वाराणसी में बनेगा पहला सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट : 96 करोड़ की परियोजना से दो लाख लोगों को मिलेगा लाभ, गंगा में सीवर प्रदूषण रोकने का प्रयास

UPT | Ganga River

Jul 21, 2024 10:00

अमृत टू योजना के अंतर्गत, सूजाबाद में 96.63 करोड़ रुपये की लागत से एक नया सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) स्थापित किया जाएगा। यह पहली बार होगा जब गंगा के पार एसटीपी...

Short Highlights
  • वाराणसी में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किया जाएगा
  • इसका मुख्य उद्देश्य नदी में सीवर के प्रवाह को पूरी तरह से रोकना है
  • 26.89 किलोमीटर क्षेत्र में नया सीवर नेटवर्क बिछाया जाएगा
Varanasi News : वाराणसी में गंगा नदी के संरक्षण और शहरी स्वच्छता में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया जा रहा है। अमृत टू योजना के अंतर्गत, सूजाबाद में 96.63 करोड़ रुपये की लागत से एक नया सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) स्थापित किया जाएगा। यह पहली बार होगा जब गंगा के पार एसटीपी का निर्माण किया जाएगा, जिसका मुख्य उद्देश्य नदी में सीवर के प्रवाह को पूरी तरह से रोकना है।

दो लाख निवासियों को लाभ
इस परियोजना के तहत 26.89 किलोमीटर क्षेत्र में नया सीवर नेटवर्क बिछाया जाएगा। कोदोपुर में पांच एकड़ जमीन पर सात एमएलडी क्षमता का एसटीपी स्थापित किया जाएगा। इस योजना से सूजाबाद, डोमरी और रामनगर के लगभग दो लाख निवासियों को लाभ मिलने की उम्मीद है। परियोजना के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और धन आवंटन की प्रतीक्षा है।

चार नए एसटीपी स्थापित किए जाएंगे
वाराणसी जल निगम ने शहर के नए विकसित क्षेत्रों में सीवरेज व्यवस्था के विस्तार की भी योजना बनाई है। लोहता, भगवानपुर, दीनापुर और सूजाबाद में चार नए एसटीपी स्थापित किए जाएंगे। इसके अलावा, पेयजल और सीवरेज व्यवस्था के सुधार के लिए 5055.36 करोड़ रुपये का एक व्यापक प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया है। स्थानीय विधायक डॉ. सुनील पटेल ने इस परियोजना को लेकर बताया कि यह योजना क्षेत्र की लंबे समय से चली आ रही सीवर समस्या का समाधान करेगी। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर इस योजना के लिए विशेष रूप से अनुरोध किया था।

बजट मिलते ही काम शुरू होगा
जल निगम के अधिशासी अभियंता एस.के. रंजन ने पुष्टि की है कि सूजाबाद में एसटीपी के लिए जमीन चिह्नित कर ली गई है और शासन से बजट मिलते ही काम शुरू हो जाएगा। यह परियोजना न केवल स्थानीय निवासियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाएगी, बल्कि गंगा नदी के संरक्षण में भी महत्वपूर्ण योगदान देगी।

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