फॉर्म 17C का डाटा सार्वजनिक करने की मांग करने वालों को झटका : सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देने से किया इंकार

UPT | फॉर्म 17C का डाटा सार्वजनिक करने की मांग करने वालों को झटका

May 24, 2024 13:32

सुप्रीम कोर्ट ने फॉर्म 17C का डाटा सार्वजनिक करने की मांग करने वाली याचिका दायर करने वालों को तगड़ा झटका दिया है। चुनाव आयोग ने मांग की है कि याचिकाकर्ताओं पर भारी जुर्माना लगाया जाए।

Short Highlights
  • फॉर्म 17C सार्वजनिक करने की मांग पर रोक
  • सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देने से किया इंकार
  • चुनाव के बाद होगी फिर से सुनवाई
New Delhi : सुप्रीम कोर्ट ने फॉर्म 17C का डाटा सार्वजनिक करने की मांग करने वाली याचिका दायर करने वालों को तगड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने कहा कि यह याचिका न तो सही समय पर और न ही उचित मांग के साथ दाखिल की गई है। उधर चुनाव आयोग ने मांग की है कि याचिकाकर्ताओं पर भारी जुर्माना लगाया जाए।

जानिए क्या है पूरा मामला
दरअसल एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी ADR की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर मांग की गई थी कि कोर्ट चुनाव आयोग को ये आदेश दे कि मतदान होने के 48 घंटों के भीतर फॉर्म 17C की कॉपी आयोग अपनी वेबसाइट पर अपलोड करे। याचिका में कहा गया था कि आयोग ने वोटिंग प्रतिशत का डाटा कई दिनों के बाद जारी किया। शुरुआती डेटा और अंतिम डेटा में 5 फीसदी तक का अंतर है।

कोर्ट में क्या बोला चुनाव आयोग?
चुनाव आयोग ने इस मांग का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में 225 पन्नों का हलफनामा दाखिल किया है। चुनाव आयोग ने कहा कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है और कानून की प्रक्रिया के दुरुपयोग का क्लासिक केस है। आयोग ने मांग की है कि ऐसे याचिकाकर्ताओं पर जुर्माना लगाया जाए, क्योंकि ऐसे लोग महज आशंकाओं के आधार पर फर्जी आरोप लगा रहे हैं और ये रवैया चुनाव की शुचिता पर सवालिया निशान लगाकर जनहित को नुकसान पहुंचा रहा है।

कोर्ट ने की अहम टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने इन सारी दलीलों को सुनने के बाद याचिका सुनने की टाइमिंग पर सवाल खड़ा किया। कोर्ट ने कहा कि यह याचिका चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद क्यों दाखिल की गई। कोर्ट ने कहा कि हम बहुत तरह की जनहित याचिकाएं देखते हैं। उसमें से कुछ पब्लिक इंटरेस्ट में होती हैं और कुछ पैसे के इंटरेस्टट में। लेकिन फिलहाल हम ये कह सकते है कि ये याचिका सही समय और उचित मांग के साथ दाखिल नहीं की गई है। अभी देश में चुनाव चल रहे हैं, ऐसे में हम कोई आदेश जारी नहीं करेंगे। इस पूरे मसले पर सुप्रीम कोर्ट गर्मियों की छुट्टी के बाद सुनवाई करेगा।

क्या होता है फॉर्म 17C?
दरअसल चुनावी प्रक्रिया के सही क्रियान्वयन के लिए 1961 में कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स लाया गया था। इसके मुताबिक वोटरों के डाटा से जुड़े दो फॉर्म होते हैं- एक फॉर्म 17A और दूसरा फॉर्म 17C। फॉर्म 17A वो होता है, जिसमें पोलिंग अधिकारी वोट डालने वाले हर एक वोटर की जानकारी दर्ज करता है। वहीं दूसरा फॉर्म 17C, जिसमें एक बूथ पर कुल रजिस्टर्ड वोटर्स और वोट जेने वाले वोटर्स का डाटा होता है। इससे मालूम चलता है कि बूथ पर कितने प्रतिशत वोटिंग हुई है। फॉर्म 17C को वोटिंग खत्म होने के बाद भरा जाता है और इसकी कॉपी पोलिंग एजेंट को भी दी जाती है।

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