महाकुंभ 2025 : त्रिवेणी तट पर बसाई जा रही 11 हजार त्रिशूल और 5 करोड़ रुद्राक्ष की अनोखी दुनिया

UPT | महाकुंभ में साधना के लिए लगे त्रिशूल

Dec 25, 2024 16:58

महाकुंभ के दौरान त्रिवेणी तट पर भगवान शिव की अद्वितीय साधना का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें 11 हजार त्रिशूलों और 5 करोड़ 51 लाख रुद्राक्षों से अनोखी दुनिया बसाई जा रही है।

Prayagraj News : प्रयागराज महाकुंभ 2025 में इस बार भव्यता और आध्यात्मिकता का ऐसा संगम देखने को मिलेगा, जो पहले कभी नहीं देखा गया। महाकुंभ के दौरान त्रिवेणी तट पर भगवान शिव की अद्वितीय साधना का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें 11 हजार त्रिशूलों और 5 करोड़ 51 लाख रुद्राक्षों से अनोखी दुनिया बसाई जा रही है। यह साधना बांग्लादेश में हिंदुओं की रक्षा और हिंदू राष्ट्र निर्माण के संकल्प को समर्पित है।

शिव साधना का महा संकल्प
अमेठी स्थित संत परमहंस आश्रम, बाबूगंज सगरा के पीठाधीश्वर शिव योगी अभय चैतन्य ब्रह्मचारी ने इस अद्भुत आयोजन की रूपरेखा तैयार की है। वे बताते हैं कि इस साधना के लिए देश के 10 हजार गांवों के किसानों, गरीब जनता और रेडी-पटरी दुकानदारों से भिक्षा के रूप में सहयोग लिया गया है। उनके सहयोग से 5 करोड़ 51 लाख रुद्राक्ष इकट्ठा किए गए हैं। इन रुद्राक्षों से त्रिवेणी के किनारे द्वादश ज्योतिर्लिंग का निर्माण किया जा रहा है। यह साधना न केवल आध्यात्मिकता का संदेश देती है, बल्कि हिंदू समाज की रक्षा और एकता का प्रतीक है। बांग्लादेश में हिंदुओं की रक्षा के लिए यह अनुष्ठान एक मजबूत संदेश देगा।"

त्रिशूल और रुद्राक्ष की महत्ता
भगवान शिव के त्रिशूल को उनकी शक्ति और रक्षक स्वरूप का प्रतीक माना जाता है। इस साधना में 11 हजार त्रिशूलों का विशेष स्थान है। यहां जो काले त्रिशूल हैं वह आतंकवाद का नाश करेंगे। पीले त्रिशूल महामारी और बीमारियों का शमन करेंगे। लाल त्रिशूल वैभव और लक्ष्मी का आह्वान करेंगे। सफेद त्रिशूल ज्ञान और विवेक की वृद्धि करेंगे। इन सभी त्रिशूलों को संगम किनारे स्थापित किए जा रहे द्वादश ज्योतिर्लिंगों के चारों ओर स्थापित किया जाएगा। प्रत्येक त्रिशूल का निर्माण पहले ही पूरा कर लिया गया है।

108 हवन कुंडों में 125 करोड़ की आहुतियां
इस साधना में 108 हवन कुंडों का निर्माण किया गया है, जिनमें 125 करोड़ आहुतियां दी जाएंगी। इन आहुतियों के माध्यम से भगवान शिव से विश्व में शांति, सुख, और समृद्धि की कामना की जाएगी। महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह आयोजन विशेष आकर्षण का केंद्र होगा।

संगम तट पर द्वादश ज्योतिर्लिंग की भव्यता
रुद्राक्ष और त्रिशूलों की दिव्यता। शिव साधना का अद्वितीय स्वरूप। आध्यात्मिकता और राष्ट्रीय एकता का संदेश के साथ महाकुंभ का यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक धरोहर को भी दर्शाता है। अभय चैतन्य ब्रह्मचारी का यह प्रयास हिंदू समाज को एकजुट करने और धार्मिक सहिष्णुता का संदेश देने का एक महत्वपूर्ण कदम है।इस महाकुंभ में शिव साधना का यह अनूठा स्वरूप न केवल श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बनेगा, बल्कि एक वैश्विक संदेश भी देगा।

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