कभी जिले का नाम बदलने पर कर दी थी बगावत : कौन हैं ओम प्रकाश राजभर

UPT | जानिए कौन हैं ओम प्रकाश राजभर

Sep 15, 2024 14:48

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के संस्थापक और उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री ओम प्रकाश राजभर आज 62 साल के हो गए हैं। कभी उनकी आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि छात्र जीवन में उन्हें टैम्पो चलाकर गुजारा करना पड़ता था।

Short Highlights
  • बसपा से की सियासत की शुरुआत
  • पिता कोयला खदान में मजदूर थे
  • पूर्वांचल में किंग मेकर हैं राजभर
New Delhi : सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के संस्थापक और उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री ओम प्रकाश राजभर आज 62 साल के हो गए हैं। कभी उनकी आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि छात्र जीवन में उन्हें टैम्पो चलाकर गुजारा करना पड़ता था। लेकिन आज वह यूपी की सियासत में पहचान बना चुके हैं

पिता कोयला खदान में मजदूर थे
ओम प्रकाश राजभर का जन्म 15 सितंबर 1962 को वाराणसी जिले के फतेहपुर खौदा सिंधोरा में हुआ था। उनके पिता कोयला खदान में मजदूरी करते थे, जिससे घर की आर्थिक स्थिति दयनीय थी। इस स्थिति से निपटने के लिए ओपी राजभर ने न केवल खेतिहर काम किया, बल्कि पढ़ाई के साथ-साथ टेम्पो भी चलाया। इन कठिनाइयों के बावजूद, उन्होंने शिक्षा को महत्व दिया और बनारस के बलदेव डिग्री कालेज से स्नातक और राजनीति शास्त्र में परास्नातक की डिग्री प्राप्त की। उनके प्रारंभिक संघर्षों ने उन्हें राजनीति में कदम रखने के लिए प्रेरित किया, जहां उन्होंने क्षेत्रीय समस्याओं और जाति आधारित राजनीति के मुद्दों को समझा और अपना स्थान बनाया।

बसपा से की सियासत की शुरुआत
राजभर ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से की, जहाँ वे कांशीराम के विचारों से प्रभावित हुए। 1981 में सक्रिय राजनीति में कदम रखा और 1996 में बसपा के जिलाध्यक्ष बने। हालांकि, मायावती के भदोही का नाम बदलने के निर्णय पर असंतोष जताते हुए, उन्होंने 2001 में बसपा से बगावत की और अपनी पार्टी, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा), की स्थापना की। इस नवगठित पार्टी ने जल्द ही क्षेत्रीय राजनीति में अपनी पहचान बनानी शुरू की, लेकिन 2004 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को अपेक्षित सफलता नहीं मिली।

यूपी सरकार में बने मंत्री
2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में ओम प्रकाश राजभर ने भाजपा के साथ गठबंधन किया। भाजपा ने सुभासपा को आठ विधानसभा सीटें दीं, जिनमें से चार पर जीत हासिल की। इस सफलता के बाद, योगी आदित्यनाथ की सरकार में उन्हें पिछड़ा वर्ग कल्याण और दिव्यांगजन कल्याण मंत्री का पद सौंपा गया। हालांकि, गठबंधन की राजनीति में असहमति के कारण भाजपा ने राजभर से दूरी बना ली, और उनका मंत्री पद चला गया।

फिर सपा से राजभर ने बढ़ाई दोस्ती
राजभर ने 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ गठबंधन किया। इस गठबंधन के तहत उन्होंने 16 सीटों पर चुनाव लड़ा और छह सीटों पर जीत हासिल की। इस बार भी उन्होंने खुद जहूराबाद सीट से विधायक के रूप में जीत दर्ज की। हालांकि, सपा और सुभासपा के बीच गठबंधन की राजनीति में कुछ मतभेद उभरे, जिसने उनके राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित किया और दोनों पार्टियों के बीच संबंधों में तनाव बढ़ा। इसके बाद उन्होंने फिर से भाजपा के साथ गठबंधन कर लिया और आज वह प्रदेश सरकार में मंत्री है। 

पूर्वांचल में किंग मेकर हैं राजभर
उत्तर प्रदेश की राजनीति में जाति आधारित राजनीति का महत्वपूर्ण स्थान है। राजभर समाज की आबादी प्रदेश में लगभग 12 प्रतिशत है, और पूर्वांचल क्षेत्र में यह 12-22 प्रतिशत तक हो सकती है। इस बड़े वोट बैंक के कारण राजभर समाज की भूमिका प्रदेश के कई लोकसभा सीटों पर निर्णायक बन गई है। खासकर पूर्वांचल के जिलों जैसे घोसी, बलिया, चंदौली, गाजीपुर, और जौनपुर में राजभर समाज की महत्वपूर्ण उपस्थिति है।

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