नेपाल से यूपी में होती है सबसे ज्यादा तस्करी : हर साल पकड़ी जाती हैं करोड़ों की दवाइयां, सोना और ड्रग्स, ये जिला सबसे संवेदनशील

UPT | नेपाल से यूपी में होती है सबसे ज्यादा तस्करी

Oct 22, 2024 17:53

भारत का पड़ोसी देश नेपाल अपनी भौगोलिक स्थिति और व्यापार के सीमित संसाधनों के लिए जाना जाता है। लेकिन नेपाल तस्करी के लिए भी बदनाम है। नेपाल की भारत से 1,751 किलोमीटर लंबी सीमा लगती है।

Short Highlights
  • नेपाल से यूपी में होती है सबसे ज्यादा तस्करी
  • सोने और अवैध दवाइयों की तस्करी सबसे ज्यादा
  • पेट्रोल-डीजल की तस्करी भी शामिल
New Delhi : भारत का पड़ोसी देश नेपाल अपनी भौगोलिक स्थिति और व्यापार के सीमित संसाधनों के लिए जाना जाता है। लेकिन नेपाल तस्करी के लिए भी बदनाम है। नेपाल की भारत से 1,751 किलोमीटर लंबी सीमा लगती है। इसमें सबसे बड़ा हिस्सा उत्तर प्रदेश का है। नेपाल और उत्तर प्रदेश करीब 651 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं। सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि इसके बड़े हिस्से में जंगल और नदियां पड़ती हैं। इस वजह से सीमा की निगरानी करना कई बार मुश्किल हो जाता है।

सोने की तस्करी सबसे ज्यादा
नेपाल से भारत में सबसे अधिक तस्करी होने वाली वस्तु सोना है। रिपोर्ट्स के अनुसार, हर साल लगभग 10 टन सोने की तस्करी नेपाल के रास्ते की जाती है। तस्कर यहां से सोना खरीदकर भारत में लाते हैं और बेच देते हैं। सोने के अलावा, नेपाल से मानव तस्करी भी एक गंभीर समस्या है। अनुमान है कि हर साल नेपाल से करीब 30,000 लोगों की तस्करी होती है, जिसमें युवा और युवतियां शामिल होते हैं। इन लोगों को भारत में काम की तलाश में लाया जाता है, लेकिन कई बार उन्हें अवैध गतिविधियों में शामिल किया जाता है।



नशे का भी खूब है कारोबार
नेपाल से भारत में नशे की सामग्री की तस्करी भी एक बड़ा मुद्दा है।  नेपाल के रास्ते भांग, गांजा, अफीम की तस्करी भी खूब की जाती है। इसमें सबसे ज्यादा संवेदनशील इलाका महराजगंज है। महराजगंज की करीब 84 किलोमीटर की सीमा खुली हुई है। ये तस्करों के लिए सबसे मुफीद माना जाता है। यहां पर पुलिस और एसएसबी ने पिछले 7 महीनों में 692 करोड़ रुपये की अवैध दवाएं पकड़ी हैं। वहीं उत्तर प्रदेश का सिद्धार्थनगर जिला भी नेपाल से 68 किलोमीटर की सीमा साझा करता है। यहां भी तस्करी की कई वारदातें सामने आती हैं।

पेट्रोल-डीजल की तस्करी भी शामिल
भारत और नेपाल के बीच आवाजाही की प्रक्रिया बेहद आसान है, जो तस्करों के लिए लाभकारी साबित होती है। सीमाई क्षेत्रों में न्यूनतम पूछताछ होती है, जिससे तस्कर आसानी से अपनी अवैध वस्तुओं को भारत में पहुंचा देते हैं। यहां तक कि जरूरत की चीजों जैसे चावल, टमाटर, और पेट्रोल-डीजल की तस्करी भी की जाती है। कई बार टूथपेस्ट और शैंपू जैसी चीजें भी तस्करी के लिए ले जाई जाती हैं। सरकार ने सीमा की सुरक्षा में करीब 60 हजार सुरक्षाकर्मी तैनात किए हुए हैं। बॉर्डर पर 50 हजार खंभे और करीब 1.5 लाख बल्ब लगाए हैं। इसके बावजूद तस्करी का सिलसिला जारी है। त्योहारों के दौरान अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है। आपको बता दें कि यूपी के अलावा नेपाल की बिहार से 601 किलोमीटर और पश्चिम बंगाल से 96 किलोमीटर की सीमा लगती है।

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