ZIM vs IND : भदोही के यशस्वी जायसवाल ने रचा इतिहास, टी 20 इंटरनेशनल में पहली बार हुआ ऐसा कमाल

UPT | Yashasvi Jaiswal

Jul 15, 2024 16:59

दरअसल, जिम्बाब्वे ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया था। पहला ओवर जिम्बाब्वे की ओर से सिकंदर रजा डालने आए थे। पारी की पहली गेंद ही रजा ने नो बॉल डाली। जायसवाल स्ट्राइक पर थे...

New Delhi News : जिम्बाब्वे और भारत के बीच 5 मैचों की टी 20 सीरीज का अंतिम और पांचवां मुकाबला 14 जुलाई को जिम्बाब्वे की राजधानी हरारे स्थित हरारे स्पोर्ट्स क्लब में खेला गया। इस आखिरी मैच में भारतीय ओपनर यशस्वी जायसवाल ने कमाल करते हुए नया इतिहास रच दिया। वह टी 20 इंटरनेशनल के इतिहास में पहली गेंद पर 13 रन बनाने वाले पहले खिलाड़ी बन गए।

यशस्वी जायसवाल ने किया कमाल
22 साल के युवा भारतीय बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल ने बड़ा रिकॉर्ड बना दिया। बता दें वह टी 20आई में पहली गेंद पर 13 रन बनाने वाले पहले बल्लेबाज बन गए हैं।

पहली गेंद पर 13 रन
दरअसल, जिम्बाब्वे ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया था। पहला ओवर जिम्बाब्वे की ओर से सिकंदर रजा डालने आए थे। पारी की पहली गेंद ही रजा ने नो बॉल डाली। जायसवाल स्ट्राइक पर थे। उन्होंने छक्का जड़ दिया। इस गेंद पर 7 रन आए। यह लीगल डिलिवरी नहीं थी। तो गेंद काउंट नहीं हुई। इसके बाद पहली ऑफिशियल बॉल पर भी जायसवाल ने छक्का लगा दिया। इस तरह उन्होंने टी 20आई में पारी की पहली गेंद पर 13 रन ठोक डाले।

भारत ने दिया जिम्बाब्वे को 168 रन का टारगेट
भारतीय टीम ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी की और 20 ओवर में 6 विकेट पर 167 रन बनाए। संजू सैमसन ने इस इनिंग्स में सर्वाधिक 58 रन बनाए, जिसमें उन्होंने 1 चौका और 4 छक्के शामिल किए। शिवम दुबे ने भी 12 गेंदों में 26 रनों की गहरी पारी खेली। जिम्बाब्वे की तरफ से ब्लेसिंग मुजरबानी ने दो विकेट लिए, जबकि सिकंदर रजा, रिचर्ड एनगारवा और ब्रैंडन मावुता ने एक-एक विकेट हासिल किया।

भदोही से है ताल्लुक
युवा बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल उत्तर प्रदेश के भदोही जिले से ताल्लुक रखते हैं। यशस्वी जायसवाल का जन्म 28 दिसंबर 2001 को उत्तर प्रदेश के भदोही के सुरियावां में हुआ था। यशस्वी पर क्रिकेट का ऐसा खुमार चढ़ा कि वह मात्र 10 साल की उम्र में आजाद मैदान में क्रिकेट का प्रशिक्षण लेने के लिए मुंबई चले गए।

डेयरी में किया काम
शुरुआत में उन्हें काम के बदले में एक डेयरी की दुकान में रहने की जगह दी गई थी, लेकिन दुकानदार ने उन्हें बेदखल कर दिया क्योंकि वे अपने क्रिकेट की प्रैक्टिस के कारण अक्सर काम करने में असमर्थ थे। नतीजतन, वे मैदान में ग्राउंड्समैन के साथ एक टेंट में रहने लगे और अपना गुजारा करने के लिए पानी पुरी बेचने लगे।

कानूनी अभिभावक बने ज्वाला सिंह
तीन साल तक टेंट में रहने के बाद, दिसंबर 2013 में ज्वाला सिंह ने जायसवाल की क्रिकेट क्षमता को देखा, जो सांताक्रूज़ में एक क्रिकेट अकादमी चलाते थे। उन्होंने जायसवाल को रहने के लिए जगह मुहैया कराई। बाद में ज्वाला सिंह पावर ऑफ अटॉर्नी हासिल कर जायसवाल के कानूनी अभिभावक बन गए। बता दें जायसवाल के पिता का नाम भूपेंद्र जायसवाल है और माता का नाम कंचन जायसवाल है।

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