Prayagraj News : मां-बेटी के विवाद में हाईकोर्ट ने कहा - 'मातृ देवो भव:', माता के इलाज का 25% खर्च देने का आदेश

UPT | इलाहाबाद हाईकोर्ट

Oct 15, 2024 21:30

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मां-बेटी के बीच के विवाद में सुनवाई के दौरान रहीम के दोहे का उद्धरण देते हुए निर्णय सुनाया। कोर्ट ने कहा, "मातृ देवो भवः" (मां भगवान के समान होती है) और "क्षमा बड़न को चाहिए, छोटन को उत्पात...

Praygaraj News : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मां-बेटी के बीच के विवाद में सुनवाई के दौरान रहीम के दोहे का उद्धरण देते हुए निर्णय सुनाया। कोर्ट ने कहा, "मातृ देवो भवः" (मां भगवान के समान होती है) और "क्षमा बड़न को चाहिए, छोटन को उत्पात" (बड़ों को क्षमा शोभा देती है और छोटों को शरारत)।कोर्ट ने रांची के एक अस्पताल में भर्ती मां के इलाज के लिए बेटी को 25% खर्च का भुगतान करने का निर्देश दिया। बेटी ने हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर अपनी मां की देखभाल से जुड़े विवाद को सुलझाने की मांग की थी। न्यायालय ने कहा कि बेटी को अपनी मां के चिकित्सा खर्च का कम से कम 25% भुगतान करना चाहिए। यह फैसला हाईकोर्ट के जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी की बेंच ने दिया।

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बेटी ने परिवार अदालत के एक आदेश दी चुनौती
प्रयागराज की निवासी संगीता कुमारी ने परिवार अदालत के एक आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उसे अपनी मां को हर महीने 8,000 रुपए का रखरखाव भुगतान करने का निर्देश दिया गया है। इससे पहले, मां ने अपनी बेटी से गुजारा भत्ता मांगते हुए परिवार अदालत में एक आवेदन दायर किया था, जिसके परिणामस्वरूप यह आदेश जारी किया गया।



बेटी ने दिया यह कारण
बेटी ने अपने प्रति उपेक्षा की बात करते हुए अदालत में दलील दी। उसने फैसले को एकपक्षीय मानते हुए आदेश के खिलाफ एक रिकॉल आवेदन दायर किया, जिसमें तर्क दिया गया कि उसकी मां की चार अन्य बेटियां हैं, जिन्हें उसकी संपत्तियों में हिस्सेदारी दी गई है। उसने यह भी कहा कि जब रखरखाव की मांग की गई, तो उसकी मां ने केवल उससे ही सहायता मांगी, जबकि अन्य बेटियों से नहीं, जो कि अनुचित था। हालांकि, कोर्ट ने इस रिकॉल आवेदन को भी खारिज कर दिया।

वकील के माध्यम से दी जानकारी
संगीता कुमारी ने अपने वकील के माध्यम से कोर्ट को बताया कि वह मामले को आपसी सुलझाने के लिए तैयार हैं। अदालत को यह भी जानकारी दी गई कि वह अपनी मां से मिलने अस्पताल जाएगी, जहां वह वर्तमान में भर्ती हैं। संगीता ने स्पष्ट किया कि वह मां से मिलने की कोशिश करेगी, न कि एक प्रतिद्वंद्वी के रूप में।

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कोर्ट ने दिया यह निर्देश
कोर्ट ने याची के अधिवक्ता के इस बयान पर, मामले को सौहार्द्रपूर्ण ढंग से सुलझाने की आशा जताते हुए, बेटी को निर्देश दिया कि वह अपनी मां के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करे। कोर्ट ने कहा कि उसे अस्पताल में भर्ती मां के चिकित्सा खर्च की बकाया राशि का कम से कम 25% भुगतान करना चाहिए। इसके साथ ही, कोर्ट ने याचिका की पुनः सुनवाई का आश्वासन भी दिया।

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