पतित को पावन बनाने का पर्व है महाकुंभ : 'प्रयागपुत्र' बोले- कुंभ को मेला न समझें, मानव कल्याण है उद्देश्य

UPT | प्रयागपुत्र राकेश कुमार शुक्ला

Dec 30, 2024 13:49

महाकुंभ महज एक मेला नहीं, बल्कि एक ऐसा दिव्य पर्व है जो धरती पर मानवता की सांस्कृतिक धरोहर को संजीवनी प्रदान करता है। यह करीब डेढ़ माह तक चलने वाला एक पवित्र और आध्यात्मिक अनुभव है...

Prayagraj News : महाकुंभ महज एक मेला नहीं, बल्कि एक ऐसा दिव्य पर्व है जो धरती पर मानवता की सांस्कृतिक धरोहर को संजीवनी प्रदान करता है। यह करीब डेढ़ माह तक चलने वाला एक पवित्र और आध्यात्मिक अनुभव है। जो मानव कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है। प्रयागराज के तीर्थ राज प्रयाग में "प्रयागपुत्र" के नाम से प्रसिद्ध राकेश कुमार शुक्ला ने महाकुंभ के महत्व पर विस्तृत चर्चा की और श्रद्धालुओं से इसे केवल मेला नहीं, बल्कि एक गहरी आध्यात्मिक यात्रा के रूप में मानने की अपील की।

राकेश ने बुक में बताया महाकुंभ का महात्म्य
राकेश शुक्ला ने अपनी कॉफी टेबल बुक में महाकुंभ के महात्म्य को प्रमुखता से स्थान दिया है और इसे केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि एक डिजिटल डिटॉक्स और पतित को पावन बनाने का पर्व बताया। उन्होंने कहा कि महाकुंभ का आयोजन मानवता के कल्याण के उद्देश्य से किया जाता है और इसे पूरी तरह से आध्यात्मिक दृष्टिकोण से समझने की जरूरत है।



शुक्ला ने कुंभ पर्व को चार मुख्य हिस्सों में बांटा
आध्यात्मिक परिकल्पना, प्रबंधन, अर्थव्यवस्था, और वैश्विक भागीदारी। उन्होंने कहा कि प्रत्येक श्रद्धालु के लिए यह जानना जरूरी है कि कुंभ क्या है, क्यों मनाया जाता है और इसे कैसे मनाना चाहिए। राकेश शुक्ला ने सनातन वैदिक हिन्दू धर्म को दुनिया का एकमात्र ऐसा धर्म बताया जिसका उद्देश्य मानवता का कल्याण और निःस्वार्थ सेवा है।

धर्म का व्यवसाय नहीं, बल्कि व्यवसाय में धर्म होना चाहिए
महाकुंभ के आयोजन में संतों, ऋषियों, योगियों और महात्माओं की भूमिका पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि यह पर्व उन सभी की साझा मेहनत का परिणाम है। शुक्ला ने इस बात पर भी बल दिया कि कुंभ के आयोजन में धर्म का व्यवसाय नहीं, बल्कि व्यवसाय में धर्म होना चाहिए। उन्होंने इस दौरान एक महत्वपूर्ण बात कही कि "1 मिनट की रील की बजाय रियल जीवन जीना ही कल्पवास का उद्देश्य है। राकेश शुक्ला ने महाकुंभ को ईश्वरीय संविधान की शक्ति से प्रेरित एक अद्वितीय पर्व बताया जो न केवल भारतीय संस्कृति की पहचान है, बल्कि पूरे विश्व को सत्य, आस्था और समर्पण की ओर मार्गदर्शन करता है।

Also Read