Agra News : औरंगजेब की हवेली सहित चार धरोहरों पर चला बुलडोजर,17 वीं सदी के नक्शे में 35 नंबर पर दर्ज है मुबारक मंजिल 

UPT | औरंगजेब की हवेली सहित चार धरोहरों पर चला बुलडोजर।

Jan 02, 2025 22:38

 मुगलिया सल्तनत की 197 से अधिक धरोहरों को समेटे आगरा में पिछले तीन महीने में मुबारक मंजिल (औरंगजेब की हवेली) समेत चार धरोहरों को ध्वस्त कर दिया...

Agra News : मुगलिया सल्तनत की 197 से अधिक धरोहरों को समेटे आगरा में पिछले तीन महीने में मुबारक मंजिल (औरंगजेब की हवेली) समेत चार धरोहरों को ध्वस्त कर दिया गया। यमुना नदी किनारे बने मुगलिया दौर के रिवरफ्रंट में 17 बाग और 28 हवेलियां थे, जिनमें से मुबारक मंजिल एक है। राजा जय सिंह के 17 वीं सदी के नक्शे में 35 नंबर पर मुबारक मंजिल दर्ज है, जिसे संरक्षण की अधिसूचना जारी करने के बाद ध्वस्त कर दिया गया। इसकी तरह छीपीटोला का शाही हम्माम, यमुना किनारे का जोहरा बाग और हाइवे पर लोदीकालीन मस्जिद का निशां भी धवस्त कर दिया गया है।



जानकारी के मुताबिक, देश के अलावा विदेशी लोग भी ताजमहल के साथ आगरा में मुगल काल की धरोहरों को देखने, उनकी वास्तुकला समझने आते हैं। 197 स्मारकों के शहर में जगह-जगह मुगलिया धरोहरे हैं, जिनमें इतिहास छिपा है। बादशाह अकबर के काल से शहंशाह शाहजहां और औरंगजेब तक मुगलों के लिए अहम रही मुबारक मंजिल का नामोनिशान मिटा दिया गया है। करीब तीन महीने पहले ही राज्य पुरातत्व विभाग ने इसे संरक्षित करने की अधिसूचना जारी की थी। 30 अक्टूबर तक आपत्तियां मांगी गई थी। अंतिम अधिसूचना से पहले ही औरंगजेब की हवेली पर बुलडोजर चलाकर धवस्त कर दिया गया है।

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1817 में किए गए कई बदलाव
ऑस्ट्रिया की इतिहासकार एब्बा कोच की पुस्तक रिवरफ्रंट गार्डन ऑफ आगरा में मुबारक मंजिल के बारे में विस्तृत ब्योरा दिया गया है। कोच ने इसे आलमगीर की हवेली बताया है, जहां शाहजहां, शुजा और औरंगजेब लंबे समय तक महत्वपूर्ण मौकों पर रहे। केवल मुगल काल नहीं, बल्कि ब्रिटिश काल में वर्ष 1817 में इसमें कई बदलाव किए गए। यह दोमंजिला बनाई गई। वर्ष 1810 से 1877 तक यह नमक दफ्तर, कस्टम हाउस बना रहा। अंग्रेजी हुकूमत में मुबारक मंजिल को परमिट कोठी और फिर तारा निवास के नाम से जाना गया। वर्ष 1902 में लॉर्ड कर्जन ने यहां मुस्लिम समुदाय के पूजा करने के दावे को खारिज कर दिया था।

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 सामूगढ़ की लड़ाई के बाद औरंगजेब ने बनवाया था
ब्रिटिश काल में ही इंजीनियर एसी पोलव्हेल ने रिपोर्ट दी थी कि ईस्ट इंडियन रेलवे ने इसे माल डिपो बनाया। यहां संगमरमर की पट्टिका लगी थी, जिस पर लिखा था कि इसे सामूगढ़ की लड़ाई के बाद औरंगजेब ने बनवाया था। इसका ब्योरा कार्लाइल की वर्ष 1871 की रिपोर्ट में भी है। कार्लाइल ने मुबारक मंजिल की वास्तुकला को लेकर पूरा ब्योरा दिया है। वर्ष 1868 में बनाए गए आगरा के नक्शे में यह लोहे के मौजूदा पुल की जगह बने पैंटून पुल के पास दर्शाई गई है। 

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