महायज्ञ में अनुष्ठान और अध्यात्म का संगम : गायत्री मंत्र साधक के मन, मस्तिष्क और विचारों को सही मार्ग की ओर प्रेरित करता है 

UPT | अन्नप्राशन संस्कार के लिए बच्चों के साथ माताएं।

Dec 02, 2024 18:24

गाजीपुर जनपद के मुहम्मदाबाद स्थित बल्लभदास अग्रवाल के अहाते में गायत्री महायज्ञ के पांचवें दिन धार्मिक आस्था के साथ विविध निःशुल्क संस्कार कराए गए। इनमें पुंसवन, अन्नप्राशन, विद्यारंभ, दीक्षा और मुंडन संस्कार शामिल थे। श्रद्धालुओं ने बड़ी संख्या में भाग लेकर अपनी धार्मिक आस्था प्रकट की।

Ghazipur News : गाजीपुर जनपद के मुहम्मदाबाद में स्थित बल्लभदास अग्रवाल के अहाते में गायत्री महायज्ञ का पांचवां दिन धार्मिक आस्था और हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ। इस दिन यज्ञ के दौरान विविध निःशुल्क संस्कार कराए गए, जिनमें पुंसवन, अन्नप्राशन, विद्यारंभ, दीक्षा और मुंडन संस्कार शामिल थे। जिले के विभिन्न कोनों से आए श्रद्धालु इस पावन अवसर में सम्मिलित हुए और अपनी धार्मिक आस्था प्रकट की। 



संस्कारों का महत्व और वैदिक रीति से सम्पन्न आयोजन
पुंसवन संस्कार के अंतर्गत गर्भ में पल रहे शिशुओं को वेद मंत्रों से संस्कारित किया गया। गोद में खेल रहे नन्हें बच्चों का अन्नप्राशन संस्कार संपन्न हुआ, जिसमें पहली बार उन्हें अन्न ग्रहण कराया गया। शिक्षा के योग्य बच्चों का विद्यारंभ संस्कार हुआ, जबकि मुंडन संस्कार के लिए उपस्थित बच्चों को वैदिक रीति से संस्कारित किया गया। श्रद्धालुओं ने सपत्नीक गायत्री परिवार के विधि-विधान में सम्मिलित होकर अपने जीवन को धर्म और आध्यात्मिकता के प्रति समर्पित किया। इस आयोजन में जीवन को संस्कारवान बनाने की प्रेरणा दी गई।

संस्कार : परिवार और समाज का आधार
गायत्री परिवार के मुख्य ट्रस्टी सुरेंद्र सिंह ने संस्कारों के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि संस्कार का अर्थ होता है "परिष्कार" या "निर्माण।" उन्होंने बताया कि संस्कार वह प्रक्रिया है, जो किसी व्यक्ति को योग्य बनाती है। संस्कारों के माध्यम से परिवार और समाज में उच्च नैतिक मूल्यों का निर्माण होता है। यह प्रक्रिया मनोवैज्ञानिक और धार्मिक दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण साधन है।

उन्होंने यह भी बताया कि संस्कार केवल धार्मिक कृत्य नहीं हैं, बल्कि यह व्यक्तियों को मानसिक रूप से सुदृढ़ और नैतिक रूप से समृद्ध बनाते हैं। इनका प्रभाव व्यक्ति के सूक्ष्म मन पर इतना गहरा होता है कि वह जीवन भर के लिए अमिट छाप छोड़ता है।

गायत्री मंत्र और उसकी महिमा
कार्यक्रम में शांतिकुंज प्रतिनिधि और टोली नायक ओमेश्वर देशमुख ने गायत्री मंत्र की महिमा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि गायत्री मंत्र साधक के मन, मस्तिष्क और विचारों को सन्मार्ग की ओर प्रेरित करता है। यह आत्मा का शोधन करता है और मनुष्य के दोषों और दुर्गुणों को समाप्त करता है। उन्होंने कहा कि गायत्री तत्व को भली प्रकार समझ लेने पर व्यक्ति को इस संसार में कोई दुख शेष नहीं रहता।

यज्ञ का आध्यात्मिक महत्व
यज्ञ की महिमा पर चर्चा करते हुए दीदी मिथिलेश उपाध्याय ने कहा कि यज्ञ अदृश्य रूप से सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। इससे लोगों के मन में छिपे द्वेष, पाप, अनीति, और कुटिलता जैसी बुराइयां समाप्त हो जाती हैं। उन्होंने कहा कि यज्ञ का प्रभाव केवल व्यक्तिगत जीवन तक सीमित नहीं रहता, बल्कि यह पर्यावरण को भी शुद्ध करता है। उन्होंने बताया कि यज्ञ को त्यागने वाला व्यक्ति सुख-शांति से वंचित हो जाता है।

आध्यात्मिकता और सामूहिक भागीदारी
इस कार्यक्रम में सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए। यज्ञ में आहुतियां अर्पित करने के बाद सभी ने माता भगवती भोजनालय में भोजन प्रसाद ग्रहण किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में गायत्री परिवार के सदस्यों ने अहम भूमिका निभाई। गायत्री महायज्ञ जैसे आयोजन न केवल धार्मिक आस्था को प्रकट करते हैं, बल्कि समाज को नैतिकता, संस्कार और सामूहिकता का संदेश देते हैं। यह आयोजन न केवल धार्मिक, बल्कि आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी जनमानस को प्रेरित करने वाला रहा। 

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