हाईकोर्ट ने की सख्त टिप्पणी : कहा- कलक्टर हैं, शूरवीर नहीं, स्वतंत्र विभागों पर हुक्म चलाने का अधिकार नहीं, ये है पूरा मामला

UPT | इलाहाबाद हाईकोर्ट

Dec 25, 2024 12:41

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिलाधिकारियों (डीएम) के अधिकारों की सीमा स्पष्ट करते हुए सख्त टिप्पणी की है। हाईकोर्ट ने कहा कि ब्रिटिश काल से ही जिलाधिकारियों को जिले का सर्वोच्च अधिकारी माना जाता रहा है...

Prayagraj News : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिलाधिकारियों (डीएम) के अधिकारों की सीमा स्पष्ट करते हुए सख्त टिप्पणी की है। हाईकोर्ट ने कहा कि ब्रिटिश काल से ही जिलाधिकारियों को जिले का सर्वोच्च अधिकारी माना जाता रहा है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे स्वतंत्र निगमों और विभागों के कामकाज में हस्तक्षेप करें। डीएम को केवल राजस्व मामलों तक सीमित रहना चाहिए और स्वतंत्र विभागों के कर्मचारियों के खिलाफ जांच कराने या निलंबन का आदेश देने का अधिकार नहीं है।

निलंबन पर रोक, सवेतन बहाली
यह टिप्पणी न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की अदालत ने बलिया जिले के विद्युत वितरण खंड द्वितीय में तैनात इलेक्ट्रिशियन दुष्यंत कुमार राय के निलंबन पर रोक लगाते हुए की। कोर्ट ने दुष्यंत को अग्रिम आदेशों तक सवेतन बहाल करने का आदेश दिया और राज्य सरकार से दो हफ्तों में जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा है।

क्या है मामला?
याचिकाकर्ता दुष्यंत कुमार राय पर बिजली बिलों में गड़बड़ी और फर्जी एफआईआर दर्ज करने की धमकी देकर धन वसूली करने का आरोप लगा था। आयुष एवं खाद्य सुरक्षा विभाग के स्वतंत्र प्रभार मंत्री की शिकायत पर बलिया के डीएम ने सीडीओ से मामले की जांच कराई। जांच के बाद डीएम ने आजमगढ़ विद्युत विभाग के मुख्य अभियंता को कार्रवाई की संस्तुति दी, जिसके आधार पर 17 अक्तूबर 2024 को दुष्यंत को निलंबित कर दिया गया। दुष्यंत ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी।



राजनीतिक प्रेरित कार्रवाई का आरोप
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता प्रभाकर अवस्थी ने दलील दी कि निलंबन की कार्रवाई राजनीति से प्रेरित है और डीएम को विद्युत विभाग के कर्मचारियों के खिलाफ आदेश देने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने इस तर्क को स्वीकार करते हुए निलंबन पर रोक लगा दी।

डीएम को सीमित रहना चाहिए
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि किसी मंत्री या जनप्रतिनिधि को किसी विभाग के कर्मचारी के खिलाफ शिकायत करनी है, तो इसे संबंधित विभाग के सक्षम प्राधिकारी को भेजा जाना चाहिए। डीएम को ऐसी शिकायतों को विनम्रतापूर्वक संबंधित विभाग के अधिकारियों को प्रेषित करना चाहिए। खुद को शूरवीर समझकर कार्रवाई का आदेश देना उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। कोर्ट ने यह भी कहा कि मंत्री का आदेश डीएम को स्वतंत्र विभागों के मामलों में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं देता।

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