Varanasi News : चेतगंज का विश्व प्रसिद्ध नक कटैया मेला, रोपवे बना आकर्षण का केंद्र, जानें खासियत...

UPT | वाराणसी में रोपवे बना आकर्षण का केंद्र।

Oct 21, 2024 13:34

वाराणसी के लक्सा मेले में शुमार चेतगंज की विश्व प्रसिद्ध नक कटैया का रविवार रात को आयोजन किया गया। चेतगंज की नक कटैया 138 साल पहले देश की आजादी में भूमिका निभाने के लिए शुरू किया गया था, जो आज व्यापक...

Varanasi News : वाराणसी के लक्सा मेले में शुमार चेतगंज की विश्व प्रसिद्ध नक कटैया का रविवार रात को आयोजन किया गया। चेतगंज की नक कटैया 138 साल पहले देश की आजादी में भूमिका निभाने के लिए शुरू किया गया था, जो आज व्यापक रूप ले चुका है। इस नक कटैया का महत्व इस बात से समझ सकते हैं कि प्रधानमंत्री रविवार को वाराणसी पहुंचे थे, जो काशी सहित देशवासियों को 6,611 करोड़ की सौगात दिए। इस दौरान जनता को संबोधन में कहा कि आज चेतगंज का नक कटैया मेला भी है। काशी के लिए आज का दिन बहुत शुभ है। यह नक कटैया करवाचौथ के दिन मनाया जाता है। इसकी शुरुआत अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए हुईं थी। अब समसामयिक घटनाओं पर लोगों में जागरूकता लाने के लिए किया जाता है। लक्ष्मण के सूर्पणखा का नाक काटने की घटना को जीवंत रखने के लिए नक कटैया मेले की शुरुआत की गई थी।

138 साल से हो रहा मेला
श्री चेतगंज रामलीला समिति के अध्यक्ष अजय गुप्ता ने बताया कि यह ऐतिहासिक मेला 138 वर्ष से लगातार आयोजित किया जा रहा है। इसका विशेष धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण है। नक कटैया मेले में वाराणसी के रोपवे का प्रतिरूप दिखा, जो लोगों के आकर्षण का केंद्र बना रहा। इसमें गाजीपुर से गाजियाबाद तक के लोग विमान में शामिल थे।

इन्होंने शुरू किया था मेला
कहा जाता है कि नक कटैया मेले की शुरुआत स्वामी बाबा फतेह राम जी ने की थी। यह वाराणसी की समृद्ध धार्मिक परंपरा का हिस्सा है। यह मेला स्थानीय जनता, व्यापारी समुदाय और दूरदराज के श्रद्धालुओं के बीच विशेष स्थान रखता है। हर वर्ष, यह मेला अपने अद्वितीय आयोजन और रामलीला के प्रदर्शन के कारण हजारों भक्तों और पर्यटकों को आकर्षित करता है। मेले का उद्घाटन बनारस के पुलिस आयुक्त ने मध्यरात्रि में चेतगंज थाने से किया। इसके बाद, मेला रथयात्रा निकाली गई, जो शहर के विभिन्न मार्गों से होती हुई अपने गंतव्य तक पहुंची। 

क्रांतिकारी मेले में शामिल होते थे
महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद ने भी नक कटैया मेले को क्रांतिकारियों के वार्षिक सम्मेलन की जगह बना ली थी। चंद्रशेखर आजाद और उनके सभी क्रांतिकारी साथी मेलार्थी बनकर नक कटैया में शामिल होते थे। चेतगंज क्षेत्र स्थित सरस्वती वाचनालय उनके मिलने की जगह हुआ करती थी। मेले में क्रांतिकारी साथी पर्ची के माध्यम से अपने अगले योजना की सूचना देते थे, जो अंग्रेजों को पता नहीं चल पाती थी। यह एक धार्मिक अनुष्ठान होने के कारण अंग्रेज इस पर अंकुश लगाने में भी असमर्थ थे।

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