महाकुंभ में संतों का आह्वान : संगम पर "डरेंगे तो मरेंगे" का नारा, गैर-सनातनियों के प्रवेश पर रोक की मांग

UPT | महाकुंभ क्षेत्र में लगा पोस्टर

Dec 25, 2024 19:27

महाकुंभ जो सनातन धर्म और आध्यात्मिकता का सबसे बड़ा आयोजन माना जाता है, अब शुरू होने से पहले ही राजनीतिक और धार्मिक चर्चाओं का केंद्र बन गया है।...

Prayagraj News : महाकुंभ जो सनातन धर्म और आध्यात्मिकता का सबसे बड़ा आयोजन माना जाता है, अब शुरू होने से पहले ही राजनीतिक और धार्मिक चर्चाओं का केंद्र बन गया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के "बटेंगे तो कटेंगे" बयान के बाद से संगम क्षेत्र में आयोजित होने वाले इस मेले में सनातन धर्म और हिंदुत्व से जुड़े मुद्दे प्रमुख रूप से उठने लगे हैं।

संतों का आह्वान 'डरेंगे तो मरेंगे'
संगम क्षेत्र में इन दिनों जो होर्डिंग्स लगाए गए हैं, वे खासे चर्चा में हैं। इनमें सबसे ज्यादा ध्यान आकर्षित करने वाला नारा है "डरेंगे तो मरेंगे", जिस पर जगद्गुरु रामानंदाचार्य नरेंद्राचार्य का नाम लिखा हुआ है। इन होर्डिंग्स पर अन्य स्लोगन भी लिखे गए हैं, जैसे "वक़्फ के नाम पर संपत्ति की लूट है, धर्मनिरपेक्ष देश में ये कैसी छूट है", "सनातन सात्विक है, पर कायर नहीं"। इन होर्डिंग्स के बैकग्राउंड में बंद मुट्ठी की छवि दिखाई दे रही है जो एकजुटता और शक्ति का प्रतीक मानी जा रही है। संतों ने हिंदुओं से एकजुट होने का आह्वान किया है और सनातन धर्म के खिलाफ किसी भी प्रकार की साजिश को न सहने की अपील की है।



गैर-सनातनियों के प्रवेश पर प्रतिबंध की मांग
महाकुंभ के दौरान साधु-संतों ने गैर-सनातनियों के प्रवेश पर रोक लगाने की भी मांग उठाई है। उनका कहना है कि यह मेला सनातन धर्म का प्रतीक है इसलिए इसमें केवल सनातनी श्रद्धालुओं को ही प्रवेश की अनुमति दी जानी चाहिए। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्रपुरी महाराज ने इन होर्डिंग्स का समर्थन करते हुए कहा कि "यह नारा सही है। हम और हमारे पूर्वज डरते रहे हैं, लेकिन अब यह दौर खत्म हो गया है। अब समय आ गया है कि हिंदू समाज अपनी एकजुटता और शक्ति को दिखाए। साधु-संत समाज अब और डरने वाला नहीं है।

महाकुंभ सनातन और हिंदुत्व के वैश्विक प्रसार का मंच
महाकुंभ को सिर्फ एक धार्मिक आयोजन के रूप में नहीं, बल्कि सनातन धर्म और हिंदुत्व के संदेश को वैश्विक स्तर पर प्रसारित करने का एक प्रमुख अवसर माना जा रहा है। संतों का कहना है कि हिंदू समाज को इस मौके का सही उपयोग अपनी परंपराओं और विश्वासों को मजबूती देने के लिए करना चाहिए। संगम क्षेत्र में लगाए गए इन होर्डिंग्स ने धार्मिक मेले को एक राजनीतिक और सामाजिक विमर्श का मंच बना दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान के बाद इस मुद्दे पर चर्चा और भी तेज हो गई है। जहां एक ओर साधु-संत इन नारों का समर्थन कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर इसे लेकर विभिन्न प्रतिक्रियाएं भी सामने आ रही हैं।

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