महाकुंभ 2025 : धर्मध्वजाएं बनीं आकर्षण का केंद्र, वैदिक अनुष्ठान और मंत्रोच्चार के साथ निरंजनी अखाड़े ने अपनी धर्मध्वजा स्थापित की

UPT | महाकुंभ में निरंजनी अखाड़े की धर्म ध्वजा स्थापित।

Dec 30, 2024 15:33

प्रयागराज में महाकुंभ 2025 की तैयारियों के तहत संगम क्षेत्र में अखाड़ों की धर्मध्वजाएं आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। ये ध्वज अखाड़ों की पहचान, परंपरा और शक्ति के प्रतीक हैं, जिनका रंग, ऊंचाई और डिजाइन उनकी विशिष्ट परंपरा को दर्शाते हैं।

Prayagraj News : प्रयागराज में महाकुंभ 2025 की तैयारियां जोरों पर हैं। संगम नगरी में अखाड़ों की धर्मध्वजाएं महाकुंभ क्षेत्र का प्रमुख आकर्षण बनी हुई हैं। इन ध्वजाओं का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व ऐसा है कि यह अखाड़ों की पहचान, प्रतिष्ठा और उनकी परंपराओं का प्रतीक मानी जाती हैं।   धर्मध्वजा का महत्व धर्मध्वजा, जिसका अर्थ "निरंतर गति और ध्वनि करने वाला" है, अखाड़ों के वर्चस्व, शक्ति और उनके इष्टदेव का प्रतीक होती है। इन ध्वजाओं का रंग, ऊंचाई और डिज़ाइन प्रत्येक अखाड़े की विशेष परंपरा को दर्शाता है। यह ध्वज किसी राजा के विशेष चिह्न के समान है, जिसे झुकने या अपमानित होने से बचाने के लिए अखाड़े हर संभव प्रयास करते हैं।   निरंजनी अखाड़े में धर्मध्वजा की स्थापना निरंजनी अखाड़े ने वैदिक मंत्रोच्चार और भव्य अनुष्ठान के साथ अपनी धर्मध्वजा स्थापित की। यह ध्वजा 52 बंधों से सुसज्जित है, जो अखाड़े से जुड़ी 52 मढ़ियों का प्रतीक हैं। इन बंधों के बीच लगभग एक हाथ का अंतर रखा गया है। धर्मध्वजा की कुल ऊंचाई 52 हाथ है, जो इसे दूर से भी स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।   शैव अखाड़ों की विशेषता शैव अखाड़ों की धर्मध्वजाएं भगवा रंग की होती हैं, जो सनातन धर्म में शक्ति, तप और साधना का प्रतीक है। इन ध्वजाओं को चारों दिशाओं में बांधने की परंपरा है, जो उनके वर्चस्व और अखाड़े की आध्यात्मिक शक्ति का प्रदर्शन करती है।   महाकुंभ के लिए विशेष अनुष्ठान महाकुंभ के आयोजन में प्रत्येक अखाड़ा अपने शिविर में शुभ मुहूर्त पर धर्मध्वजा की स्थापना करता है। इसके साथ ही, धर्मध्वजा के पास उनके इष्टदेव की स्थापना भी की जाती है। धर्मध्वजा और इष्टदेव का यह संयोजन अखाड़ों की आध्यात्मिक और धार्मिक प्रतिष्ठा को और मजबूत करता है।   धर्मध्वजा : परंपरा और प्रतीक  धर्मध्वजा का इतिहास हजारों वर्षों पुराना है। यह न केवल अखाड़ों की परंपराओं का प्रतीक है, बल्कि उनकी ताकत, एकता और अनुशासन को भी प्रदर्शित करती है। महाकुंभ में इन धर्मध्वजाओं की उपस्थिति श्रद्धालुओं और साधुओं के बीच उत्साह और आस्था को बढ़ाने का काम करती है।   महाकुंभ 2025 में धर्मध्वजाओं की भूमिका महाकुंभ 2025 के दौरान, पेशवाई जुलूस के पहले सभी अखाड़ों ने अपनी-अपनी धर्मध्वजाओं की स्थापना कर ली है। यह परंपरा महाकुंभ के शुभारंभ का संकेत देती है। श्रद्धालु इन धर्मध्वजाओं को देखकर न केवल आध्यात्मिकता का अनुभव करते हैं, बल्कि अखाड़ों की गौरवशाली परंपरा से भी रूबरू होते हैं।   अखाड़ों का संदेश  धर्मध्वजाएं केवल प्रतीक नहीं हैं; वे अखाड़ों के इष्टदेव, तप और परंपरा के प्रति उनकी निष्ठा को दर्शाती हैं। यह महाकुंभ 2025 के आयोजन को और भी भव्य और ऐतिहासिक बनाने का कार्य कर रही हैं। महाकुंभ 2025 में आने वाले श्रद्धालु इन ध्वजाओं को न केवल देख सकेंगे, बल्कि इनके माध्यम से भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता की गहराई को भी महसूस कर पाएंगे। 

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