एक भी लिस्ट नहीं हुई जारी : न नेताओं में होड़, न पार्टी की तत्परता... पश्चिम यूपी में क्या खिचड़ी पका रही बसपा?

UPT | बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती

Mar 09, 2024 16:24

बहुजन समाज पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए अभी तक एक भी लिस्ट जारी नहीं की है। कहा जा रहा है कि पार्टी सोशल इंजीनियरिंग पर काम कर रही है। सवाल है कि क्या बसपा कोई खिचड़ी तो नहीं पका रही...

Short Highlights
  • बसपा की एक भी लिस्ट नहीं हुई जारी
  • 2019 में 10 सीटों पर दर्ज की थी जीत
  • गठबंधन से मायावती ने किया है इंकार
New Delhi : सभी पार्टियों की लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। सभी पार्टी अपने प्रत्याशियों को एक-एक कर मैदान में उतार रही है। लेकिन मायावती की पार्टी अबकी बार सबसे पीछे है। बसपा ने अभी तक उम्मीदवारों की एक भी लिस्ट जारी नहीं की है। राजनीतिक गलियारों में सवाल उठ रहे हैं कि सबसे पहले लिस्ट जारी करने वाली पार्टी अबकी बार इतनी पीछे क्यों है? सवाल यह भी उठता है कि मायावती अबकी बार किस रणनीति पर काम कर रही हैं?

देरी पर क्या है बसपा का बयान?
जानकारी के मुताबिक, मायावती की बसपा अपने पुराने एजेंडे सोशल इंजीनियरिंग के माध्यम से लोकसभा चुनाव में एंट्री करेगी। बसपा वेस्ट यूपी में बिजनौर, मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, बागपत और कैराना लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों के चयन में सोशल इंजीनियरिंग का फॉर्मूला अपनाएगी। पश्चिम यूपी के कॉर्डिनेटर और बसपा राष्ट्रीय महासचिव बाबू मुनकाद अली का कहना है कि सोशल इंजीनियरिंग बसपा की प्राथमिकता है। बसपा सभी जात-धर्म की पार्टी है। उत्तर प्रदेश की अधिकतर लोकसभा सीटों के प्रत्याशियों का चयन हो गया है। शीघ्र ही प्रत्याशियों के नामों की पहली सूची जारी की जाएगी।

पीछे हटे कई मुस्लिम नेता
अमरोहा से बसपा सांसद दानिश अली कांग्रेस से हाथ मिला चुके हैं। अब यहां कॉर्डिनेटरों के सामने चुनौती है। मेरठ-हापुड़ सीट से पिछली बार चुनाव लड़ चुके हाजी याकूब कुरैशी भी चुनाव लड़ने से पीछे हट रहे हैं। वहीं शाहिद अखलाक भी चुनाव लड़ने से मना कर चुके हैं। कांग्रेस से आए सहारनपुर के इमरान मसूद भी बसपा में नहीं रह पाए। पार्टी से तालमेल बिगड़ा और इमरान मसूद काग्रेंस में वापसी कर गए। आपको बता दें कि इमरान की वेस्ट यूपी में मुस्लिम वर्ग में खास पहचान है। नगीना आरक्षित सीट पर बसपा से सांसद गिरीशचंद हैं। लेकिन बसपा को हर बार यहां से हार का सामना करना पड़ा है।

गौतमबुद्ध नगर-गाजियाबाद में बसपा कमजोर
गौतमबुद्धनगर और गाजियाबाद में बसपा की पकड़ ज्यादा मजबूत नहीं है। भाजपा के कारण मुजफ्फरनगर, बागपत, बुलंदशहर में भी बसपा कमजोर होती चली गई। कैराना सीट पर भाजपा ने फिर सिटिंग सांसद को दोहराया है और सपा ने इकरा हसन को टिकट दिया है। कैराना सीट पर भाजपा की अच्छी पकड़ है। लेकिन यहां भी बसपा चर्चा में जगह नहीं बना पाई है।

मेरठ-हापुड़ से मुस्लिम प्रत्याशी उतारेगी बसपा?
मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट से बसपा मुस्लिम, गुर्जर, प्रजापति में से किसी एक पर दांव लगाने की तैयारी में है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में मेरठ-हापुड़ सीट से हाजी याकूब ने 581455 वोट हासिल किए थे, लेकिन बावजूद इसके वह मात्र 4709 मतों से हार गए थे। मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट पर 19 लाख से अधिक मतदाता बताए जाते हैं। इनमें मुस्लिम साढ़े पांच लाख और दलित वोटर तीन लाख से अधिक हैं। कुल मिलाकर दलित और मुस्लिम मतों की संख्या साढ़े आठ लाख से अधिक हैं। बसपा इसी समीकरण के साथ मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट पर मुस्लिम प्रत्याशी को ही प्राथमिकता पर ले सकती है।

अकेले चुनाव लड़ने का एलान कर चुकी है बसपा
दरअसल, मायावती ने पहले ही ये एलान कर दिया था कि बहुजन समाज पार्टी अकेले ही लोकसभा चुनाव लड़ेगी। लेकिन इसके बावजूद ऐसी खबरें आने लगीं कि मायावती का उत्तर प्रदेश में कांग्रेस या एआईएमआईएम से गठबंधन हो सकता है। दरअसल इसके पीछे भी एक ठोस वजह है। मायावती ने पिछले लोकसभा चुनावों में भी पहले अकेले ही लड़ने का एलान किया था। लेकिन चुनाव से ठीक पहले वह अपनी धुर विरोधी माने जानी वाली पार्टी सपा के साथ जुड़ गई थी। अब एक बार फिर मायावती ने इन अटकलों पर विराम लगाते हुए अकेले लड़ने के संकल्प को दोहराया है।

दूसरे दलों की क्या है स्थिति?
भाजपा ने अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है, जिसमें उत्तर प्रदेश की कुल 51 सीटों के नाम हैं। इसमें पीएम नरेंद्र मोदी को तीसरी बार वाराणसी से टिकट दिया गया है। समाजवादी पार्टी ने भी कई सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं। वहीं कांग्रेस ने भी शुक्रवार को अपनी सूची जारी की है, लेकिन इसमें उत्तर प्रदेश की एक भी सीट शामिल नहीं है।

इन सीटों पर बसपा की हुई थी जीत
साल 2019 के चुनाव में बसपा ने कांग्रेस, सपा, रालोद समेत कई दलों के गठबंधन में शामिल रहकर 10 सीटों पर जीत हासिल की थी। इसमें सहारनपुर, बिजनौर, नगीना, अमरोहा, अंबेडकरनगर, श्रावस्ती, लालगंज, घोसी, जौनपुर और गाजीपुर की सीटें शामिल थीं। लेकिन 2019 में उसे समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन का फायदा मिला था। ऐसे में अकेले चुनाव लड़कर बसपा कितनी सीटों पर जीत दर्ज कर पाएगी, इस पर संशय बरकरार है।

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