Aligarh News : AMU ने जलवायु डेटा मापने के लिए जीपीएस युक्त रेडियोसॉन्ड मौसम गुब्बारा किया लांच, मौसम संबंधी मिलेगी सटीक जानकारी  

UPT | AMU में जीपीएस युक्त रेडियोसॉन्ड मौसम गुब्बारे को किया लांच।

Jul 12, 2024 02:13

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग द्वारा भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग के एनआरएससी - इसरो के सहयोग से गुरुवार को जीपीएस - युक्त रेडियोसॉन्ड मौसम गुब्बारे को सफलतापूर्वक लांच किया गया।

Short Highlights
  • प्रोजेक्ट के जरिए वायुमंडल का डेटा एकत्र करने में मिलेगी मदद
  • तापमान और हवा के दबाव की देगा जानकारी 
  • जीपीएस रेडियोसॉन्ड का प्रक्षेपण का उद्देश्य मौसम संबंधी शोध को देगा बढ़ावा 
Aligarh News : अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग द्वारा भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग के एनआरएससी - इसरो के सहयोग से गुरुवार को जीपीएस-युक्त रेडियोसॉन्ड मौसम गुब्बारे को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। यह लॉन्च विभाग के शताब्दी समारोह के उपलक्ष में एक बड़ा कदम है और इसके इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। कार्यक्रम का उद्घाटन एएमयू की कुलपति प्रो. नईमा खातून ने किया, जिन्होंने मौसम गुब्बारे को लॉन्च किया। अपने सम्बोधन में प्रो नईमा खातून ने शताब्दी वर्ष के दौरान भूगोल विभाग की उपलब्धि के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डाला। 

प्रोजेक्ट के जरिए वायुमंडल का डेटा एकत्र करने में मिलेगी मदद
उन्होंने कहा कि यह एक ऐतिहासिक क्षण है और विभाग के लिए एक दुर्लभ उपलब्धि है क्योंकि यह एक नई पहल के रूप में अपना पहला मौसम गुब्बारा लॉन्च करके अपने शताब्दी वर्ष का जश्न मना रहा है। यह हमारे शोधकर्ताओं को जीपीएस-सहायता प्राप्त रेडियोसॉन्ड का उपयोग करके तापमान , सापेक्ष आर्द्रता और हवा की रफ्तार को मापने की सुविधा प्रदान करेगा। कुलपति ने कहा कि विभिन्न सेंसर से लैस ये छोटे उपकरण उच्च-रिजॉल्यूशन वाले वायुमंडलीय डेटा एकत्र करने के लिए महत्वपूर्ण हैं । उन्होंने कहा कि यह हमें उष्णकटिबंधीय चक्रवातों, नॉरवेस्टर, धूल के तूफान, भारी बारिश और हिमपात, ठंड और गर्मी की लहरों आदि जैसी गंभीर मौसम संबंधी घटनाओं के बारे में चेतावनी उपलब्ध कराता हैं, जो जीवन और संपत्ति के विनाश का कारण बनते हैं। 

अब साइंटिस्ट मौसम का पूर्वानुमान कर लेते हैं
कुलपति ने बताया कि भूगोल डिपार्टमेंट में पहली बार इसरो के साथ सहयोग से मौसम की एक्यूरेट भविष्यवाणी करने के लिए बैलून छोड़ा गया है। इसकी मॉनिटरिंग एएमयू में सिमुलेशन कंप्यूटर के माध्यम से होगा। यह बहुत बड़ा एडवांसमेंट प्रोज्क्ट है , पहले प्राकृतिक आपदा,तूफान आता था तो बहुत नुकसान होता था, लेकिन अब साइंटिस्ट मौसम का पूर्वानुमान कर लेते हैं तो राहत और बचाव की तैयारी हो जाती है। जिससे जान माल का नुकसान कम से कम हो रहा है, क्योंकि पहले से अब मौसम की जानकारी वैज्ञानिक तरीके से हासिल कर लेते हैं। 

तापमान और हवा के दबाव की देगा जानकारी 
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सलाहकार व वैज्ञानिक डा जगवीर सिंह ने इन उन्नत उपकरणों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह उपकरण तापमान, दबाव, सापेक्ष आर्द्रता और हवाओं के ऊर्ध्वाधर प्रोफाइल को मापेंगे, जो जलवायु अनुसंधान के लिए महत्वपूर्ण डेटा प्रदान करेंगे। उन्होंने जलवायु अनुसंधान क्षमताओं को आगे बढ़ाने में अपनी पहल के लिए एएमयू की एक संस्था के रूप में भी सराहना की है।  

जीपीएस रेडियोसॉन्ड का प्रक्षेपण का उद्देश्य मौसम संबंधी शोध को देगा बढ़ावा 
केंद्रीय विमानन मौसम विज्ञान प्रभाग, आईएमडी के वैज्ञानिक डा गजेन्द्र सिंह ने जीपीएस - सहायता प्राप्त रेडियोसॉन्ड के व्यावहारिक अनुप्रयोगों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जीपीएस मॉड्यूल के साथ एकीकृत, सोंड सटीक नेविगेशन पैरामीटर और मौसम संबंधी अवलोकन प्रदान करता है। जो कृषि, सिंचाई, शिपिंग, विमानन और अपतटीय तेल अन्वेषण जैसी मौसम-संवेदनशील गतिविधियों के लिए आवश्यक हैं. हैदराबाद स्थित एनआरएससी-इसरो के वैज्ञानिक एसएफ डॉ. हरीफ बाबा साहेब के ने उक्त परियोजना का संक्षिप्त परिचय देते हुए बताया कि आज का प्रक्षेपण एएमयू और एनआरएससी के बीच एनआईसीईएस कार्यक्रम के तहत हुए करार का हिस्सा है। उन्होंने बताया कि जीपीएस रेडियोसॉन्ड का प्रक्षेपण एक सहयोगात्मक प्रयास है, जिसका उद्देश्य मौसम संबंधी शोध को बढ़ावा देना है। 

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