हत्यारे को उम्रकैद की सजा : जमीन के कब्जे को लेकर खेत में युवक को मारी थी गोली, छह साल बाद कोर्ट ने सुनाया फैसला

UPT | हत्यारे को उम्रकैद की सजा।

Oct 16, 2024 14:47

उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले में 10 जुलाई 2018 को हुए एक हत्या मामले में न्यायालय ने छह साल बाद फैसला सुनाया है। इस मामले में गांव के ही आरोपी को आजीवन कारावास की सजा दी है। साथ ही उस पर 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।

Mainpuri News : उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले में 10 जुलाई 2018 को हुए एक हत्या मामले में न्यायालय ने छह साल बाद फैसला सुनाया है। इस मामले में अपर जिला जज चतुर्थ जहेंद्र पाल सिंह ने गांव के ही आरोपी रनवीर सिंह को आजीवन कारावास की सजा दी है। साथ ही, उस पर 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। सजा सुनाए जाने के बाद रनवीर सिंह को हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया।


घटना का विवरण
यह मामला दन्नाहार थाना क्षेत्र के केशोपुर गांव का है। घटना के दिन गांव के निवासी विमलेश कुमार की दोपहर लगभग दो बजे खेत में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। बताया जाता है कि हत्या की वजह जमीन के कब्जे को लेकर चल रहा विवाद था। इस विवाद के चलते ही विमलेश की जान चली गई। घटना के बाद विमलेश के भाई कमलेश कुमार ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उन्होंने रनवीर सिंह के अलावा उनके भाई जयदेव, रामनिवास और उनके परिवार के अन्य सदस्यों जैसे अनिल उर्फ पिंटू, अरुण कुमार, आशीष और अरविंद पर भी आरोप लगाया था।

पुलिस जांच और न्यायालय में सुनवाई
पुलिस ने घटना की जांच पूरी करने के बाद आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट न्यायालय में प्रस्तुत की। मामले की सुनवाई अपर जिला जज चतुर्थ जहेंद्र पाल सिंह की अदालत में हुई। अभियोजन पक्ष ने अपनी ओर से वादी, विवेचक, और चिकित्सक सहित कई गवाहों की गवाही अदालत में पेश की। न्यायालय ने गवाहियों के आधार पर रनवीर सिंह को हत्या का दोषी माना।

अन्य आरोपियों को मिली राहत
हालांकि, पुलिस ने हत्या के आरोप में जयदेव, रामनिवास, अनिल उर्फ पिंटू, अरुण कुमार, आशीष और अरविंद के खिलाफ भी चार्जशीट दाखिल की थी, लेकिन अदालत में प्रस्तुत गवाहियों के आधार पर इनके खिलाफ हत्या के आरोप साबित नहीं हो सके। अपर जिला जज ने इन छह आरोपियों को हत्या के आरोप से बरी कर दिया।

तमंचा बरामद होने पर अलग से सजा
रनवीर सिंह की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में इस्तेमाल किया गया तमंचा भी बरामद कर लिया था। तमंचा रखने के मामले में भी एक अलग मुकदमा दर्ज किया गया। न्यायालय ने इस मामले में भी रनवीर सिंह को दोषी पाया। तमंचा रखने के आरोप में उसे तीन साल की अतिरिक्त सजा और 3000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है।

आरोपी को सजा सुनाई और पीड़ित परिवार को न्याय मिला
इस केस का निर्णय आने में छह साल का समय लगा, लेकिन आखिरकार न्यायालय ने आरोपी को सजा सुनाई और पीड़ित परिवार को न्याय मिला। न्यायालय के इस फैसले से क्षेत्र में कानून व्यवस्था के प्रति एक सख्त संदेश गया है कि दोषी चाहे कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, कानून के आगे टिक नहीं सकता। 

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