बिहार की राजनीतिक पार्टियां : नीतीश के पाला बदलने से इन नेताओं में असमंजस की स्थिति, क्या होगा इनका राजनितिक कदम?

Uttar Pradesh Times | चिराग पासवान, पशुपति कुमार पारस, जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा

Jan 27, 2024 16:36

अब चर्चा चिराग पासवान, उनके चाचा पशुपति पारस, पूर्व सीएम जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा को लेकर है। दरअसल, यह सारे नेता एनडीए में हैं। सवाल उठ रहा है कि अब इन नेताओं और इनकी पार्टियों का क्या होगा?

National News : बिहार में राजनीति का पर्याय नीतीश कुमार बने हुए हैं। लिहाज़ा एक बार फिर उनके हिसाब से बिहार में सियासी हालात बदल गए हैं। महागठबंधन सरकार की अगुवाई कर रही नीतीश कुमार के जनता दल यूनाइटेड और लालू यादव की राष्ट्रीय जनता दल के बीच तल्खी इस कदर बढ़ गई है कि सरकार पर बन आई है। पिछले कई दिनों से दोनों दलों के नेता अपने अपने हिसाब से बैठकें कर रहे हैं। नीतीश कुमार ने सीएम हाउस पर जेडीयू नेताओं के साथ बैठक की है, वहीं लालू यादव और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने राबड़ी देवी के आवास पर आरजेडी नेताओं के साथ लंबी बैठक की है। इस बदलते बिगड़ते माहौल में भारतीय जनता पार्टी का सक्रिय होना भी लाज़िमी है। दिल्ली में अमित शाह ने बिहार बीजेपी के अध्यक्ष सम्राट चौधरी, पूर्व डिप्टी सीएम रेणु देवी और अन्य नेताओं के साथ बैठक की। वहीं बिहार बीजेपी प्रभारी के आवास पर भी बैठक हुई।

दिल्ली और पटना में सियासी गहमा-गहमी के बीच अब यह करीब-करीब तय हो गया है कि बिहार में बीजेपी और जेडीयू मिलकर सरकार बनाएंगे। जानकारी मिल रही है कि 28 जनवरी को नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। इस उठापटक में लालू यादव और उनके परिवार का विपक्ष में बैठना तो तय हो गया है, लेकिन बिहार में कई और नेता हैं, जिनका राजनीतिक भविष्य प्रभावित होना तय है।

अब चर्चा चिराग पासवान, उनके चाचा पशुपति पारस, पूर्व सीएम जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा को लेकर है। दरअसल, यह सारे नेता एनडीए में हैं। सवाल उठ रहा है कि अब इन नेताओं और इनकी पार्टियों का क्या होगा?

चिराग कैसे नीतीश कुमार को स्वीकार करेंगे?
सबसे पहले बात चिराग पासवान की। नीतीश और चिराग के बीच की तल्खी जगजाहिर है। जब नीतीश एनडीए में थे तब भी चिराग ने नीतीश के खिलाफ आक्रामक रुख अपना रखा था। बिहार चुनाव में चिराग ने जेडीयू के खिलाफ उम्मीदवार तक उतार दिए थे। चिराग की पार्टी तो एक भी सीट नहीं जीत सकी थी, लेकिन करीब दो दर्जन सीटों पर नीतीश कुमार की पार्टी के लिए हार की वजह जरूर बन गई थी।

नीतीश कुमार और चिराग पासवान एक-दूसरे के धुर विरोधी माने जाते हैं। बिहार चुनाव के बाद नीतीश कुमार और उनकी पार्टी के तीखे तेवरों को देखकर बीजेपी ने चिराग को उनके हाल पर छोड़ दिया था। एलजेपी टूट गई थी। चिराग को दरकिनार करके पशुपति पारस को एलजेपी कोटे से केंद्र सरकार में मंत्री बना दिया गया था। चिराग अपनी पार्टी में अकेले सांसद रह गए और बाकी सभी पारस के साथ हो लिए थे। चिराग की कुछ ही महीनों पहले एनडीए में वापसी हुई है। बिहार के ताजा राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर चिराग पासवान ने कहा है कि वह हालात पर नजर बनाए हुए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हमारी गृह मंत्री अमित शाह से बात हुई है। अपने नेताओं के साथ बैठक और चर्चा की है। तस्वीर साफ होने दीजिए फिर हम सभी सवालों के जवाब देंगे। चिराग नीतीश से जुड़े सवाल टालते ही नजर आए। ऐसे में ये सवाल और गहरा हो गया है कि नीतीश की एनडीए में वापसी के बाद चिराग और उनकी पार्टी का भविष्य क्या होगा, भूमिका क्या होगी?

