011 की जनगणना के मुताबिक, शामली जिले में कुल 1,273,578 वोटर्स हैं जिसमें 57.09% वोटर्स हिंदू हैं तो 41.73% आबादी मुसलमानों की हैं। इसमें कैराना में मुस्लिम लोगों की आबादी ज्यादा है और कुल जनसंख्या का 52.94% है तो 45.38% हिंदू बिरादरी के लोग रहते हैं।

अफजाल अंसारी
अफजाल अंसारी की बात करें तो गाजीपुर लोकसभा सीट पर जीत हासिल कर सपा प्रत्याशी ने सबको चौंकाया है। अफजाल अंसारी ने 124861 के अंतर से भाजपा प्रत्याशी पारसनाथ राय को मात दी। 2024 लोकसभा के चुनाव में अफजाल को 539912 वोट मिले हैं। वहीं पारसनाथ राय को 415051 मत प्राप्त हुए हैं। अफजाल लगातार दूसरी बार यहां सांसद बने हैं। पिछले चुनाव में अफजाल ने बसपा से चुनाव जीता था। वहीं इस बार उन्होंने सपा से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की है। गाजीपुर में अफजाल अंसारी के जीतने के पीछे यहां का जातीय और धार्मिक समीकरण ही है।

गाजीपुर वो लोकसभा सीट है, जहां जनता का मिजाज समय-समय पर बदलता रहा है। इस सीट पर कभी ऐसा नहीं हुआ कि कोई सांसद लगातार दो बार चुनाव जीता हो। लेकिन अफजाल अंसारी ने लगातार दो बार चुनाव जीतकर इस बार गाजीपुर के लिए नया रिकॉर्ड बनाया है। गाजीपुर में मुस्लिम आबादी 2.70 लाख तो दलित मतदाता 4 लाख के आस-पास है। यादव वोटर 4.50 लाख के करीब है जो बाकी के OBC वोटर भी 4 लाख के करीब हैं। मुस्लिम आबादी कम होने के बावजूद यहां पर हिंदू उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा है।


जिया उर रहमान
बात करते हैं जिया उर रहमान की जिनपर संभल की जनता ने भरपूर भरोसा दिखाया। समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव के प्रत्याशियों की पहली लिस्ट में सांसद डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क को प्रत्याशी बनाया था। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। डॉ. बर्क लंबे समय से बीमार चल रहे थे। जिनकी मुरादाबाद के अस्पताल में 27 फरवरी को इलाज के दौरान मौत हो गई। इसके बाद दादा की विरासत को उनके पोते जियाउर्रहमान को सौंपा गया। 2024 लोकसभा चुनाव में जिया उर रहमान ने  121494 मतों के अंतर से बीजेपी के परमेश्वर लाल सैनी को हराया। रहमान को 571161 वोट मिले, वहीं परमेश्वर लाल सैनी को 449667 मत हासिल हुए। जियाउर्रहमान  पहली बार लोकसभा चुनाव में खड़े हुए और यहां से ऐतिहासिक जीत दर्ज की।

संभल लोकसभा सीट पर बीजेपी की राह आसान नहीं थी। यहां पर 48 प्रतिशत मुस्लिम और 10 प्रतिशत यादव बिरादरी के मतदाता हैं। हालांकि 2014 में बाजेपी की लहर ने यहां पर जातीय समीकरण को ध्वस्त करते हुए जीत हासिल की थी। लेकिन इस बार जातीय समीकरण ने अहम भूमिका निभाई और सपा ने बाजी मार ली। जनता ने परमेश्वर लाल सैनी पर भरोसा न दिखाकर मुस्लिम उम्मीदवार को चुना। परमेश्वर लाल सैनी 2019 में  1.74 लाख मतों से शफीकुर्रहमान बर्क से हारे थे।

मोहिबुल्लाह नदवी
बात करते हैं रामपुर लोकसभा सीट से जीतने वाले समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी की। जिन्होंने आजम खान के गढ़ में 481503 वोट हासिल कर जनता का विश्वास जीता। मोहिबुल्लाह ने लगातार दो बार जीत रही बीजेपी की ट्रिक पर ब्रेक लगा दिया। मोहिबुल्लाह नदवी ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के उम्मीदवार घनश्याम सिंह लोधी को 87434 वोटों से हराया। मोहिबुल्लाह नदवी नई दिल्ली में पार्लियामेंट स्ट्रीट मस्जिद के इमाम हैं। नदवी के बारे में कहा जाता है कि उनके विपक्षी दलों के बड़े नेताओं के साथ अच्छे संबंध हैं। वह रामपुर के ही रहने वाले हैं। उनकी इस क्षेत्र में अच्छी पकड़ है। मुस्लिम समुदाय उन्हें पसंद करता है। धनश्याम लोधी को इस चुनाव में 394069 मिले हैं।

यह सब जानते हैं कि रामपुर में आजम खान का हमेशा दबदबा रहा है। रामपुर में लगभग 50% से अधिक मुस्लिम मतदाता हैं। हिंदू 45.97 मतदाता हैं। मोहिबुल्लाह को यहां पर मुस्लिम वोट का फायदा हुआ। इस सीट से आजम खान ताल ठोकते आए हैं और जीतकर संसद पहुंचते रहे हैं।

इमरान मसूद
सहारनपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी इमरान मसूद ने बीजेपी प्रत्याशी राघव लखनपाल को 64542 मतों से पछाड़ा है। वहां बसपा के माजिद अली को 180353 वोट मिले हैं। सहारनपुर लोकसभा सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की बहुलता है। पिछली बार 2019 में बसपा के  हाजी फजलुर रहमान को 514139 वोट मिले थे। वहीं अबकी बार कांग्रेस प्रत्याशी इमरान मसूद को 547967 वोट मिले हैं। भाजपा के राघव लखनपाल को 483425 मत प्राप्त हुए हैं। इस सीट को कांग्रेस ने 23 साल बाद हासिल किया है।

सहारनपुर में जातीय समीकरण की बात की जाए तो वहां पर 56 प्रतिशत हिंदू हैं और 41 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है। वहीं दलित मतदाताओं की संख्या 3 लाख के करीब है। जिले में राजपूत, गुर्जर, सैनी जैसी बिरादरियों के भी अच्छे खासे वोट हैं. वहां गुर्जर समुदाय के 1.5 लाख वोट हैं। 3.5 लाख स्वर्ण वोटर हैं। जबकि अन्य वोटर करीब 3 लाख हैं। सहारनपुर में बीजेपी की हार के पीछे का कारण राजपूत समाज की नाराजगी है।

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