ज्ञानवापी में नहीं होगी खुदाई : कोर्ट से हिन्दू पक्ष की मांग खारिज, अब हाईकोर्ट जा सकता है 33 साल से लंबित मामला

UPT | Gyanvapi case

Oct 25, 2024 19:23

हिंदू पक्ष के वकील जय शंकर रस्तोगी ने बताया कि जिला कोर्ट द्वारा ASI सर्वे की मांग को अस्वीकार कर दिया गया है। वे अब इस मामले को लेकर उच्च न्यायालय में अपील करने की योजना बना रहे हैं...

Varanasi News : वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर के विस्तृत सर्वेक्षण की मांग पर न्यायालय ने सुनवाई के बाद निर्णय सुनाया है। वाराणसी कोर्ट ने हिंदू पक्ष द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें Archaeological Survey of India (ASI) से सर्वे और केंद्रीय गुंबद के नीचे खुदाई की मांग की गई थी।

हिंदू पक्ष के वकील जय शंकर रस्तोगी ने बताया कि जिला कोर्ट द्वारा ASI सर्वे की मांग को अस्वीकार कर दिया गया है। वे अब इस मामले को लेकर उच्च न्यायालय में अपील करने की योजना बना रहे हैं।



ज्ञानवापी मामले में सिविल जज का फैसला सुरक्षित
33 साल से लंबित ज्ञानवापी मामले में, शुक्रवार को सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक) युगुल शंभू ने मुस्लिम पक्ष की दलीलों और वकीलों की बहस सुनने के बाद अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया। वादमित्र ने इस दौरान यह आरोप लगाया कि पिछले ASI सर्वेक्षण में कई महत्वपूर्ण पहलुओं की अनदेखी की गई है। उनका तर्क है कि बिना खुदाई के ASI सही तरीके से रिपोर्ट पेश नहीं कर सकती, इसलिए ज्ञानवापी में खुदाई कराई जानी चाहिए।

इस याचिका पर अंजुमन इंतजामिया कमेटी ने अपनी दलीलें प्रस्तुत कीं। कमेटी के वकीलों ने यह भी कहा कि चूंकि हिंदू पक्ष ने पहले ही इलाहाबाद उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में मामले को उठाने की अपील की है, ऐसे में अधीनस्थ न्यायालय में बहस का कोई मतलब नहीं है।

ज्ञानवापी मामले में ट्रायल जारी, वादमित्र की नई दलीलें
ज्ञानवापी में नए मंदिर निर्माण और पूजा-पाठ से संबंधित मामला अब ट्रायल तक पहुंच चुका है। इस केस के मुख्य वादी का निधन हो चुका है, और अब यह मामला वादमित्र के हाथों में है। पिछली सुनवाई में वादमित्र ने बताया कि ASI ने ज्ञानवापी की आराजी संख्या 9130 का सर्वेक्षण किया, लेकिन विवादित परिसर में मिले तालाब और शिवलिंग का उचित निरीक्षण नहीं किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि रिपोर्ट में इन महत्वपूर्ण पहलुओं का उल्लेख नहीं किया गया है।

वादमित्र ने ASI के सर्वेक्षण को अधूरा मानते हुए कहा कि सर्वेक्षण में आवश्यक मशीनों का इस्तेमाल नहीं किया गया और खुदाई के माध्यम से अवशेषों की तलाश नहीं की गई। इसके अलावा, परिसर का एक बड़ा हिस्सा इस सर्वेक्षण से अछूता रह गया है, जहाँ कई महत्वपूर्ण साक्ष्य मिलने की संभावना है।

मुस्लिम पक्ष के वकील की दलील
इस बीच, मुस्लिम पक्ष के वकीलों ने दलील दी कि ज्ञानवापी परिसर का पहले ही एक सर्वेक्षण हो चुका है, इसलिए फिर से सर्वेक्षण कराने का कोई तर्क नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि मस्जिद परिसर में गड्ढा खोदना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है, क्योंकि इससे मस्जिद को नुकसान पहुंच सकता है।

ज्ञानवापी मामले में पिछले 32  सालों की रिपोर्ट 
पिछले 32 वर्षों में ज्ञानवापी मामले में कई महत्वपूर्ण घटनाएं घटी हैं। 1991 में लॉर्ड विश्वेश्वरनाथ के नाम पर मुकदमा दायर कर पहली बार पूजा-पाठ की अनुमति मांगी गई, लेकिन जिला अदालत ने मामले को विचाराधीन रखा। इसके बाद, 1993 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया। 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने स्टे ऑर्डर की वैधता छह महीने बताई, जिसके चलते मामले की प्रगति पर प्रभाव पड़ा। 2019 में वाराणसी की जिला अदालत ने सुनवाई फिर से शुरू की।

इसके बाद, 2023 में, जिला जज की अदालत ने ज्ञानवापी परिसर के सर्वे का आदेश दिया, जिसमें वजूखाने को छोड़कर सर्वे पूरा हुआ और रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत की गई। इस दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1991 के लॉर्ड विश्वेश्वर मामले का स्टे ऑर्डर हटाया और ASI को सर्वे कराने का निर्देश दिया। हाल ही में, 2024 में, जिला जज की अदालत ने ASI की सर्वे रिपोर्ट को पक्षकारों के लिए उपलब्ध कराने का आदेश पारित किया, जिससे मामले में नई जानकारी सामने आई।

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