काशी में अन्नकूट महोत्सव की तैयारी : पांच हजार घरों से आएगा भोग, भरे जा रहे डिजिटल फॉर्म

UPT | अन्नपूर्णा मंदिर काशी

Oct 26, 2024 16:27

काशी अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है।  यहां अन्नकूट महोत्सव की तैयारी जोरों पर हैं। शिव की नगरी में अन्नकूट की तैयारियां अब अंतिम दौर में हैं...

Varanasi New : काशी अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है।  यहां अन्नकूट महोत्सव की तैयारी जोरों पर हैं। शिव की नगरी में अन्नकूट की तैयारियां अब अंतिम दौर में हैं। महोत्सव में विशेष रूप से मणिमंदिर में 101 क्विंटल और अन्नपूर्णा मंदिर में 511 क्विंटल का छप्पन भोग सजाया जाएगा। इस बार आयोजन के लिए पांच हजार घरों की रसोई का सहयोग लिया जाएगा, जो श्रद्धालुओं द्वारा भक्ति भाव से तैयार की जाएगी।

अन्नकूट महोत्सव का महत्व
अन्नकूट महोत्सव काशी में धार्मिक उत्सवों में से एक महत्वपूर्ण अवसर है, जहां भक्तजन मां दुर्गा और अन्य देवी-देवताओं को विशेष भोग अर्पित करते हैं। शिव की नगरी में इस महोत्सव की तैयारियां अंतिम दौर में हैं। श्रद्धालुओं की आस्था और भक्ति को दर्शाते हुए मंदिरों में भव्य लड्डू और छप्पन भोग की झांकियां सजाई जाएंगी। श्री काशी विश्वनाथ, मां अन्नपूर्णा, मां विशालाक्षी, और बड़ा गणेश मंदिर इस महोत्सव में विशेष रूप से शामिल होंगे।

मणिमंदिर में विशेष आयोजन
धर्मसंघ परिसर स्थित मणिमंदिर में अन्नकूट महोत्सव का आयोजन इस बार बेहद खास होगा। यहां 101 क्विंटल का छप्पन भोग सजाने के साथ ही घरों की रसोई से तैयार भोग को मंदिर में अर्पित किया जाएगा। धर्मसंघ के महामंत्री पं. जगजीतन पांडेय ने बताया कि भक्तों से रसोई के लिए डिजिटल फॉर्म भरे जा रहे हैं, ताकि प्रत्येक घर का योगदान सुनिश्चित किया जा सके।



अन्नपूर्णा मंदिर की तैयारी
अन्नपूर्णा मंदिर में भी इस बार 511 क्विंटल का अन्नकूट सजाने की योजना है। मंदिर के महंत राधेश्याम दुबे ने बताया कि माता के दर्शन के लिए दो नवंबर को सुबह पांच बजे मंदिर के पट खुलेंगे। इस अवसर पर मां विशालाक्षी की झांकी को विभिन्न प्रकार के लड्डुओं से सजाया जाएगा, जिससे भक्तों की आस्था और भक्ति की महक मंदिर में फैलेगी।

अन्य मंदिरों में भी भव्य तैयारी
बड़ा गणेश मंदिर में भी दो नवंबर को अन्नकूट की झांकी सजाई जाएगी। इसके अलावा, काशी के अन्य छोटे-बड़े मंदिरों में भी अन्नकूट की विशेष झांकियां सजाई जाएंगी। इस महोत्सव के दौरान भक्तों का उत्साह और श्रद्धा देखते ही बनती है। लोग अपने घरों से तैयार भोग लेकर मंदिरों में पहुंचने के लिए तत्पर हैं। काशी की यह सांस्कृतिक परंपरा हर साल भक्ति और श्रद्धा से मनाई जाती है, जो न केवल धार्मिक महत्त्व रखती है, बल्कि समाज में एकता और सहयोग की भावना को भी बढ़ावा देती है।

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