दिल्ली के कोचिंग हादसे से सदमे में छात्र : यूपी के ये शहर भी UPSC की तैयारी के लिए बड़े सेंटर, जानिए यहां क्या हैं हालात

UPT | दिल्ली के कोचिंग हादसे से सदमे में छात्र

Jul 30, 2024 21:39

दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर स्थित राव कोचिंग में हादसे के बाद देश के अलग-अलग शहरों में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र सदमे में हैं। लगभग हर शहर में कमोबेश यही हाल हैं।

Short Highlights
  • दिल्ली के कोचिंग हादसे से सदमे में छात्र
  • प्रयागराज सबसे बड़ा कंपीटीटिव हब
  • लखनऊ में भी बुरे हैं हालात
New Delhi : दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर स्थित राव कोचिंग में हादसे के बाद देश के अलग-अलग शहरों में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र सदमे में हैं। लगभग हर शहर में कमोबेश यही हाल हैं। कहीं बिना अनुमति के बेसमेंट में क्लास लगाई जा रही है, तो कहीं नियम-कायदों को ताक पर रखकर सरकारी संस्थाओं को खुलेआम चुनौती दी जा रही है। उत्तर प्रदेश के कई शहर भी यूपीएसी की तैयारी के लिए बड़े सेंटर हैं। यहां के हालात क्या हैं, इसकी एक बानगी आपको बताते हैं।

प्रयागराज सबसे बड़ा कंपीटीटिव हब
एक वक्त था कि प्रयागराज सिर्फ यूपी ही नहीं, बल्कि पूरे देश के छात्रों के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी का केंद्र बिंदु था। लेकिन समय के साथ लोगों की बढ़ती जरूरतों और मेट्रो शहर में रहने की लालसा में छात्र अलग-अलग शहरों की तरफ रुख करने लगे। लेकिन आज भी प्रयागराज में यूपीएससी की तैयारी करने वाले छात्रों की कोई कमी नहीं है। यहां भी हालात लगभग दिल्ली जैसे ही हैं। तंग गलियों में छोटे-छोटे कमरे, कमरों में सीलन, सिर पर लटकते तार, कहीं बेसमेंट में लाइब्रेरी खुली है, तो कहीं क्लास चल रही है। दिल्ली में हुए हादसे के बाद प्रयागराज में फायर सेफ्टी निदेशालय ने छापा मारा। प्रयागराज में करीब 211 संस्थान रजिस्टर्ड हैं। इनमें 30 से अधिक कोचिंग की जांच की जा चुकी है। मानक न पूरा करने वाले 6 कोचिंग सेंटरों को नोटिस भी थमाया गया है।

लखनऊ में भी बुरे हैं हालात
प्रयागराज के अलावा यूपी की राजधानी लखनऊ में भी छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। यहां नवल किशोर रोड पर ओल्ड राजेंद्र नगर की ही तर्ज पर कई कोचिंग संस्थान मौजूद हैं। बेसमेंट में चल रही कोचिंग, सड़क पर लटकते तार, पतली-पतली सीढ़ियां, जर्जर हो चुकी इमारतों के बीच अगर कल को कोई हादसा हो जाए, तो लोगों की जान जाने का भी खतरा है। कहीं इतनी पतली गलियां हैं कि एक कार भी न निकल पाए, आग लगने पर फायर विभाग की गाड़ी क्या ही पहुंचेगी। कहीं दीवारों पर सीलन है, कहीं दीमक लगी है। ध्यान न दें तो शरीर के बिजली के खतरनाक तारों से छूने का खतरा है। कहीं गंदा पानी भरा है, जिनमें मच्छर पनप रहे हैं, कहीं अवैध लिफ्ट लगी हुई है। इन सबसे बीच से रोज होकर छात्र आते-जाते और पढ़ते हैं।

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