प्रयागराज से बड़ी खबर : हाईकोर्ट का एक्शन, मारपीट करने वाले अधिवक्ता यूपी में नहीं कर पाएंगे प्रेक्टिस...

UPT | इलाहाबाद हाईकोर्ट

May 01, 2024 10:48

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अधिवक्ताओं द्वारा कोर्ट रूम में वादकारी को पीटने के मामले में सख्त रुख अख्तियार किया है। हाईकोर्ट ने अधिवक्ताओं के यूपी की किसी भी जिला अदालत में वकालत करने पर...

Short Highlights
  • अधिवक्ता रणविजय सिंह के साथ आए वकीलों ने वादकारियों को पीटा। 
  • रणविजय सिंह, मो. आसिफ, मो. महताब और आफताब की सदस्यता समाप्त।
Prayagraj News : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अधिवक्ताओं द्वारा कोर्ट रूम में वादकारी को पीटने के मामले में सख्त रुख अख्तियार किया है। हाईकोर्ट ने अधिवक्ताओं के यूपी की किसी भी जिला अदालत में वकालत करने पर रोक लगा दी है। वह अब प्रदेश की किसी भी जिला अदालत में मुकदमों की पैरवी और बहस नहीं कर पाएंगे।

हाईकोर्ट ने जिला जज से मांगी घटना की रिपोर्ट
प्रयागराज जनपद न्यायालय स्थित सिविल न्यायालय में सोमवार को एक केस की सुनवाई के दौरान वादकारी दंपति को मारने पीटने और अदालत के कामकाज में बाधा पहुंचाने के मामले का हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए आरोपी अधिवक्ताओं की किसी भी अदालत में प्रैक्टिस और कोर्ट परिसर में घुसने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने जिला जज इलाहाबाद से सीसीटीवी के साथ विस्तृत रिपोर्ट तलब करते हुए आरोपी वकीलों के अलावा घटना में शामिल लोगों की पहचान कर आपराधिक अवमानना की कार्रवाई शुरू करने का आदेश दिया है। 

जिला जज ने हाईकोर्ट को भेजी रिपोर्ट
यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति अजहर हुसैन इदरीशी की खंडपीठ ने मंगलवार को दिया। सिविल जज की शिकायत पर जिला जज की ओर से भेजी गई रिपोर्ट का संज्ञान लेने के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने यह सख्ती बरती है। उधर, जिला अधिवक्ता संघ की कार्यकारिणी ने सर्वसम्मति से आरोपी अधिवक्ता रणविजय सिंह, मो. आसिफ, मो. महताब और आफताब की बार संघ से सदस्यता समाप्त कर दी है। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने आरोपी अधिवक्ता रणविजय व मो. आसिफ के खिलाफ आपराधिक अवमानना का नोटिस भी जारी किया है।

सिविल जज ने रिपोर्ट में बताई पूरी कहानी
जिला कचहरी में हुई मारपीट की पूरी कहानी सिविल जज सीनियर डिविजन चेतना सिंह ने अपनी रिपोर्ट में बयां की है। लिखा है कि सोमवार को उनकी अदालत में मुलायम सिंह बनाम तरसू लाल के सिविल वाद की सुनवाई चल रही थी। तभी वकीलों का एक गुट कोर्ट में घुस आया और रणविजय सिंह व अन्य बनाम खुर्शीद अहमद के मुकदमे की सुनवाई के लिए दबाव बनाने लगा। इसमें वादकारी स्वयं अधिवक्ता है। अधिवक्ता रणविजय सिंह और उनके साथ आए अन्य वकीलों ने सुनवाई का दबाव बनाते हुए वादकारियों को पीटना शुरू कर दिया। पीठासीन अधिकारी से भी दुर्व्यवहार किया गया। सिविल जज ने लिखा है कि जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष ने अपने स्तर से इस मामले को सुलझाने की कोशिश की, लेकिन रणविजय सिंह और मोहम्मद आसिफ उनकी एक भी सुनने को तैयार नहीं हुए। इसके बाद अध्यक्ष खुद को बचाने के लिए कोर्ट से बाहर चले गए।

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