पशुपति पारस की राह कैसी होगी?
चर्चा चिराग के चाचा पशुपति पारस की पार्टी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी को लेकर भी हो रही है। पशुपति पारस एनडीए में चिराग की वापसी के विरोधी हैं। हाजीपुर सीट को लेकर चाचा-भतीजा की रार जगजाहिर है। पशुपति अपनी सीटिंग सीट छोड़ने को तैयार नहीं हैं। वहीं, चिराग ने हाजीपुर में अपनी मां रीना पासवान को मंच पर लाकर इमोशनल कार्ड खेल दिया। जिससे पशुपति पारस और बीजेपी को मुश्किल में डाल रखा है। ऐसे में नीतीश की एनडीए में वापसी के बाद हो सकता है कि चिराग गठबंधन में हाशिए पर चले जाएं और पशुपति पारस की बारगेन पावर अधिक हो जाए।

जीतन राम मांझी का एनडीए में क्या होगा?
जीतनराम मांझी कभी नीतीश कुमार के सबसे भरोसेमंद नेताओं में से एक माने जाते थे, लेकिन पिछले कुछ साल और खासकर कुछ महीनों में दोनों नेताओं के रिश्ते तल्ख रहे हैं। नीतीश कुमार ने विधानसभा में जिस तरह से मांझी पर हमला बोला था, उसे लेकर दोनों नेताओं के रिश्ते कैसे रहते हैं? इस पर नजरें होंगी। हालांकि, मांझी ने पिछले कुछ दिनों में नीतीश को लेकर नरम रुख दिखाया है। मांझी ने कहा है कि नीतीश अगर एनडीए में वापस आते हैं तो उनका स्वागत करेंगे। मांझी मुसहर जाति से आते हैं, जो महादलित कैटेगरी में है। ऐसे में एनडीए में उनकी पोजिशन जस की तस ही रहेगी। लेकिन नीतीश के साथ उनकी ट्यूनिंग कैसी रहती है? यह देखने वाली बात होगी।

उपेंद्र कुशवाहा की पॉज़िशन कैसी होगी?
उपेंद्र कुशवाहा ने तो यहां तक कहा था कि नीतीश कुमार अगर एनडीए में आना चाहें तो हम उनके लिए लॉबिंग करने को भी तैयार हैं। उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश के एनडीए में आने पर स्वागत करने की बात कही थी। अब अगर नीतीश एनडीए में जाते हैं तो उपेंद्र कुशवाहा को लेकर उनका रुख कैसा रहता है, एनडीए में उनकी बारगेन पावर कितनी प्रभावित होती हैं? राजनीतिक विश्लेषकों की नजरें इस पर भी होंगी।

नीतीश इन नेताओं पर क्यों डालेंगे असर?
अब सवाल यह उठता है कि नीतीश कुमार एनडीए में लौटते हैं तो इन नेताओं से क्या कनेक्शन? इनके भविष्य को लेकर चर्चा क्यों हो रही है? दरअसल, नीतीश कुमार की इमेज ऐसे नेता की है जो चीजों को अपने हिसाब से हैंडल करता है। नीतीश जिस किसी गठबंधन में रहें, प्रभाव इतना मजबूत रखते हैं कि चीजें उनके हिसाब से चलती हैं। अगर नीतीश एनडीए में वापसी करते हैं तो 16 सांसदों वाला जेडीयू, बीजेपी के बाद दूसरे नंबर की पार्टी है। नीतीश एनडीए में रहें या महागठबंधन में, बिहार सरकार का नेतृत्व नीतीश के ही हाथ में रहेगा। यह उनकी सुपरमेसी है। ऐसे में अगर नीतीश एनडीए में वापस लौटते हैं तो घटक दलों के नेताओं के साथ उनकी ट्यूनिंग तस्वीर ज़रूर प्रभावित करेगी।

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