कर्मकांड नहीं अध्यात्म पर जोर : जानिए श्री पंचायती नया उदासीन अखाड़े की खास बातें...यहां नहीं होते नागा साधु

UPT | श्री पंचायती नया उदासीन अखाड़ा

Jan 10, 2025 15:03

श्री पंचायती नया उदासीन अखाड़ा, आज शुक्रवार को अपनी पेशवाई (छावनी प्रवेश) के साथ शुरू हो गया है। इस पेशवाई में 500 से अधिक साधु संत शामिल हैं, जो शिव की आराधना और गुरुबाणी का पाठ करते हुए चल रहे हैं...

Prayagraj News : प्रयागराज में 13 जनवरी से महाकुंभ का आयोजन होने जा रहा है, जिसमें देश के 13 प्रमुख अखाड़ों के साधु संत अपनी उपस्थिति से इस आयोजन की शोभा बढ़ाएंगे। इन अखाड़ों के साधु संत शाही स्नान के दौरान पवित्र नदियों में डुबकी लगाएंगे, जो इस महाकुंभ का एक अहम हिस्सा है। इन 13 प्रमुख अखाड़ों में से एक महत्वपूर्ण स्थान श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन का है। इसी अखाड़े का नया हिस्सा, श्री पंचायती नया उदासीन अखाड़ा, आज शुक्रवार को अपनी पेशवाई (छावनी प्रवेश) के साथ शुरू हो गया है।

500 से अधिक साधु-संत शामिल
इस पेशवाई में 500 से अधिक साधु संत शामिल हैं, जो शिव की आराधना और गुरुबाणी का पाठ करते हुए चल रहे हैं। पेशवाई मुंशी राम बगिया, मुठ्ठीगंज से रवाना हुई और जगह-जगह फूलों से उनका स्वागत किया गया। साधु-संतों का स्वागत करने के लिए लोग उत्साहित थे और कई ने उनके साथ सेल्फी भी ली। अब ये संत संगम की रेती पर पहुंचकर जप और तप करेंगे। महाकुंभ 13 जनवरी से शुरू हो रहा है और इस आयोजन में करीब 50 करोड़ श्रद्धालुओं के शामिल होने की उम्मीद है। यह एक ऐतिहासिक धार्मिक आयोजन है, जिसमें लोग आस्था और भक्ति के साथ भाग लेते हैं। 



हरिद्वार में है मुख्य केंद्र
श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन एक 111 वर्ष पुराना अखाड़ा है और इसमें नागा साधु नहीं होते। इसके महंतों के अनुसार, इस अखाड़े के संतों के बीच वैचारिक मतभिन्नता के बाद महात्मा सूरदास जी की प्रेरणा से एक नया अखाड़ा स्थापित किया गया। इसे श्री पंचायती नया उदासीन अखाड़ा (हरिद्वार) नाम दिया गया और इसका मुख्य केंद्र हरिद्वार के कनखल में स्थित है। 

देशभर में हैं 700 डेरे
इस अखाड़े में देशभर में करीब 700 डेरे हैं और यह उदासीन सम्प्रदाय से संबंधित है। इस अखाड़े में वही साधु संत शामिल होते हैं, जो छठी बख्शीश के श्री संगत देव की परंपरा का पालन करते हैं। पहले श्री पंचायती नया उदासीन अखाड़ा बड़ा उदासीन अखाड़े का हिस्सा था, जिसकी स्थापना निर्वाण बाबा प्रीतम दास महाराज ने की थी। इस अखाड़े के पथ प्रदर्शक उदासीन आचार्य जगतगुरु चंद्र देव महाराज थे।

अखाड़े का प्रमुख आश्रम प्रयागराज में
श्री पंचायती नया उदासीन अखाड़ा का प्रमुख आश्रम प्रयागराज में है और यह अखाड़ा 1825 ईस्वी में हरिद्वार के हर की पौड़ी पर स्थापित किया गया था। इसके संस्थापक निर्वाण बाबा प्रीतम दास महाराज माने जाते हैं और इस अखाड़े के पथ प्रदर्शक गुरू नानक देव के पुत्र श्री चंददेव थे। 

किसे मानते हैं अपनी इष्ट देव
यह अखाड़ा अपना इष्ट देव श्री श्री 1008 चंद्र देव जी भगवान और ब्रह्मा जी के चार पुत्रों को मानता है। यह अखाड़ा सनातन धर्म और सिख पंथ दोनों की परंपराओं का पालन करता है और इसकी देशभर में 1600 शाखाएं हैं। इस अखाड़े में चार पंगत होते हैं, जिनके चार महंत होते हैं और इनमें से एक श्रीमंहत के पद पर होता है, जो पूरे अखाड़े के संचालन की जिम्मेदारी संभालता है।

देश की आजादी में भी रहा सक्रिय
अखाड़े के महंतों के अनुसार, महात्मा सूरदास जी की प्रेरणा से एक अलग अखाड़ा स्थापित किया गया, जिसे श्री पंचायती नया उदासीन अखाड़ा (हरिद्वार) नाम दिया गया। इस अखाड़े के संतों ने हमेशा सनातन धर्म और संस्कृति की रक्षा का कार्य किया है और देश की आज़ादी की लड़ाई में भी यह अखाड़ा सक्रिय था। इस अखाड़े का रजिस्ट्रेशन 1913 में हुआ था। 

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कर्मकांड के बदले अध्यात्म पर जोर
यह अखाड़ा कर्मकांड के बदले अध्यात्म पर ज्यादा जोर देता है। इसका कहना है कि भगवान को कहीं बाहर मत तलाशो, वह आपके अंदर ही हैं। जिस दिन आप खुद को पहचान लेंगे, भगवान के दर्शन उसी दिन हो जाएंगे। यह अखाड़ा गुरू नानक देव की शिक्षाओं का पालन करता है और इसके साधु संत भगवान शिव की अराधना करते हुए गुरबाणी का पाठ भी करते हैं। इन साधु संतों का जीवन वानप्रस्थ जीवन होता है और वे डेरों में रहकर भगवान का ध्यान करते हैं। 

अखाड़े में नहीं शामिल होते नागा साधु
इस अखाड़े की एक खास बात यह है कि इसमें नागा साधु नहीं होते। इसके धर्मध्वजा में एक ओर हनुमान जी की तस्वीर होती है और वहीं चक्र का भी विशेष महत्व होता है। महाकुंभ के दौरान, इस अखाड़े के साधु संत दिन में तीन बार गंगा स्नान करते हैं और घास-फूस पर सोते हैं। वे दिन में एक बार ही भोजन करते हैं और पूरा दिन प्रभु के ध्यान में मग्न रहते हैं।

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