महाकुंभ में मिलिए बवंडर बाबा से : इंदौर से प्रयागराज पहुंचे, बाइक को बताया सनातन का रथ, 1 लाख किलोमीटर की यात्रा कर चुके

UPT | मेला क्षेत्र में बवंडर बाबा

Dec 30, 2024 16:25

संगम की रेती पर आयोजित हो रहे महाकुंभ में इस बार साधु-संन्यासी देखने को मिल रहे हैं। इसी क्रम में इंदौर से आए बवंडर बाबा की खूब चर्चा हो रही है।

Prayagraj News : महाकुंभ के पवित्र अवसर पर इंदौर से आए बवंडर बाबा की चर्चा चारों ओर है। बवंडर बाबा, जिनका असली नाम श्री अयोध्या जी आमंत्रण दूत विनोद सनातनी है, अपनी अनोखी यात्रा और सामाजिक संदेश के कारण हर किसी का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। बाबा अपनी विशेष रूप से सजाई गई बाइक को "सनातन का रथ" कहते हैं और इस रथ के जरिए उन्होंने पूरे देश में सनातन धर्म और आस्था का प्रचार किया है।

बाइक पर 1 लाख किलोमीटर से अधिक की यात्रा
बाबा ने 21 फरवरी 2023 को मध्यप्रदेश के इंदौर से अपनी धार्मिक यात्रा शुरू की थी। अब तक वे 25 राज्यों का भ्रमण कर चुके हैं और 1 लाख किलोमीटर की यात्रा पूरी कर चुके हैं। इस दौरान उन्होंने 12 ज्योतिर्लिंग, चार धाम और सप्तपुरी जैसे प्रमुख तीर्थ स्थलों के दर्शन किए। बाबा ने बताया कि उनकी यात्रा का उद्देश्य धर्म और सनातन की स्थापना है। इसके लिए वह महाकुंभ के होने जा रहे धर्म संसद में सनातन बोर्ड बनाने का मुद्दा रखने की कोशिश करेंगे। 

महाकुंभ में अनोखा संदेश
महाकुंभ में पहुंचे बाबा का कहना है कि उनकी बाइक केवल एक वाहन नहीं है, बल्कि यह सनातन धर्म का प्रतीक है। बाबा के अनोखे अंदाज को देखकर महाकुंभ में आए श्रद्धालु उनके साथ सेल्फी लेने के लिए उत्साहित हैं। बाबा ने कहा, "यह बाइक नहीं, सनातन का रथ है, जो धर्म और आस्था का संदेश लेकर हर कोने तक पहुंच रही है।"

सामाजिक सुधार का अभियान
बाबा सिर्फ धार्मिक संदेश तक सीमित नहीं हैं। वे गुटखा, खैनी, बीड़ी, सिगरेट, अगरबत्ती और अखबार पर भगवान की तस्वीरें छापने के खिलाफ एक सामाजिक अभियान चला रहे हैं। उनका कहना है कि इन उत्पादों के इस्तेमाल के बाद भगवान की तस्वीरें कूड़े में फेंक दी जाती हैं, जिससे उनका अपमान होता है। बाबा ने इसे रोकने के लिए पिछले तीन वर्षों से देशभर में जागरूकता फैलाई है और चेतावनी दी है कि यदि यह प्रथा बंद नहीं हुई, तो वे इसके खिलाफ कानूनी कदम उठाएंगे।

बवंडर बाबा का प्रेरक जीवन
टैक्सी चालक के रूप में 20 वर्षों तक जीवनयापन करने वाले बवंडर बाबा का जीवन 2020 में अयोध्या राम मंदिर के भूमि पूजन के बाद बदल गया। इस ऐतिहासिक घटना ने उन्हें इतना प्रेरित किया कि उन्होंने अपना पूरा जीवन सनातन धर्म और राम मंदिर के उद्घाटन के निमंत्रण को समर्पित कर दिया। बाबा ने शादी नहीं की और अपना जीवन धर्म प्रचार और सामाजिक सुधार के लिए समर्पित कर दिया।

आगे की यात्रा
महाकुंभ में शामिल होने के बाद बवंडर बाबा राजस्थान की ओर रवाना होंगे। उनकी यात्रा का हर चरण धर्म और समाज के प्रति उनके समर्पण का प्रतीक है। बाबा का कहना है, "मैं इस यात्रा के माध्यम से धर्म की रक्षा और समाज में सुधार लाने का प्रयास कर रहा हूं। यह रथ मेरी आस्था का प्रतीक है, और इसकी यात्रा तब तक जारी रहेगी, जब तक मैं अपने उद्देश्यों को पूरा नहीं कर लेता।"

महाकुंभ में बवंडर बाबा की उपस्थिति न केवल श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बनी, बल्कि उनके अनोखे सामाजिक और धार्मिक संदेश ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया।  

Also Read