जस्टिस शेखर यादव ने SC कॉलेजियम को दिया स्पष्टीकरण : कहा- मेरे भाषण के चुनिंदा अंशों को उठा कर विवाद खड़ा किया गया

UPT | जस्टिस शेखर यादव

Dec 18, 2024 15:14

समान नागरिक संहिता पर जस्टिस शेखर यादव के विवादित भाषण के बाद सुप्रीम कोर्ट को दिया स्पष्टीकरण। जस्टिस यादव ने अपने बयान का बचाव करते हुए कहा कि उनके भाषण को संदर्भ से बाहर ले जाकर विवाद खड़ा किया गया।

New Delhi News : इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर यादव एक विवादित भाषण के कारण चर्चा में हैं। 11 दिसंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता में हुई कॉलेजियम की बैठक में उन्हें बुलाया गया। पांच वरिष्ठ जजों की इस बैठक में जस्टिस यादव से उनके भाषण को लेकर सवाल-जवाब किए गए। जस्टिस यादव ने अपने बयान का बचाव करते हुए कहा कि उनके भाषण को संदर्भ से बाहर ले जाकर विवाद खड़ा किया गया।

सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया
इस भाषण के बाद कई सामाजिक संगठनों और वरिष्ठ वकीलों ने जस्टिस यादव के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। कैंपेन फॉर ज्यूडिशियल अकाउंटेबिलिटी एंड रिफॉर्म्स (CJAR) ने प्रशांत भूषण के नेतृत्व में चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर जस्टिस यादव के बयान को न्यायिक आचार संहिता के खिलाफ बताया। उन्होंने इस मामले की जांच के लिए एक आंतरिक समिति गठित करने की मांग की। सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत कार्रवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट से रिपोर्ट मांगी और जस्टिस यादव को अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया।



बैठक में हुए सवाल-जवाब
बैठक के दौरान जस्टिस यादव से उनके बयान पर सवाल किए गए। कॉलेजियम के सदस्यों ने स्पष्ट किया कि किसी जज का बयान हमेशा सार्वजनिक समीक्षा के दायरे में होता है और उसे संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप ही होना चाहिए। जस्टिस यादव ने कहा कि उन्होंने समान नागरिक संहिता के समर्थन में अपने विचार रखे थे, जो सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट पहले भी व्यक्त कर चुके हैं। लेकिन उनके बयान के कुछ अंशों को मीडिया ने संदर्भ से हटाकर पेश किया, जिससे विवाद खड़ा हुआ।

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जस्टिस यादव ने दिया स्पष्टीकरण
अपने भाषण में जस्टिस यादव ने कहा था, "आपको गलतफहमी है कि समान नागरिक संहिता इस्लाम या शरीयत के खिलाफ है। हमने हिंदू समाज की कुरीतियों जैसे सती प्रथा, जौहर, और कन्या भ्रूण हत्या को खत्म किया। फिर मुस्लिम समुदाय बहुविवाह और हलाला जैसी प्रथाओं को खत्म क्यों नहीं करता?" उन्होंने यह भी कहा कि हिंदू धर्म में सहिष्णुता का पाठ पढ़ाया जाता है, जबकि मुसलमानों में ऐसा नहीं होता। उन्होंने यह भी कहा कि हिंदू बच्चे भगवान, वेद और अहिंसा के बारे में सीखते हैं, जबकि मुस्लिम बच्चे जानवरों का वध देखकर बड़े होते हैं।

सुप्रीम कोर्ट का संदेश
बैठक के दौरान चीफ जस्टिस ने जस्टिस यादव को स्पष्ट किया कि जजों का कोई भी बयान व्यक्तिगत नहीं होता और उन्हें संविधान के अनुरूप ही विचार व्यक्त करने चाहिए। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने जस्टिस यादव को भविष्य में अधिक सतर्क रहने की सलाह दी।

विवाद की शुरुआत
8 दिसंबर 2024 को विश्व हिंदू परिषद द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में जस्टिस यादव ने समान नागरिक संहिता (UCC) पर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि भारत बहुसंख्यक हिंदुओं की भावनाओं के अनुरूप चलेगा। अपने भाषण में उन्होंने हिंदू और मुस्लिम संस्कृतियों की तुलना करते हुए कुछ विवादित टिप्पणियां कीं। यादव ने कहा कि हिंदू धर्म सहिष्णुता सिखाता है, जबकि मुस्लिम समुदाय में ऐसी प्रवृत्ति कम है। उन्होंने मुसलमानों पर बहुविवाह, हलाला और तीन तलाक जैसे मुद्दों को लेकर सवाल उठाए। इसके साथ ही, उन्होंने कठमुल्ला जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया, जो विवाद का मुख्य कारण बना।

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