महाकुंभ 2025 : कौन-कौन से घाटों पर कर सकेंगे स्नान, जानिए कुंभ मेले से जुड़े महत्वपूर्ण सवालों के जवाब

UPT | महाकुंभ 2025

Jan 11, 2025 15:17

इस बार लाखों श्रद्धालुओं के उपस्थित होने की संभावना है। इस लेख में हम जानेंगे कि श्रद्धालु किन-किन घाटों पर स्नान कर सकेंगे और मेला से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी...

Prayagraj News : महाकुंभ 2025 का आयोजन उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में होने जा रहा है। जो हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण आयोजन है। यह पवित्र मेला हर 12 साल में आयोजित किया जाता है और इस बार लाखों श्रद्धालुओं के उपस्थित होने की संभावना है। इस लेख में हम जानेंगे कि श्रद्धालु किन-किन घाटों पर स्नान कर सकेंगे और मेला से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी...

स्नान के लिए प्रमुख घाट
  • संगम घाट : प्रयागराज के कुंभ मेले का मुख्य आकर्षण जहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों का संगम होता है। यह सबसे पवित्र स्नान स्थल है।  
  • रामघाट : यह घाट प्रयागराज के प्राचीन घाटों में से एक है और श्रद्धालुओं के बीच काफी प्रसिद्ध है।  
  • अरैल घाट : संगम के दूसरी ओर स्थित यह घाट, भीड़ से बचने और शांति के साथ स्नान करने के लिए आदर्श है।  
  • नागवासुकी घाट : नाग देवता को समर्पित यह घाट धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व रखता है।  
  • दशाश्वमेध घाट : यह घाट कुंभ मेले के दौरान धार्मिक अनुष्ठानों और स्नान के लिए उपयोग होता है।  
  • गंगा मेधा घाट : विशेष रूप से अर्चना के लिए प्रसिद्ध है। जहां श्रद्धालु अपने तीर्थ स्नान को पूर्ण करते हैं।

मेला कब शुरू होगा?
महाकुंभ मेला 2025 का आयोजन प्रयागराज में 14 जनवरी 2025 (मकर संक्रांति) से आरंभ होगा। यह मेला हिंदू धर्म की परंपराओं और मान्यताओं के अनुसार माघ पूर्णिमा (24 फरवरी 2025) तक चलेगा। इस अवधि में श्रद्धालु संगम और अन्य पवित्र घाटों पर स्नान कर अपने जीवन को धर्ममय और पवित्र बनाएंगे।

अन्य आयोजन और गतिविधियाँ
स्नान के साथ-साथ महाकुंभ में विभिन्न धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। संतों और धर्म गुरु से प्रवचन, भजन-कीर्तन और विभिन्न धार्मिक समाचारों का प्रकाशन होगा। श्रद्धालु यहां संतों से मिलने और आशीर्वाद लेने का भी अवसर पाएंगे।

सुरक्षा और सुविधाएँ
महाकुंभ में प्रशासन द्वारा सुरक्षा व्यवस्था और सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा जाएगा। पुलिस, अर्धसैनिक बल और स्थानीय प्रशासन के सहयोग से पूरे क्षेत्र में सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। इसके साथ स्वास्थ्य सेवाएं, साफ-सफाई और यातायात प्रबंधन के लिए भी ठोस उपाय किए जाएंगे।

महाकुंभ 2025 के प्रमुख स्नान पर्व 
  • मकर संक्रांति (14/15 जनवरी)  
  • पौष पूर्णिमा (25 जनवरी) 
  • मौनी अमावस्या (10 फरवरी) 
  • बसंत पंचमी (16 फरवरी)
  • माघ पूर्णिमा (24 फरवरी) 
  • महाशिवरात्रि (8 मार्च)
महाकुंभ 2025 से जुड़े सवाल और उनके जवाब
संगम पर स्नान का महत्व क्या है?

संगम वह स्थान है, जहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों का मिलन होता है। इसे मोक्ष प्राप्ति और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है।  

कुंभ मेला कितने साल में होता है?
कुंभ मेला हर 12 साल में होता है। अर्धकुंभ हर 6 साल में आयोजित किया जाता है।  

कुंभ मेले में आने का सबसे अच्छा समय क्या है?
महाकुंभ के प्रमुख स्नान पर्व (जैसे मौनी अमावस्या, मकर संक्रांति) के दिन सबसे अच्छा समय होता है, लेकिन इन दिनों अधिक भीड़ रहती है।  

कुंभ मेले में साधु-संतों की भूमिका क्या होती है?
महाकुंभ के दौरान अखाड़ों के साधु-संत शाही स्नान में शामिल होते हैं और अपने अनुयायियों को धर्म, योग और अध्यात्म का संदेश देते हैं।

कुंभ मेले का आयोजन क्यों किया जाता है? 
कुंभ मेला हिंदू धर्म के चार पवित्र स्थानों (प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक) पर आयोजित होता है। यह समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश से जुड़ी पौराणिक कथा पर आधारित है।  

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