नतीजे जारी होने के बाद खत्म हुई आचार संहिता : शादी समारोह के लिए नहीं लेनी होगी अनुमति, इन चीजों से भी हटेगी पाबंदी

UPT | आज से खत्म हुई आचार संहिता

Jun 06, 2024 13:39

लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के साथ ही देश में 82 दिन बाद आदर्श आचार संहिता हट गई है। इसके बाद से ही प्रशासनिक गतिविधियां फिर से शुरू हो गई...

New Delhi News : लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के साथ ही देश में 82 दिन बाद आदर्श आचार संहिता हट गई है। इसके बाद से ही प्रशासनिक गतिविधियां फिर से शुरू हो गई हैं। आदर्श आचार संहिता हटने के बाद से प्रदेश में कलेक्ट्रेटों में आम जनता की शिकायतें सुनने के लिए जनसुनवाई शुरू हो गई है। विवाह समारोह समेत अन्य कार्यक्रमों के लिए बैंड बाजा के लिए अब एसडीएम से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी। इसके अलावा शासकीय कर्मचारियों के अवकाश, नगर निगम, लोक निर्माण, विधायकों और मंत्रियों की निधि से नए कार्य शुरू किए जा सकेंगे। आम लोगों की यह उम्मीद है कि आदर्श आचार संहिता हटने से विकास कार्य तेज होंगे और प्रशासनिक गतिविधियों में तेजी आएगी।

जानिए क्या होती आदर्श आचार संहिता
आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) भारत के चुनाव आयोग (ईसी) द्वारा राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिए चुनाव प्रचार और मतदान के दौरान आचरण के मानक निर्धारित करने के लिए प्रकाशित दिशा-निर्देशों का एक समूह है। इसके साथ ही ईसी यह भी बताता है कि विवाद की स्थिति में पार्टियाँ चुनाव आयोग के पर्यवेक्षकों के पास शिकायत कैसे दर्ज करा सकती हैं और निर्देश देती हैं कि एमसीसी लागू होने पर सत्ता में रहने वाली पार्टियों के मंत्रियों को कैसा आचरण करना चाहिए। 2019 में, चुनाव घोषणा पत्रों के संबंध में एक नया प्रावधान जोड़ा गया, जिसमें पार्टियों को ऐसे वादे न करने का निर्देश दिया गया जो 'संविधान के आदर्शों के प्रतिकूल' हों।

क्यों लगाई जाती है आचार संहिता
चुनाव आचार संहिता का मतलब है कि चुनाव आयोग के निर्देशों का पालन करते हुए चुनाव प्रक्रिया को सुनिश्चित करें। यह निर्देश हर पार्टी और उनके उम्मीदवारों के लिए अनिवार्य है। उम्मीदवारों को इन नियमों का पालन न करने पर चुनाव आयोग कार्रवाई कर सकता है, जिसमें उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज किया जा सकता है और उन्हें जेल भी भेजा जा सकता है।राज्यों में चुनाव की तारीखों के साथ ही चुनाव आचार संहिता भी लागू होती है, जिससे प्रशासनिक कार्यों पर निगरानी बढ़ती है। सरकारी कर्मचारी चुनाव प्रक्रिया में आयोग के साथ मिल जाते हैं और उसके निर्देशों के अनुसार काम करते हैं। आचार संहिता के लागू होते ही प्रदेश के मुख्यमंत्री या मंत्री जनता के लिए कोई घोषणा नहीं कर सकते हैं, और न ही किसी नए परियोजना का शिलान्यास, लोकार्पण या भूमिपूजन होता है। चुनाव आयोग निगरानी के लिए पर्यवेक्षक भी नियुक्त करता है, ताकि राजनीतिक दलों के आचरण और क्रियाकलापों पर नजर रहे। इस दौरान सरकारी खर्च से किसी भी दल को लाभ पहुंचाने वाला कोई आयोजन नहीं किया जाता है।

कब लागू और कब खत्म होती है आचार संहिता
आदर्श आचार संहिता जिसे एमसीसी (Model Code of Conduct, MCC) के रूप में जाना जाता है, चुनाव आयोग द्वारा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के तुरंत बाद लागू होती है और चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक यानी परिणाम घोषित होने तक लागू रहती है। आदर्श आचार संहिता के अनुसार सभी राजनीतिक दल, उम्मीदवार और अन्य संगठनों को चुनावी प्रक्रिया के दौरान निर्देशों का पालन करना होता है। यह निर्देश चुनावी प्रक्रिया को साफ, निष्पक्ष और न्यायसंगत बनाए रखने के लिए होते हैं। इसमें कम्पेन पर व्यय की सीमा, भाषा और व्यवहार की मर्यादा, चुनावी पोस्टर और विज्ञापनों के लिए नियम, चुनावी प्रचार के लिए समय सीमा आदि शामिल होते हैं। आदर्श आचार संहिता का पालन चुनाव आयोग द्वारा मानवाधिकार सुरक्षा और चुनावी प्रक्रिया के निर्णायकों द्वारा सुनिश्चित किया जाता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई भी नियम उल्लंघन नहीं होता, चुनाव आयोग विभिन्न संगठनों को नोटिस जारी कर सकता है और उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है।

इन चीजों से हटेगी पाबंदी
•    नई भर्ती और नई परीक्षाओं का आयोजन किया जा सकता है।
•    शराब ठेकों और तेंदु के पत्तों की नीलामी आदि की जा सकती है।
•    आचार संहिता हटने के बाद विज्ञापन, होर्डिंग और पोस्टर का इस्तेमाल किया जा सकता है।
•    सरकारी योजनाओं की घोषणा, शिलान्यास और उद्घाटन भी किया जा सकता है।
•    सुबह 6:00 बजे से पहले और शाम 10 बजे के बाद जनसभाओं पर लगी रोक हट जाएगी।
•    सरकार अधिकारियों का तबादला कर सकती है।
•    अखबारों और इलेक्‍ट्रॉनिक मीडिया समेत अन्य मीडिया पर सरकारी खर्चे से विज्ञापन जारी किया जा सकता है।
•    राज्य दिवस पर मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष और मंत्री शामिल हो सकते हैं और राजनीतिक भाषण भी दे सकते हैं। तीनों का फोटोयुक्त विज्ञापन भी जारी किया जा सकता है।
•    राज्यों के मुख्यमंत्री दीक्षांत समारोह में भाग ले सकते हैं।
•    मंत्री सायरन और बीकन प्रकाश वाली पायलट कार का इस्तेमाल कर सकते हैं।

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