पार्टियां बदलीं, रुतबा कायम : 2024 की बिसात में कितने अहम किरदार हैं राजभर और दारा सिंह?

UPT | 2024 की बिसात में कितने अहम हैं राजभर और दारा सिंह?

Mar 05, 2024 20:59

ओम प्रकाश राजभर और दारा सिंह चौहान को यूपी कैबिनेट में जगह दे दी गई है। लंबे वक्त के इंतजार के बाद आखिरकार दोनों ने मंगलवार को शपथ ले ली। लेकिन सवाल पूछा जा रहा है कि दोनों नेताओं के बार-बार पाला बदलने के बाद भी उन्हें ये मौका क्यों दिया जा रहा है?

Short Highlights
  • ओम प्रकाश राजभर बने मंत्री
  • दारा सिंह चौहान ने भी ली शपथ
  • 2024 पर है भाजपा की नजर
New Delhi : उत्तर प्रदेश में योगी कैबिनेट का विस्तार हो गया है। इसमें रालोद और सुभासपा के एक-एक विधायक और भाजपा के एक विधायक और एक एमएलसी ने मंत्री पद की शपथ ली है। ये कैबिनेट विस्तार लोकसभा चुनाव की घोषणा से ऐन पहले किया गया है, ऐसे में जाहिर है कि पार्टी की नजर उत्तर प्रदेश की सीटों पर है। योगी आदित्यनाथ पहले ही दावा कर चुके हैं कि भाजपा 2024 के लोकसभा चुनावों में सभी 80 सीटें जीतेगी। लेकिन दारा सिंह चौहान और ओम प्रकाश राजभर की छवि हर चुनाव से पहले पाला बदल लेने वाले नेताओं के रूप में है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर भाजपा को क्या वाकई ऐसे लोगों की जरूरत है, जो मौकापरस्त हैं?

ओपी राजभर उत्तर प्रदेश में कितना अहम चेहरा?
ओम प्रकाश राजभर ने पिछले कुछ समय में उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपनी अलग पहचान बना ली है। जब वह समाजवादी पार्टी से गठबंधन तोड़कर एनडीए में आए थे, तभी उनके मंत्री बनने के कयास लगने शुरू हो गए थे। उत्तर प्रदेश में राजभर समुदाय की करीब 4 फीसदी आबादी है। पूर्वांचल में भी बड़ी संख्या में राजभर जाति के लोग रहते हैं।

पूर्वांचल में राजभर की अच्छी पकड़
पूर्वांचल में लोकसभा की 26 सीटें हैं और इनमें ने ज्यादातर पर राजभर की पार्टी का अच्छा-खासा प्रभाव है। आगामी लोकसभा चुनाव के लिए सुभासपा ने भाजपा से 5 सीटों की डिमांड की है। हालांकि अभी लोकसभा में सुभासपा का एक भी सदस्य नहीं है। ओम प्रकाश राजभर ने एक बार कहा था वह जिस पार्टी के साथ जुड़ जाएं, उसकी जीत निश्चित है। 2017 में भाजपा के साथ जुड़कर ओपी राजभर ने पार्टी को बड़ी बढ़त दिलाई थी। एनडीए से अलग होने के बाद 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को कई सीटों पर सपा-सुभासपा गठबंधन के कारण कड़ी चुनौती मिली थी।

सियासत के पक्के खिलाड़ी हैं दारा सिंह चौहान
दारा सिंह चौहान अपने सियासी करियर में भले ही कई पार्टियां बदली हों, लेकिन वह सियासत के माहिर खिलाड़ी माने जाते हैं। अगर ऐसा नहीं होता, तो भाजपा उन्हें तीसरा मौका नहीं देती। दरअसल भाजपा के पास पूर्वांचल में कोई बड़ा चौहान चेहरा नहीं है। साथ ही पूर्वांचल की कई सीटों पर दारा सिंह चौहान का बेहद प्रभाव है। जाहिर है कि भाजपा 2024 में चौहान वोटरों को साधने के लिए ये दांव खेल रही है। ये अटकलें जरूर हैं कि दारा सिंह चौहान को बार-बार मौका देने पार्टी की इमेज को खराब कर रहा है, लेकिन भाजपा की नजर फिलहाल 2024 के चुनाव पर टिकी हुई है और वह कोई गलती नहीं करना चाहती।

ब्राह्मण वोटों के साथ पश्चिम पर भी नजर
योगी मंत्रीमंडल में जिन दो अन्य को जगह मिली है, उसमें से एक भाजपा विधायक सुनील शर्मा और दूसरे रालोद विधायक अनिल कुमार हैं। सुनील शर्मा भाजपा के कद्दावर नेता हैं और उन्हें कैबिनेट में जगह देकर पार्टी की सीधी कोशिश ब्राह्मण वोटों को साधने की है। वहीं भाजपा की नजर पश्चिम यूपी पर भी टिकी हुई है। रालोद के एनडीए में आने के बाद उसे वेलकम गिफ्ट के तौर पर कैबिनेट में जगह दी गई है। जाहिर है कि इससे भाजपा को पश्चिम के जाट वोटबैंक का फायदा मिलेगा।

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