हाथरस कांड पर सांसद चंद्रशेखर ने यूपी सरकार को घेरा : बोले-बाबा ही बाबा को बचा रहे,  जब नाम FIR में नहीं, तो कैसे करूं गिरफ्तारी की मांग ?

UPT | पीड़ित परिजनों से सांसद चंद्रशेखर ने मुलाकात की।

Jul 08, 2024 18:07

आजाद समाज पार्टी के मुखिया और नगीना लोकसभा से सांसद चंद्रशेखर सोमवार को अलीगढ़ के घास की मंडी इलाके में पहुंचे। यहां मॉब लिंचिंग की घटना में पीट-पीट कर मारे गए औरंगजेब उर्फ फरीद  के परिवार से मिले। इस दौरान उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था सत्ता की चौखट पर दम तोड़ रही है।

Short Highlights
  • वीआईपी सत्संग में जाता तो कई हजार पुलिस फोर्स लगाकर सुरक्षा व्यवस्था दी जाती
  • 25 लाख रुपये का मुआवजा परिवार को दिया जाए
  • न्याय नहीं दे सकते तो कुर्सी पर बैठने का अधिकार नहीं है
  • न्याय नहीं दे सकते तो कुर्सी पर बैठने का अधिकार नहीं है
Aligarh News : आजाद समाज पार्टी के मुखिया और नगीना लोकसभा से सांसद चंद्रशेखर सोमवार को अलीगढ़ के घास की मंडी इलाके में पहुंचे। यहां मॉब लिंचिंग की घटना में पीट-पीट कर मारे गए औरंगजेब उर्फ फरीद  के परिवार से मिले। इस दौरान उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था सत्ता की चौखट पर दम तोड़ रही है। वहीं, हाथरस सत्संग कांड में मारे गए 121 परिजनों के लिए उन्होंने 25 - 25 लाख रुपए मुआवजा देने की मांग की। उन्होंने प्रदेश सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि दो - दो लाख रुपए का मुआवजा दिया गया है। एक आदमी की जान की कीमत  चार लाख रुपये लगाई गई है ।

25- 25 लाख का मुआवजा मिलना चाहिए
उन्होंने सवाल उठाया कि बाबा को कौन लोग बचा रहे हैं। हम नहीं बचा रहे हैं। बाबा को बाबा ही बचा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बाबा का FIR में नाम नहीं है, तो गिरफ्तारी की मांग कैसे करें ? उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री से मांग करूंगा कि मृतक धार्मिक लोग थे। यह सिर्फ सत्संग के लिए आए थे, ताकि उनकी जिंदगी अच्छी हो जाय। गरीबी, लाचारी, बीमारी खत्म हो जाएं, यह लोग आपकी विचारधारा के साथ खड़े थे। इसलिए इनको कम से कम 25 - 25 लाख का मुआवजा मिलना चाहिए। 

वीआईपी सत्संग में जाता तो कई हजार पुलिस फोर्स लगाकर सुरक्षा व्यवस्था दी जाती
हाथरस कांड को लेकर चंद्रशेखर ने कहा कि यह पुलिस - प्रशासन और सरकार की नाकामी है। इस घटना को भुलाया नहीं जा सकता। इतनी बड़ी भीड़ इकट्ठी हो रही थी, तो LIU क्या कर रही थी। उनके पास इसकी जानकारी क्यों नहीं थी। अगर जानकारी थी तो उचित व्यवस्था क्यों नहीं की गई।  मुझे लग रहा है कि पुलिस प्रशासन और सरकार यह जानती है कि वहां वंचित वर्ग की महिलाएं और गरीब लोग ज्यादा जाते हैं। वह अगर मर भी जाएं तो क्या फर्क पड़ेगा। अगर उनकी जान की कीमत समझते तो हादसा नहीं होता. अगर कोई वीआईपी सत्संग में जाता तो कई हजार पुलिस फोर्स लगाकर सुरक्षा व्यवस्था दी जाती, लेकिन कार्यक्रम में कोई वीआईपी नहीं था। उन्होंने कहा कि अगर सौ - सवा सौ गरीब मर भी गए तो इस पर सरकार को क्या फर्क पड़ता  है।

 25 लाख रुपए का मुआवजा परिवार को दिया जाय
उन्होंने कहा कि अगर गरीबों की मदद नहीं करते तो यह माना जाएगा की धर्म की जो बात करते हैं, यह अपने राजनीतिक हिसाब से करते हैं। उन्होंने कहा कि धार्मिक आयोजन में अगर मौत हुई है तो प्रदेश सरकार को जिम्मेदारी लेनी चाहिए। अभी कांवड़ का कार्यक्रम होगा और धार्मिक आयोजन बड़े स्तर पर सरकार कराएगी, धार्मिक आयोजन का सरकार की व्यवस्था से बहुत मेल खाता है। इसलिए सरकार से कहूंगा कि गरीब, दलित, पिछड़े वर्ग की महिला समझकर इनके साथ खिलवाड़ न करें और 25 लाख रुपए का मुआवजा परिवार को दिया जाय।

न्याय नहीं दे सकते तो कुर्सी पर बैठने का अधिकार नहीं
वही चंद्र शेखर घास की मंडी में पहुंचकर वह पीड़ित परिवार से मिले, इस दौरान उन्होंने कहा कि मॉब लिंचिंग के तहत औरंगजेब की हत्या हुई है। उसका वीडियो भी सामने आया । उसको न्याय देने के बजाय पीड़ित पक्ष के खिलाफ ही मुकदमा दर्ज कर लिया गया। उन्होंने कहा कि एसएसपी से मांग की है की घटना को दोबारा चेक करें। हो सकता है चंद्रशेखर भी वहां हो, सत्ता की नजरों में चंद्रशेखर आजाद नजर आ जाएं, तो एक मुकदमा उसके खिलाफ भी दर्ज करें, क्योंकि अगर न्याय नहीं दे सकते और वर्दी की गरिमा को नहीं बचा सकते तो कुर्सी पर बैठने का अधिकार नहीं है। 

संसद में आवाज उठाएंगे
उन्होंने कहा कि औरंगजेब प्रकरण को संसद में उठाएंगे, क्योंकि कोई और इस प्रकरण पर चर्चा नहीं करेगा, न तो पीड़ितों को न्याय दिलाने की बात रहेगा। घटना के 11 दिन बाद मृतक औरंगजेब और उसके सात साथियों पर सत्ता के दबाव में मुकदमा दर्ज हुआ है। उन्होंने मांग की है कि झूठे मुकदमे को खारिज किया जाए और जो अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं। उनको गिरफ्तार कर जेल भेजा जाय। चंद्रशेखर ने कहा कि अगर सड़क से उनकी बात नहीं सुनी जाएगी, तो पार्लियामेंट में आवाज उठाएंगे। पार्लियामेंट में भी नहीं सुनवाई होगी तो लखनऊ में डीजीपी, प्रमुख सचिव और मुख्यमंत्री के सामने मुद्दा रखेंगे और पूछेंगे , क्या यही है सबका साथ - सबका विकास वाली सरकार का सच। 

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