सार्वजनिक हुई रिपोर्ट : चुनाव आयोग ने जारी किया इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ा डाटा, जानिए किसने कितना दिया चंदा

UPT | चुनाव आयोग ने जारी किया इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ा डाटा,

Mar 14, 2024 21:06

इलेक्शन कमीशन ने एसबीआई द्वारा दिए गए इलेक्टोरल बॉन्ड के डाटा को सार्वजनिक कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए चुनाव आयोग को 15 मार्च तक का वक्त दिया था।

Short Highlights
  • इलेक्टोरल बॉन्ड का डाटा हुआ सार्वजनिक
  • चुनाव आयोग ने जारी की लिस्ट
  • एसबाआई ने कोर्ट के आदेश पर किया था दाखिल
New Delhi : चुनाव आयोग ने इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ा डाटा सार्वजनिक कर दिया है। गुरुवार की देर शाम चुनाव आयोग ने इस जानकारी को अपनी वेबसाइट पर साझा किया। एसबीआई ने ये डाटा सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इलेक्शन कमीशन को सीलबंद लिफाफे में सौंपा था। चुनाव आयोग की वेबसाइट पर दो पीडीएफ जारी किए गए हैं, जिसमें इससे जुड़ी जानकारी दी गई है।

चुनाव आयोग द्वारा जारी डाटा में क्या?
चुनाव आयोग की तरफ से जो जानकारी साझा की गई है, उसमें 12 अप्रैल 2019 के बाद से जारी इलेक्टोरल बॉन्ड का डाटा है। इसमें कंपनियों और व्यक्तियों द्वारा खरीदी की पूरी लिस्ट मौजूद है। साथ ही आयोग की तरफ से एक दूसरी सूची भी जारी की गई है कि जिसमें राजनीतिक पार्टियों द्वारा जरिए प्राप्त किए गए बॉन्ड की जानकारी लिखी हुई है। आयोग की ओऱ से साझा किए गए आंकड़ों से पता चला है कि चुनावी बांड के माध्यम से चुनावी चंदा हासिल करने वालों में भाजपा, कांग्रेस, अन्नाद्रमुक, बीआरएस, शिवसेना आदि को मिला है।
 
किन कंपनियों ने दिया चंदा?
चुनाव आयोग की तरफ से 337 पन्नों की एक रिपोर्ट जारी की गई है। इसमें एबीसी इंडिया लिमिटेड, अरिहंत इंटरप्राइजेज, ग्रासिम इंडस्ट्रीज, मेघा इंजीनियरिंग, पीरामल एंटरप्राइजेज, टोरेंट पावर, भारती एयरटेल, सनफार्मा लेबोरेटिरीज, वर्धमान टैक्सटाइल्स, कीस्टोन रियलटर्स. मुथूट फाइनेंस, पेगासस प्रॉपर्टीज आदि के नाम शामिल हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को दिए अपने फैसले में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को आदेश दिया था कि वह इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी जानकारी चुनाव आयोग को 6 मार्च तक उपलब्ध कराए। लेकिन इसके बाद एसबीआई की तरफ से याचिका डालकर 30 जून तक का समय मांगा था। कोर्ट ने एसबीआई की इस याचिका को सोमवार को खारिज करते हुए उसे 12 मार्च तक सारी जानकारी चुनाव आयोग को भेजने के लिए कहा था। इसके बाद बैंक को कोर्ट ने फटकार लगाते हुए समय देने से इंकार कर दिया था

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