एमटेक ग्रुप पर ईडी का बड़ा एक्शन : यूपी समेत 13 राज्यों में 5,115 करोड़ की प्रॉपर्टी जब्त, 27,000 करोड़ का लोन घोटाला

UPT | एमटेक ग्रुप पर ईडी का बड़ा एक्शन

Sep 08, 2024 18:18

प्रवर्तन निदेशालय ने गुरुग्राम स्थित एमटेक ऑटो लिमिटेड पर बड़ी कार्रवाई की है। ईडी ने कंपनी की 5,115 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर ली है...

Short Highlights
  • एमटेक ऑटो लिमिटेड पर ईडी की बड़ी कार्रवाई
  • 5,115 करोड़ की संपत्ति जब्त की गई
  • 27,000 करोड़ के लोन घोटाले का आरोप
New Delhi News : बैंक से धोखाधड़ी के मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने गुरुग्राम स्थित एमटेक ऑटो लिमिटेड पर बड़ी कार्रवाई की है। ईडी ने कंपनी की 5,115 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर ली है। जानकारी के अनुसार, ईडी ने  मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के बाद ग्रुप की 85 संपत्तियां कब्जे में ले लिया है। एमटेक ऑटो ग्रुप पर सरकारी बैंकों से कर्ज लेकर हेराफेरी करने का गंभीर आरोप है।

फर्जी कंपनियों में किया गया इनवेस्ट
दरअसल, ग्रुप के निदेशक अरविंद धाम और उनके सहयोगियों ने सरकारी बैंकों से 27,000 करोड़ रुपये का बड़ा कर्ज प्राप्त कर, इस राशि को फर्जी कंपनियों में निवेश किया। उन्होंने 500 से अधिक कंपनियों में पैसे का निवेश किया और बाद में सभी को दिवालिया घोषित कर दिया। इस घोटाले के खिलाफ फरवरी में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को जांच का आदेश दिया। ईडी की जांच से इस मामले ने एक बड़े घोटाले का रूप ले लिया और अरविंद धाम को 9 जुलाई को गिरफ्तार कर लिया गया।



13 राज्यों में फैली है संपत्ति
वहीं जांच के दौरान, ईडी ने हरियाणा और पंजाब में स्थित गुरुग्राम, रेवाड़ी, पंचकूला और चंडीगढ़ में कई संपत्तियों को जब्त कर लिया। एमटेक ग्रुप की संपत्तियां यूपी सहित 13 विभिन्न राज्यों में फैली हुई हैं। इस मनी लॉन्ड्रिंग केस में एमटेक ग्रुप की अन्य कंपनियों जैसे एआरजी लिमिटेड, ACIL लिमिटेड, मेटालिस्ट फोर्जिंग लिमिटेड और कैस्टेक्स टेक्नोलॉजीज लिमिटेड भी जांच के दायरे में आई हैं। जांच के बढ़ने के साथ और भी बड़े खुलासे होने की संभावना है।

सीबीआई ने भी की जांच
यही नहीं, सीबीआई ने भी एमटेक ग्रुप के घोटाले की जांच की है और आईडीबीआई बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र की शिकायतों के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की थी। इस जांच के दौरान यह पता चला कि अरविंद धाम और उनकी कंपनियों ने बैंक लोन को शेल कंपनियों में स्थानांतरित कर दिया था। जिसकी वजह से, फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ईडी को बैंक धोखाधड़ी की जांच का आदेश दिया था।

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