तिरुपति लड्डू विवाद पर बोला सुप्रीम कोर्ट : स्वतंत्र एसआईटी करेगी जांच, कहा- यह आस्था का सवाल

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Oct 04, 2024 12:32

सुप्रीम कोर्ट ने तिरुमाला स्थित श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में प्रसाद के रूप में परोसे जाने वाले प्रसिद्ध 'लड्डू' में कथित तौर पर पशु चर्बी के इस्तेमाल के आरोपों की गंभीरता को देखते हुए एक नई स्वतंत्र...

New Delhi News : सुप्रीम कोर्ट ने तिरुमाला स्थित श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में प्रसाद के रूप में परोसे जाने वाले प्रसिद्ध 'लड्डू' में कथित तौर पर पशु चर्बी के इस्तेमाल के आरोपों की गंभीरता को देखते हुए एक नई स्वतंत्र विशेष जांच टीम (एसआईटी) गठित करने का आदेश दिया है। इस एसआईटी में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के दो अधिकारी आंध्र प्रदेश पुलिस के दो अधिकारी और भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) का एक वरिष्ठ अधिकारी शामिल होगा। इस जांच की निगरानी सीबीआई निदेशक करेंगे।


धार्मिक आस्था और खाद्य सुरक्षा का मुद्दा
मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि यदि लड्डू बनाने में मिलावट के आरोप सत्यापित होते हैं तो यह न केवल भक्तों की धार्मिक आस्था के लिए घातक है बल्कि खाद्य सुरक्षा मानकों के लिए भी गंभीर खतरा है। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में एसआईटी की निगरानी एक वरिष्ठ केंद्रीय अधिकारी द्वारा की जानी चाहिए, ताकि जांच की निष्पक्षता पर लोगों का विश्वास बना रहे। मेहता ने आगे कहा, "यह केवल एक खाद्य उत्पाद नहीं है। बल्कि करोड़ों लोगों की धार्मिक आस्था का प्रतीक है। इस मामले में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है।"

स्वतंत्र एसआईटी गठित की जानी चाहिए- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए सुझाव दिया कि एक स्वतंत्र एसआईटी गठित की जानी चाहिए। अदालत ने कहा, "यह केवल एक खाद्य विवाद नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों की आस्था का मामला है। हम नहीं चाहते कि यह राजनीतिक विवाद का रूप ले।" अदालत ने कहा कि एसआईटी में सीबीआई और आंध्र प्रदेश सरकार के दो-दो सदस्यों के अलावा एफएसएसएआई का एक विशेषज्ञ शामिल होना चाहिए, क्योंकि यह खाद्य जांच के मामलों में सबसे प्रमुख और विशेषज्ञ निकाय है। यह समिति मंदिर के लड्डू में मिलावट के आरोपों की गहन जांच करेगी और इस प्रक्रिया में खाद्य सुरक्षा मानकों का भी ध्यान रखेगी।

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यह आस्था का सवाल राजनीती का नहीं- कोर्ट
इस मामले की सुनवाई पहले गुरुवार को दोपहर 3:30 बजे होनी थी लेकिन सॉलिसिटर जनरल मेहता ने न्यायालय से शुक्रवार सुबह 10:30 बजे तक का समय मांगा। जिसे पीठ ने स्वीकार कर लिया। 30 सितंबर को हुई पिछली सुनवाई में अदालत ने मेहता से यह तय करने में मदद करने को कहा था कि राज्य द्वारा नियुक्त एसआईटी की जांच जारी रहनी चाहिए या इसे किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराना चाहिए। इसके साथ ही अदालत ने तिरुपति लड्डू बनाने में मिलावट के आरोपों पर साक्ष्य की मांग भी की थी। अदालत ने यह भी कहा था कि देवताओं से जुड़े मामलों को राजनीति से दूर रखना चाहिए और जांच के आदेश सार्वजनिक करने की आवश्यकता पर सवाल उठाया था।

आंध्र प्रदेश सरकार से कड़े सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश सरकार से भी पूछा कि क्या मंदिर में प्रसाद के रूप में वितरित किए जाने वाले लड्डू में दूषित घी या किसी अन्य मिलावट का इस्तेमाल हुआ था। टीडीपी के वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कोर्ट को बताया कि कई भक्तों ने शिकायत की थी कि लड्डू का स्वाद पहले जैसा नहीं था। इस पर अदालत ने कहा कि शिकायतों को सिर्फ बयान के रूप में नहीं देखा जा सकता और इसके लिए ठोस साक्ष्यों की जरूरत है। 

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