महाकुंभ क्षेत्र में अग्नि अखाड़े का छावनी प्रवेश : चांदी की पालकी और ओहदे पर सवार महंतों और संतों का भव्य स्वागत हुआ

UPT | अखाड़ा परिषद अध्यक्ष के साथ अग्नि अखाड़े के संत छावनी प्रवेश करते हुए

Dec 26, 2024 15:46

13 अखाड़ों से जुड़े साधु-संतों का मेला क्षेत्र में आगमन शुरू हो गया है। आज शंभु पंच अग्नि अखाड़े ने अपनी भव्य छावनी प्रवेश यात्रा (जिसे पहले पेशवाई कहा जाता था) के साथ मेला क्षेत्र में कदम रखा।

Prayagraj News : संगम नगरी प्रयागराज में महाकुंभ 2025 की तैयारियां अपने चरम पर हैं। महज 17 दिन बाद, 13 जनवरी 2025 से आरंभ होने वाले इस विश्व प्रसिद्ध धार्मिक मेले में आध्यात्मिकता और भारतीय संस्कृति की अनुपम झलक दिखाई देगी। इसी कड़ी में 13 अखाड़ों से जुड़े साधु-संतों का मेला क्षेत्र में आगमन शुरू हो गया है। आज शंभु पंच अग्नि अखाड़े ने अपनी भव्य छावनी प्रवेश यात्रा (जिसे पहले पेशवाई कहा जाता था) के साथ मेला क्षेत्र में कदम रखा।

शोभायात्रा का शुभारंभ और मार्ग
अग्नि अखाड़े की शोभायात्रा का आरंभ प्रयागराज के चौफटका स्थित अनंत माधव मंदिर से हुआ। यह शोभायात्रा पुराने शहर के विभिन्न मार्गों से गुजरती हुई संगम क्षेत्र में बनी अखाड़े की छावनी में पहुंची। 10 किलोमीटर लंबी इस यात्रा में सैकड़ों साधु-संत, रथ, बग्गी, घोड़े और पारंपरिक वाद्ययंत्रों के साथ भाग ले रहे थे। चांदी की पालकी और ओहदे पर सवार महंतों और संतों का भव्य स्वागत हुआ। मार्ग में श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा कर संतों का अभिनंदन किया।

महाकुंभ में अखाड़ों का महत्व
महाकुंभ में अखाड़ों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह धार्मिक आयोजन केवल आध्यात्मिकता का केंद्र ही नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, परंपरा  और एकता का प्रतीक भी है। अखाड़ों के इतिहास की बात की जाए तो अखाड़े भारत की वैदिक परंपरा से जुड़े संस्थान हैं। इनका उद्देश्य धर्म की रक्षा और समाज को मार्गदर्शन देना है। देश में कुल 13 अखाड़े हैं, जिनमें 7 शैव, 3 बैरागी, और 3 उदासीन अखाड़े शामिल हैं। 
शैव अखाड़े: शिवभक्ति पर आधारित। 
वैष्णव अखाड़े: विष्णु की उपासना करते हैं। 
उदासीन अखाड़े: गुरु नानक की वाणी से प्रेरित। 
अग्नि अखाड़ा: अग्नि अखाड़ा शैव सन्यासी परंपरा से जुड़ा है। यहां केवल ब्रह्मचारी ब्राह्मणों को दीक्षा दी जाती है। यह अखाड़ा तप, वैराग्य, और शिव भक्ति के लिए प्रसिद्ध है।

शोभायात्रा की भव्यता
अग्नि अखाड़े की शोभायात्रा अपने राजसी ठाट-बाट के लिए जानी गई। अग्नि अखाड़े का छावनी प्रवेश भारतीय परंपरा और आध्यात्मिक की एक अनूठी झलक देखने को मिली। अग्नि अखाड़े के साधु-संत मंत्रोच्चार और भजन-कीर्तन करते हुए शोभायात्रा में शामिल हुए। भव्य साज सज्जा के साथ हाथी, घोड़े, और चांदी के रथों ने शोभायात्रा को भव्यता प्रदान की। मार्ग में हजारों श्रद्धालु उपस्थित रहे। पुष्पवर्षा और जयकारों से वातावरण भक्तिमय हो गया।

अब तक तीन अखाड़ों का प्रवेश 
अग्नि अखाड़ा मेला क्षेत्र में प्रवेश करने वाला तीसरा अखाड़ा है। इससे पहले जुना अखाड़ा और आवाहन अखाड़ा ने अपनी छावनी में प्रवेश कर लिया है। शेष 10 अखाड़े भी जल्द ही अपने छावनी प्रवेश करेंगे। महाकुंभ को दिव्य और भव्य बनाने के लिए प्रशासन युद्धस्तर पर कार्य कर रहा है।
सभी अखाड़ों के शिविरों का निर्माण कार्य तेज गति से चल रहा है। मेला क्षेत्र में बिजली, पानी, और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं। मेले में अखाड़ों की शोभायात्रा, साधु-संतों के प्रवचन और धार्मिक अनुष्ठान श्रद्धालुओं के मुख्य आकर्षण होंगे।

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