जूना अखाड़े के फैसले से खुश राखी के दादा-दादी : बोले- साध्वी बनने की नहीं थी उम्र, बताई पूरी सच्चाई

UPT | राखी और उसके दादा-दादी

Jan 11, 2025 15:36

नाबालिग राखी को साध्वी के रूप में स्वीकार करने वाले महंत कौशल गिरि को जूना अखाड़े ने कड़ा फैसला लेते हुए सात साल के लिए निष्कासित कर दिया है...

Prayagraj News : उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के टरकपुरा गांव की रहने वाली राखी ने जूना अखाड़े से दीक्षा लेकर साध्वी का दर्जा प्राप्त कर लिया। लेकिन नाबालिग राखी को साध्वी के रूप में स्वीकार करने वाले महंत कौशल गिरि को जूना अखाड़े ने कड़ा फैसला लेते हुए सात साल के लिए निष्कासित कर दिया है। इस विवाद के बीच अब पहली बार राखी के दादा-दादी का बयान सामने आया है, जिससे मामला और भी चर्चा में आ गया है।

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दादा ने कहा- अखाड़े के फैसले से खुश हैं
राखी के 65 वर्षीय दादा रोहतान सिंह धाकरे ने कहा कि उन्हें अपनी पोती के साध्वी बनने की खबर मीडिया के जरिए मिली। उन्होंने कहा, "हम इस फैसले से खुश हैं क्योंकि उसकी उम्र अभी इतनी नहीं है कि वह ऐसे काम कर सके। अखाड़े में उसकी दीक्षा को लेकर हमें कोई सूचना नहीं दी गई थी।" वहीं, राखी की दादी राधा देवी ने कहा कि वह काफी समय से हमारे पास नहीं रहती है।



'साध्वी बनाने से पहले उम्र पर ध्यान देना चाहिए'
दादा रोहतान सिंह ने जूना अखाड़े के फैसले पर बोला कि जूना अखाड़ा का फैसला बिल्कुल सही है। साध्वी बनाने से पहले उम्र पर ध्यान देना चाहिए। इतनी कम उम्र में ऐसे फैसले लेना उचित नहीं है। कम से कम बच्चे की उम्र और परिपक्वता का ध्यान रखना जरूरी है।

'साधारण जीवन जीती है राखी'
दादी राधा देवी ने कहा कि राखी हमेशा पढ़ाई और पूजा-पाठ में ही व्यस्त रहती थी। उन्होंने बताया कि राखी साधारण जीवन जीती थी और ज्यादा बातचीत नहीं करती थी। राखी के पिता संदीप उर्फ दिनेश ने कहा कि उनकी बेटी ने कक्षा 1 से 3 तक पढ़ाई अपने मामा के घर कानपुर में की थी। कक्षा 4 से 7 तक महादेव इंटर कॉलेज, डौकी में पढ़ाई की और फिर कक्षा 7 से 9 तक कुंडौल के स्प्रिंगफील्ड इंटर कॉलेज में शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने बताया कि राखी शुरू से ही धार्मिक प्रवृत्ति की थी और भक्ति में लीन रहती थी।

राखी के पिता का बयान
राखी के पिता ने बताया कि वह स्कूल से लौटने के बाद खाना-पीना कर पूजा-पाठ में लग जाती थी। हमेशा से उसका झुकाव आध्यात्मिकता की ओर था। परिवार के सभी लोग 20 दिसंबर को प्रयागराज गए थे। अचानक बेटी राखी के मन में भक्ति की भावना जागी और उसने अपनी स्वेच्छा से महाकुंभ में जूना अखाड़े की दीक्षा ले ली। परिवार ने उसे काफी समझाने की कोशिश की, लेकिन राखी ने अपनी बात पर अडिग रहते हुए मना कर दिया। राखी की मां रीमा सिंह धाकरे एक घरेलू महिला हैं।

कौशल गिरी महाराज से परिवार का जुड़ाव
जानकारी के मुताबिक परिवार का जूना अखाड़े के कौशल गिरी महाराज से वर्षों पुराना जुड़ाव है। महाराज का हरियाणा के बिलासपुर में आश्रम है। गांव के काली मां मंदिर में पिछले तीन साल से उनकी ओर से नियमित कथा का आयोजन हो रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि इन कथाओं के दौरान ही राखी का रुझान आध्यात्म की ओर बढ़ा। मां रीमा सिंह धाकरे एक घरेलू महिला हैं और परिवार में पूजा-पाठ का माहौल पहले से ही बना रहता था।

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